श्रीनगर: उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल किसी से छिपा नहीं है. पहाड़ चढ़ते ही स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सरकार के सारे दावे फेल हो जाते हैं. पहाड़ के सरकारी हॉस्पिटलों में कहीं पर डॉक्टर तो किसी जगह मेडिकल स्टाफ की कमी है. ऐसा ही कुछ हाल श्रीनगर मेडिकल कॉलेज (Srinagar Medical College) का है. यहां तो स्थिति ये है कि सारे नियम कायदे ताक पर रखकर बायोमेडिकल वेस्ट (Biomedical waste) खुले में जलाया जा रहा है.
ऐसे हालात श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के तब हैं, जब सूबे के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत की ये अपनी विधानसभा सीट है और हर माह वे श्रीनगर मेडिकल कॉलेज का औचक निरीक्षण करते हुए दिख जाते हैं. श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के परिसर में लगा कूड़े का ढेर यहां आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है. लेकिन हैरानी बात ये है कि न तो हॉस्पिटल प्रबंधन इस ओर ध्यान देता और न ही सूबे के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने इस गंदगी को साफ करने के लिए जिम्मेदारों को कोई हिदायत दी.
गंभीर समस्या ये है कि हॉस्पिटल में इस्तेमाल होने वाला बायो मेडिकल वेस्ट कूड़ा भी परिसर में ही फेंका जा रहा है और फिर यहां पर जलाया जा रहा है. अस्पताल के एक सफाई कर्मी ने बताया कि ये कूड़ा रोज यहीं पर जलता है. उन्हें जो कहा जाता है वो कर देते हैं.
वहीं श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन की इस लापरवाही से पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी अचंभित हैं. उनका कहना है कि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज पर अव्यवस्थाएं हावी हैं. श्रीनगर मेडिकल कॉलेज सिर्फ रेफरल सेंटर बनकर रह गया है. सुविधाओं का टोटा जनता पर भारी पड़ रहा है.
इस बारे में जब श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के एमएस रविंद्र बिष्ट से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि कूड़ा जलाने के मामले में जांच की जाएगी कि ये लापरवाही क्यों हो रही है? उन्होंने कहा कि ये कूड़ा आस पास के लोग यहां फेंक जाते हैं.