कोटद्वारः सूबे में मॉनसून रफ्तार पकड़ चुका है. ऐसे में आपदा से निपटने के लिए प्रशासन ने कमर कस ली है. साथ ही नालियों को साफ करने के लिए ट्रेनिंग नीति के तहत शॉर्ट टर्म में चैनेलाइज किया जा रहा है. आपदा कंट्रोल रूम में 24 घंटे कर्मचारी तैनात हैं. जो हर स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं. जबकि, सिंचाई विभाग की ओर से भी लगातार नदियों पर निगरानी रखने के साथ बाढ़ सुरक्षा के कार्य भी किए जा रहे हैं.
बता दें कि कोटद्वार में तीन प्रमुख नदियां खोह, सुखरौ और मालन नदी बहती है. इसके अलावा नगर क्षेत्र के आसपास कई छोटे-बड़े नाले गवालगढ़, गिंवाई स्रोत, पनियाली स्रोत, सिगड़ी स्रोत समेत कई नाले मौजूद हैं. जिनका बरसात के दौरान जलस्तर बढ़ जाता है. जिससे बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती है. जिसे देखते हुए प्रशासन ने नदी और नालों में रिवर ट्रेनिंग नीति के तहत चैनेलाइज का कार्य किया है.
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प्रशासन ने तेली और गिंवाई स्रोत नाले को चिह्नित कर रिवर ट्रेनिंग नीति के तहत शॉर्ट टर्म में चैनेलाइज करने का विचार विमर्श किया है. जिसके लिए स्थानीय प्रशासन जल्द ही विज्ञप्ति जारी करने जा रहा है. स्थानीय प्रशासन की मानें तो बरसात में बाढ़ जैसी स्थिति से निपटने के लिए वो पूरी तरह से तैयार है.
उप जिलाधिकारी योगेश मेहरा का कहना है कि आपदा के मद्देनजर सभी विभागों की एक बैठक भी बुलाई गई है. इस बार उन जगहों को चिह्नित किए गए हैं, जहां पर बारिश का पानी आबादी वाले क्षेत्र में घुस जाता है. उन जगहों पर रोकथाम के प्रयास किए जा रहे हैं. इसके अलावा नगर क्षेत्र के अंदर कुछ नाले हैं, जहां बारिश के पानी आ जाने से काफी मलबा इकट्ठा हो गया है.
ऐसे में मलबे का निस्तारण नहीं किया तो बारिश का पानी आबादी वाले क्षेत्र में घुस सकता है. जिसे देखते हुए शॉर्ट टर्म तकरीबन 6 से 7 दिन के लिए रिवर ट्रेनिंग के तहत परमिशन दी जा रही है. कोटद्वार नगर क्षेत्र 3 नदियों की बेल्ट है. ऐसे में लोगों में जागरूकता की बहुत जरूरत है. वहीं, मॉनसून में फैलने वाली संक्रमित बीमारियों को देखते हुए नगर निगम में स्वास्थ्य अधिकारी की नियुक्ति भी हो चुकी और कोटद्वार बेस अस्पताल में पर्याप्त स्टाफ मौजूद है.