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पहाड़ों में गर्म पानी के स्रोतों में कोरोना को रोकने वाला बैक्टीरिया, शोध में हुआ खुलासा

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Published : Mar 11, 2022, 7:26 PM IST

पहाड़ों के स्रोत से मिलने वाले गर्म पानी में एक ऐसा बैक्टीरिया मिला है, जो कोरोना वायरस से लड़ने में कारगर है. गढ़वाल विवि में माइक्रोबायोलॉजी के शोधार्थी सचिन त्यागी ने अपने रिसर्च में ये पाया है. उनका यह रिसर्च इंटरनेशनल जर्नल मॉलिक्यूल्स में भी प्रकाशित हो चुका है.

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पहाड़ों के गर्म पानी में मिला कोरोना को रोकने वाला बैक्टीरिया

श्रीनगर: पहाड़ों की खूबसूरती के हमेशा से ही लोग दीवाने रहे हैं, कहा जाता है कि हिमालय की बसावट में बसे क्षेत्रों की आबोहवा, खानपान, पानी तक में रोगों से लड़ने की प्राकृतिक ताकत होती है. ऐसा ही एक खुलासा गढ़वाल विवि. के एक शोध में सामने आया है. शोध में पता चला है कि पहाड़ों के गर्म पानी के स्रोत में पाए जाने थर्मा फ्लिक्स बैक्टीरिया में कोविड वाइरस से लड़ने में कारगर हैं.

गढ़वाल विवि के छात्र 6 साल से पहाड़ों के गर्म पानी के स्रोत में पाए जाने थर्मा फ्लिक्स बैक्टीरिया पर शोध कर रहे थे. अब जाकर उन्हें सफलता मिली है. छात्रों ने अब इसके मेडिसिनल प्रयोग के लिए राष्ट्रीय विषाणु संस्थान, पुणे से अनुरोध किया गया है. साथ मे इस शोध का प्रकाशन अंतरराष्ट्रीय जर्नल 'मॉलिक्यूल्स' में भी प्रकाशित हो चुका है.

पहाड़ों के स्त्रोत से मिलने वाले गर्म पानी में कोरोना को रोकने वाला बैक्टीरिया

पढ़ें- कोटद्वार के सिद्धबली स्टोन क्रशर पर HC में हुई सुनवाई, प्रतिबंधित क्षेत्र में लगाने का है आरोप

गढ़वाल विवि में माइक्रोबायोलॉजी के शोध छात्र सचिन त्यागी ने बताया कि ये बैक्टीरिया पहाड़ों में मिलने वाले गर्म पानी के स्रोतों में ही पाया जाता है. इसके साथ-साथ उन्हें इसमें उन्हें लिफ्टोलुम्बिया स्पीशीज 001, 002, 003, 004 भी मिले. इन लिफ्टोलुम्बिया के नॉन पोलर स्ट्रेक्स के नॉर्मल कम्पाउंड में मोनोमेथिलेटेड ट्रायजोलोपाइरीमिडीन के मॉलिक्यूल ड्रक्स रजिस्ट्रेंट बैक्टीरिया के विरुद्ध प्रभावी थे. इसके साथ पाया गया कि ये SARS-CoV-2 के प्रजनन को बाधित करने में भी सक्षम थे. ये वाइरस की कॉपी को रोकने में सक्षम हैं.

पढ़ें- गंगोत्री की बादशाहत बरकरार, जिसकी सीट उसकी सरकार का मिथक नहीं टूटा

संयुक्त अस्पताल में मेडिसिन विभाग में वरिष्ठ डॉक्टर अजय गोयल का कहना है कि जब दो सालों में कोविड का प्रसार था तो दवाइयों की किट के जरिये ही वे मरीजों का इलाज कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने देखा कि मैदान के अपेक्षा पहाड़ों में कोविड के कारण लोगों को ऑक्सीजन की कमी नहीं हुई. ये सब यहां के वातावरण और यहां के खानपान के कारण हुआ. उन्होंने कहा यहां के गाड़-गदेरों के पानी मे औषधीय गुण होते हैं, जो स्वाथ्य के लिए लाभकारी हैं.

श्रीनगर: पहाड़ों की खूबसूरती के हमेशा से ही लोग दीवाने रहे हैं, कहा जाता है कि हिमालय की बसावट में बसे क्षेत्रों की आबोहवा, खानपान, पानी तक में रोगों से लड़ने की प्राकृतिक ताकत होती है. ऐसा ही एक खुलासा गढ़वाल विवि. के एक शोध में सामने आया है. शोध में पता चला है कि पहाड़ों के गर्म पानी के स्रोत में पाए जाने थर्मा फ्लिक्स बैक्टीरिया में कोविड वाइरस से लड़ने में कारगर हैं.

गढ़वाल विवि के छात्र 6 साल से पहाड़ों के गर्म पानी के स्रोत में पाए जाने थर्मा फ्लिक्स बैक्टीरिया पर शोध कर रहे थे. अब जाकर उन्हें सफलता मिली है. छात्रों ने अब इसके मेडिसिनल प्रयोग के लिए राष्ट्रीय विषाणु संस्थान, पुणे से अनुरोध किया गया है. साथ मे इस शोध का प्रकाशन अंतरराष्ट्रीय जर्नल 'मॉलिक्यूल्स' में भी प्रकाशित हो चुका है.

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गढ़वाल विवि में माइक्रोबायोलॉजी के शोध छात्र सचिन त्यागी ने बताया कि ये बैक्टीरिया पहाड़ों में मिलने वाले गर्म पानी के स्रोतों में ही पाया जाता है. इसके साथ-साथ उन्हें इसमें उन्हें लिफ्टोलुम्बिया स्पीशीज 001, 002, 003, 004 भी मिले. इन लिफ्टोलुम्बिया के नॉन पोलर स्ट्रेक्स के नॉर्मल कम्पाउंड में मोनोमेथिलेटेड ट्रायजोलोपाइरीमिडीन के मॉलिक्यूल ड्रक्स रजिस्ट्रेंट बैक्टीरिया के विरुद्ध प्रभावी थे. इसके साथ पाया गया कि ये SARS-CoV-2 के प्रजनन को बाधित करने में भी सक्षम थे. ये वाइरस की कॉपी को रोकने में सक्षम हैं.

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संयुक्त अस्पताल में मेडिसिन विभाग में वरिष्ठ डॉक्टर अजय गोयल का कहना है कि जब दो सालों में कोविड का प्रसार था तो दवाइयों की किट के जरिये ही वे मरीजों का इलाज कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने देखा कि मैदान के अपेक्षा पहाड़ों में कोविड के कारण लोगों को ऑक्सीजन की कमी नहीं हुई. ये सब यहां के वातावरण और यहां के खानपान के कारण हुआ. उन्होंने कहा यहां के गाड़-गदेरों के पानी मे औषधीय गुण होते हैं, जो स्वाथ्य के लिए लाभकारी हैं.

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