पौड़ीः उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में लगातार जंगली जानवरों के हमले बढ़ते जा रहे हैं. पौड़ी जिले में अब तक 5 भालू के हमले की घटनाएं हो चुकी हैं. जिसमें एक पुरुष और 4 महिलाएं शामिल हैं. अधिकतर हमले महिलाओं पर हुए हैं. इसका मुख्य कारण महिलाओं का चारा पत्ती, मवेशियां चराने समेत ईंधन की लकड़ी के लिए जंगलों की ओर रुख करना है. जिसके चलते भालू और गुलदार की चपेट में ज्यादातर महिलाएं आ रही हैं.
पौड़ी जिले में हो रहे पलायन के चलते जंगली जानवरों के हमले की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. पलायन से खेत-खलिहान बंजर हो चुके हैं और घरों के दरवाजों पर ताले लटक रहे हैं. ऐसे में गांव खाली होने से खेत झाड़ियों और जंगलों में तब्दील हो रहे हैं. जिससे जंगली जानवरों की आमद बढ़ रही है. ऐसे में जानवर जंगलों में घास और लकड़ी आदि के लिए जाने वाली महिलाओं पर अक्सर हमला करते हैं.
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इतना ही नहीं जंगलों में मानवीय हस्तक्षेप से जंगली जानवर आबादी की ओर रुख करने को मजबूर हैं. ऐसे में कई बार खूनी संघर्ष देखने को मिलता है. इस संघर्ष में कभी-कभी दोनों की ही जान चली जाती है. वहीं, उन्हें जंगलों में पर्याप्त भोजन नहीं मिलने पर वो इंसानों को अपना निवाला भी बना रहे हैं. इसका मुख्य कारण पारिस्थिति तंत्र का अंसतुलित होना है.
स्थानीय निवासी त्रिभुवन उनियाल ने बताया कि उनके गांव में काफी कम लोग रह गए हैं. पुरुष वर्ग रोजगार और अन्य व्यवसाय के चलते गांव से बाहर रहते हैं. ऐसे में सारा जिम्मा महिलाओं के ऊपर रहता है. गांव में खेती बाड़ी और जंगलों की ओर कामकाज के लिए महिलाएं सबसे आगे रहती हैं. महिलाओं के खेतों और जंगलों में जाने से जंगली जानवर उन्हें आसानी से अपना शिकार बना लेते हैं.
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वहीं, स्थानीय निवासी विजय दर्शन बिष्ट ने कहा कि जंगली जानवरों के डर से गांव में लोग पशुपालन छोड़ते जा रहे हैं. गुलदार, भालू, बाघ आदि जानवरों को जंगलों में मवेशी नहीं मिल रहे हैं. लिहाजा इंसानों को निवाला बनाकर वो अपना पेट भरने को मजबूर हैं. उधर, डीएफओ लक्ष्मण सिंह ने बताया कि जिले में अभी तक 5 घटनाएं हो चुकी है. जिसमें 4 महिलाएं और एक पुरुष शामिल हैं.