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लगातार बढ़ रहा जंगली जानवरों का हमला, इस वजह से महिलाएं ज्यादातर बनती हैं शिकार

पौड़ी जिले में जंगली जानवरों के हमले की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. अब तक भालू एक पुरुष समेत 4 महिलाओं पर हमला कर चुका है. भालू जंगलों में घास और लकड़ी के लिए जाने वाली महिलाओं पर अक्सर हमला करते हैं.

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Published : Oct 25, 2019, 8:43 PM IST

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पौड़ीः उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में लगातार जंगली जानवरों के हमले बढ़ते जा रहे हैं. पौड़ी जिले में अब तक 5 भालू के हमले की घटनाएं हो चुकी हैं. जिसमें एक पुरुष और 4 महिलाएं शामिल हैं. अधिकतर हमले महिलाओं पर हुए हैं. इसका मुख्य कारण महिलाओं का चारा पत्ती, मवेशियां चराने समेत ईंधन की लकड़ी के लिए जंगलों की ओर रुख करना है. जिसके चलते भालू और गुलदार की चपेट में ज्यादातर महिलाएं आ रही हैं.

पौड़ी जिले में हो रहे पलायन के चलते जंगली जानवरों के हमले की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. पलायन से खेत-खलिहान बंजर हो चुके हैं और घरों के दरवाजों पर ताले लटक रहे हैं. ऐसे में गांव खाली होने से खेत झाड़ियों और जंगलों में तब्दील हो रहे हैं. जिससे जंगली जानवरों की आमद बढ़ रही है. ऐसे में जानवर जंगलों में घास और लकड़ी आदि के लिए जाने वाली महिलाओं पर अक्सर हमला करते हैं.

भालू के हमले में ज्यादात महिलाएं शामिल.

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इतना ही नहीं जंगलों में मानवीय हस्तक्षेप से जंगली जानवर आबादी की ओर रुख करने को मजबूर हैं. ऐसे में कई बार खूनी संघर्ष देखने को मिलता है. इस संघर्ष में कभी-कभी दोनों की ही जान चली जाती है. वहीं, उन्हें जंगलों में पर्याप्त भोजन नहीं मिलने पर वो इंसानों को अपना निवाला भी बना रहे हैं. इसका मुख्य कारण पारिस्थिति तंत्र का अंसतुलित होना है.

स्थानीय निवासी त्रिभुवन उनियाल ने बताया कि उनके गांव में काफी कम लोग रह गए हैं. पुरुष वर्ग रोजगार और अन्य व्यवसाय के चलते गांव से बाहर रहते हैं. ऐसे में सारा जिम्मा महिलाओं के ऊपर रहता है. गांव में खेती बाड़ी और जंगलों की ओर कामकाज के लिए महिलाएं सबसे आगे रहती हैं. महिलाओं के खेतों और जंगलों में जाने से जंगली जानवर उन्हें आसानी से अपना शिकार बना लेते हैं.

ये भी पढ़ेंः दून मेडिकल कॉलेज की मान्यता पर लटकी तलवार, लक्ष्य पूरा करने में जुटा प्रशासन

वहीं, स्थानीय निवासी विजय दर्शन बिष्ट ने कहा कि जंगली जानवरों के डर से गांव में लोग पशुपालन छोड़ते जा रहे हैं. गुलदार, भालू, बाघ आदि जानवरों को जंगलों में मवेशी नहीं मिल रहे हैं. लिहाजा इंसानों को निवाला बनाकर वो अपना पेट भरने को मजबूर हैं. उधर, डीएफओ लक्ष्मण सिंह ने बताया कि जिले में अभी तक 5 घटनाएं हो चुकी है. जिसमें 4 महिलाएं और एक पुरुष शामिल हैं.

पौड़ीः उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में लगातार जंगली जानवरों के हमले बढ़ते जा रहे हैं. पौड़ी जिले में अब तक 5 भालू के हमले की घटनाएं हो चुकी हैं. जिसमें एक पुरुष और 4 महिलाएं शामिल हैं. अधिकतर हमले महिलाओं पर हुए हैं. इसका मुख्य कारण महिलाओं का चारा पत्ती, मवेशियां चराने समेत ईंधन की लकड़ी के लिए जंगलों की ओर रुख करना है. जिसके चलते भालू और गुलदार की चपेट में ज्यादातर महिलाएं आ रही हैं.

पौड़ी जिले में हो रहे पलायन के चलते जंगली जानवरों के हमले की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. पलायन से खेत-खलिहान बंजर हो चुके हैं और घरों के दरवाजों पर ताले लटक रहे हैं. ऐसे में गांव खाली होने से खेत झाड़ियों और जंगलों में तब्दील हो रहे हैं. जिससे जंगली जानवरों की आमद बढ़ रही है. ऐसे में जानवर जंगलों में घास और लकड़ी आदि के लिए जाने वाली महिलाओं पर अक्सर हमला करते हैं.

