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विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने किया कण्वाश्रम का दौरा, मंत्री सौरभ ने किया चीनी मिल का निरीक्षण

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने कोटद्वार स्थित कण्वाश्रम का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने कण्वाश्रम को विकसित करने के लिए कण्वाश्रम विकास समिति के सदस्यों के साथ बैठक भी की. वहीं, मंत्री बनने के बाद सितारगंज पहुंचे सौरभ बहुगुणा से गन्ना किसानों से मुलाकात की. उन्होंने आश्वस्त किया कि गन्ना किसानों का बकाया भुगतान जल्द किया जाएगा.

Assembly Speaker Ritu Khanduri
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने किया कण्वाश्रम का दौरा
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Published : Apr 3, 2022, 1:39 PM IST

कोटद्वारः उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार ऋतु खंडूड़ी कोटद्वार पहुची. जहां उन्होंने भारत नामदेव राजा भरत की क्रीड़ा स्थली कण्वाश्रम मंदिर के दर्शन किए. विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने कण्वाश्रम विकास समिति के सदस्यों के साथ बैठक भी की. बैठक में कण्वाश्रम का विकास और पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने पर चर्चा की.

बैठक के बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने कहा कि कण्वाश्रम विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने के बावजूद विकास से वंचित रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वच्छ भारत आइकन में कण्वाश्रम 30वें स्थान पर है. इसके विकास के लिए समिति के सदस्यों के साथ मिलकर काम किया जाएगा, ताकि कण्वाश्रम को पर्यटन मानचित्र पर अग्रणी स्थान मिले सके. गौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी कोटद्वार सीट से ही विधायक हैं.

कण्वाश्रम का इतिहास: कण्वाश्रम एक समय में अध्यात्म, ज्ञान-विज्ञान का विश्वविख्यात केंद्र था. जिसमें संपूर्ण विश्व के दस सहस्त्र विद्यार्थी कुलपति कण्व से शिक्षा ग्रहण करते थे. महर्षि कण्व, विश्वामित्र, दुर्वासा आदि की तपोस्थली के साथ ही यह स्थान मेनका-विश्वामित्र और शकुंतला व राजा दुष्यंत की प्रणय स्थली भी रहा है. इस स्थान को शकुंतला-दुष्यंत के तेजस्वी पुत्र भरत का जन्म स्थल भी माना जाता है.

प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने साल 1955 में रूस यात्रा की थी. उस दौरान रूसी कलाकारों ने महाकवि कालिदास रचित 'अभिज्ञान शाकुंतलम' की नृत्य नाटिका प्रस्तुत की. एक रूसी दर्शक ने पंडित नेहरू से कण्वाश्रम के बारे में जानना चाहा, लेकिन उन्हें जानकारी न थी. वापस लौटते ही पंडित नेहरू ने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. संपूर्णानंद को कण्वाश्रम की खोज का दायित्व सौंप दिया. 1956 में प्रधानमंत्री नेहरू व यूपी सीएम डॉ. संपूर्णानंद के निर्देश पर तत्कालीन वन मंत्री जगमोहन सिंह नेगी कोटद्वार पहुंचे व कण्वाश्रम (चौकीघाटा) के निकट एक स्मारक का शिलान्यास किया, जो आज भी मौजूद है.
ये भी पढ़ेंः विकासनगरः माख्टी पोखरी में पेयजल किल्लत से जूझ रहे 90 परिवार, विभाग दे रहा ये दलील

मंत्री सौरभ बहुगुणा ने किया चीनी मिल का निरीक्षणः कैबिनेट मंत्री बनने के बाद पहली बार उधमसिंह नगर दौरे पर पहुंचे सौरभ बहुगुणा का पार्टी कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह भव्य स्वागत किया. वहीं, अपनी विधानसभा क्षेत्र सितारगंज पहुंचे मंत्री सौरभ बहुगुणा ने सबसे पहले सितारगंज चीनी मिल का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने चीनी मिल के अधिकारियों से मिलकर चीनी मिल की समस्याओं के बारे में जानकारी ली.