भालू के हमले में ज्यादात महिलाएं शामिल.

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इतना ही नहीं जंगलों में मानवीय हस्तक्षेप से जंगली जानवर आबादी की ओर रुख करने को मजबूर हैं. ऐसे में कई बार खूनी संघर्ष देखने को मिलता है. इस संघर्ष में कभी-कभी दोनों की ही जान चली जाती है. वहीं, उन्हें जंगलों में पर्याप्त भोजन नहीं मिलने पर वो इंसानों को अपना निवाला भी बना रहे हैं. इसका मुख्य कारण पारिस्थिति तंत्र का अंसतुलित होना है.

स्थानीय निवासी त्रिभुवन उनियाल ने बताया कि उनके गांव में काफी कम लोग रह गए हैं. पुरुष वर्ग रोजगार और अन्य व्यवसाय के चलते गांव से बाहर रहते हैं. ऐसे में सारा जिम्मा महिलाओं के ऊपर रहता है. गांव में खेती बाड़ी और जंगलों की ओर कामकाज के लिए महिलाएं सबसे आगे रहती हैं. महिलाओं के खेतों और जंगलों में जाने से जंगली जानवर उन्हें आसानी से अपना शिकार बना लेते हैं.

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वहीं, स्थानीय निवासी विजय दर्शन बिष्ट ने कहा कि जंगली जानवरों के डर से गांव में लोग पशुपालन छोड़ते जा रहे हैं. गुलदार, भालू, बाघ आदि जानवरों को जंगलों में मवेशी नहीं मिल रहे हैं. लिहाजा इंसानों को निवाला बनाकर वो अपना पेट भरने को मजबूर हैं. उधर, डीएफओ लक्ष्मण सिंह ने बताया कि जिले में अभी तक 5 घटनाएं हो चुकी है. जिसमें 4 महिलाएं और एक पुरुष शामिल हैं.

Intro:पहाड़ी जनपदों में लगातार जंगली जानवरों के आक्रमणों की घटनाएं बढ़ती ही जा रही है बात करें पौड़ी जनपद की तो अभी तक इस पर से करीब 5 भालू की आक्रमण की घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें 1 पुरुष व 4 महिलाएं है। भालू के आक्रमण की विभिन्न कारण देखने को मिल रही है इसमें कि देखा जा रहा है कि भालू अधिकतर महिलाओं पर ही आक्रमण करता है जिसके पीछे का मुख्य कारण है कि आज भी महिलाएं जंगलों में घास लेने लकड़िया लेने आदि घर के काम के कारण जंगलों की तरफ जाती हैं और पुरुषों के मुकाबले महिलाओं पर आक्रमण करना भालू को ज्यादा आसान लगता है इसके चलते महिलाओं पर अधिक आक्रमण हो रहे हैं।


Body:जनपद पौड़ी में लगातार हुए पलायन के चलते जंगली जानवरों के आक्रमण की घटनाएं भी इससे जुड़े जा रही हैं। जंगल धीमे-धीमे गांव की तरफ बढ़ते जा रहे हैं क्योंकि गांव में कोई व्यक्ति रहने वाला नही है जिससे गांव की देखरेख नहीं हो पा रही है जिसके चलते जंगली जानवर गांव के समीप आते जा रहे हैं और गांव से आवाजाही करने वाले या जंगलों में घास व लकड़ी आदि के लिए जाने वाली महिलाओं पर अक्सर आक्रमण करते हैं जंगलों में आज जंगली जानवरों के लिए भोजन की उचित व्यवस्था नहीं है जिसके चलते ही जंगली जानवर इंसानों पर हमला कर उन्हें अपना भोजन बनाने को मजबूर हो रहे हैं।


Conclusion:स्थानीय व्यक्ति त्रिभुवन उनियाल ने बताया कि आज हमारे गांव में लोग बहुत कम रह गए हैं और गांव में कृषि खेती और जंगलों की तरफ कामकाज के लिए महिलाएं सबसे आगे हैं महिलाओं के खेतों में और जंगलों में कामकाज के चलते जंगली जानवर उन्हें आसानी से अपना शिकार बना लेते हैं वही स्थानीय विजय दर्शन बिष्ट ने बताया कि अगर जंगली जानवरों की बात की जाए तो गांव में लोग पशुपालन छोड़ते जा रहे हैं और गांव से हुए पलायन के चलते जंगली जानवरों के लिए शिकार तक नहीं है जिससे वह इंसानों को अपना भोजन बनाकर अपना पेट भरने को मजबूर हो रहे हैं। डीएफओ पौड़ी लक्षण सिंह ने बताया की जनपद में अभी तक 5 घटनाएं हो चुकी है जिसमे 4 महिलाएं और एक पुरूष शामिल है।
बाईट-विजयदर्शन बिष्ट
बाईट-त्रिभुवन उनियाल
बाईट-लक्ष्मण सिंह(डीएफओ पौड़ी)
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