वहीं, उन्होंने क्षेत्र के किसानों को भरोसा दिलाया कि चीनी मिल पूर्व की भांति बार-बार बंद नहीं होगी और किसानों का सारा गन्ना इस सत्र में सितारगंज चीनी मिल द्वारा लिया जाएगा. वहीं क्षेत्र के गन्ना किसानों का बकाया पेमेंट भी जल्द सरकार से वार्ता कर उन्हें दिलाया जाएगा. उन्होंने कहा कि सितारगंज के अलावा किच्छा और जसपुर चीनी मिल का भी उन्होंने निरीक्षण कर अधिकारियों से वार्ता की है और गन्ना किसानों को आश्वस्त किया है कि सभी का बकाया पेमेंट जल्द दिलाया जाएगा.

कोटद्वारः उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार ऋतु खंडूड़ी कोटद्वार पहुची. जहां उन्होंने भारत नामदेव राजा भरत की क्रीड़ा स्थली कण्वाश्रम मंदिर के दर्शन किए. विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने कण्वाश्रम विकास समिति के सदस्यों के साथ बैठक भी की. बैठक में कण्वाश्रम का विकास और पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने पर चर्चा की.

बैठक के बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने कहा कि कण्वाश्रम विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने के बावजूद विकास से वंचित रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वच्छ भारत आइकन में कण्वाश्रम 30वें स्थान पर है. इसके विकास के लिए समिति के सदस्यों के साथ मिलकर काम किया जाएगा, ताकि कण्वाश्रम को पर्यटन मानचित्र पर अग्रणी स्थान मिले सके. गौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी कोटद्वार सीट से ही विधायक हैं.

कण्वाश्रम का इतिहास: कण्वाश्रम एक समय में अध्यात्म, ज्ञान-विज्ञान का विश्वविख्यात केंद्र था. जिसमें संपूर्ण विश्व के दस सहस्त्र विद्यार्थी कुलपति कण्व से शिक्षा ग्रहण करते थे. महर्षि कण्व, विश्वामित्र, दुर्वासा आदि की तपोस्थली के साथ ही यह स्थान मेनका-विश्वामित्र और शकुंतला व राजा दुष्यंत की प्रणय स्थली भी रहा है. इस स्थान को शकुंतला-दुष्यंत के तेजस्वी पुत्र भरत का जन्म स्थल भी माना जाता है.

प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने साल 1955 में रूस यात्रा की थी. उस दौरान रूसी कलाकारों ने महाकवि कालिदास रचित 'अभिज्ञान शाकुंतलम' की नृत्य नाटिका प्रस्तुत की. एक रूसी दर्शक ने पंडित नेहरू से कण्वाश्रम के बारे में जानना चाहा, लेकिन उन्हें जानकारी न थी. वापस लौटते ही पंडित नेहरू ने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. संपूर्णानंद को कण्वाश्रम की खोज का दायित्व सौंप दिया. 1956 में प्रधानमंत्री नेहरू व यूपी सीएम डॉ. संपूर्णानंद के निर्देश पर तत्कालीन वन मंत्री जगमोहन सिंह नेगी कोटद्वार पहुंचे व कण्वाश्रम (चौकीघाटा) के निकट एक स्मारक का शिलान्यास किया, जो आज भी मौजूद है.
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मंत्री सौरभ बहुगुणा ने किया चीनी मिल का निरीक्षणः कैबिनेट मंत्री बनने के बाद पहली बार उधमसिंह नगर दौरे पर पहुंचे सौरभ बहुगुणा का पार्टी कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह भव्य स्वागत किया. वहीं, अपनी विधानसभा क्षेत्र सितारगंज पहुंचे मंत्री सौरभ बहुगुणा ने सबसे पहले सितारगंज चीनी मिल का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने चीनी मिल के अधिकारियों से मिलकर चीनी मिल की समस्याओं के बारे में जानकारी ली.

वहीं, उन्होंने क्षेत्र के किसानों को भरोसा दिलाया कि चीनी मिल पूर्व की भांति बार-बार बंद नहीं होगी और किसानों का सारा गन्ना इस सत्र में सितारगंज चीनी मिल द्वारा लिया जाएगा. वहीं क्षेत्र के गन्ना किसानों का बकाया पेमेंट भी जल्द सरकार से वार्ता कर उन्हें दिलाया जाएगा. उन्होंने कहा कि सितारगंज के अलावा किच्छा और जसपुर चीनी मिल का भी उन्होंने निरीक्षण कर अधिकारियों से वार्ता की है और गन्ना किसानों को आश्वस्त किया है कि सभी का बकाया पेमेंट जल्द दिलाया जाएगा.

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