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गढ़वाली शॉर्ट फिल्म '2nd Inning' रिलीज, बुजुर्गों के तिरस्कार पर बेस्ड है मूवी

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Published : Oct 5, 2019, 6:41 PM IST

Updated : Oct 5, 2019, 7:45 PM IST

गोल्ड लाइन फिल्म द्वारा बनाई गई '2nd Inning' यानि (दूसरी पारी) फिल्म यू-ट्यूब पर रिलीज हो गई है. यह लघु फिल्म आधी उम्र पार कर चुके उस व्यक्ति पर बनाई गई है जिसका तिरस्कार उसके बच्चों द्वारा किया जाता है. यह लघु फिल्म वर्तमान में आधुनिकता के चलते बुजुर्गों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और तिरस्कार पर केंद्रित है. जो पूरी तरह गढ़वाली में है.

सेकंड इनिंग का सीन.

कोटद्वारः नगर के एक वेडिंग प्वाइंट में '2nd Inning' गढ़वाली लघु फिल्म रिलीज की गई है. इस फिल्म में आधुनिकता के चलते बुजुर्गों के साथ उनके बच्चों के द्वारा किए जाने वाले दुर्व्यवहार और तिरस्कार को दिखाया गया है. फिल्म निर्माताओं का कहना है अकसर माता-पिता के बूढ़े हो जाने पर उन्हें उन्हें सम्मान नहीं दिया जाता है. जो वर्तमान के ज्वलंत मुद्दा बन गया है. ऐसे में ये फिल्म समाज में एक बदलाव लाने का काम करेगी.

'2nd Inning' लघु फिल्म की जानकारी देते कलाकार और डायरेक्टर.

कोटद्वार के एक वेडिंग प्वाइंट में आयोजित कार्यक्रम में गोल्ड लाइन फिल्म के द्वारा बनाई गई '2nd Inning' सेकंड इनिंग यानि (दूसरी पारी) शॉर्ट फिल्म को यू-ट्यूब पर रिलीज किया गया. यह लघु फिल्म आधी उम्र पार कर चुके उस व्यक्ति पर बनाई गई. जिसका तिरस्कार उसके बच्चों द्वारा किया जाता है. यह लघु फिल्म वर्तमान में आधुनिकता के चलते बुजुर्गों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और तिरस्कार पर केंद्रित है. जो पूरी तरह गढ़वाली बोली में है.

ये भी पढ़ेंः जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल, 3 महीनों से सीटी स्कैन मशीन खराब पड़ी

इस फिल्म में दिखाया गया है कि जब बेटे अपने मां-बाप को बूढ़े होने पर तिरस्कार करते हैं तो एक बूढ़े पिता अपने घर को ही एक वृद्धाश्रम बना देते हैं. जहां पर वो उन सभी बेसहारा वृद्ध लोगों को अपने घर में सहारा देते हैं. जिनके परिजनों ने उन्हें बुढ़ापे के समय घर से बाहर धकेल दिया था. ऐसे में ये फिल्म समाज को आईना दिखाने का काम कर रहा है. खासतौर जो बुजुर्गों को एक बोझ समझते हैं.

हिंदी फिल्म राजू बजरंगी के डायरेक्टर और कलाकार शिव नारायण सिंह रावत का कहना है कि उन्होंने सेकेंड इनिंग फिल्म में एक ज्वलंत को मुद्दा उठाया गया है. मां-बाप के बूढ़े हो जाने पर समाज में उन्हें सम्मान नहीं दिया जाता है. जो समाज की एक बड़ी बुराई बन चुकी है. उन्होंने इस फिल्म के जरिए बच्चों के संस्कार पर भी बल दिया गया है.

ये भी पढ़ेंः गंगोलीहाट विधायक की देवरानी को नहीं मिला पाया समय से इलाज, नवजात की मौत

वहीं, सेकंड इनिंग फिल्म के डायरेक्टर सुनील घिल्डियाल ने बताया कि आज के समय में समाज में एक बुराई काफी प्रचलित हो चुकी है. हम अपने जन्मदाता को एक समय के बाद बोझ समझते हैं. यह काफी हद तक एक भौतिकवाद कारण बनता जा रहा है. इस फिल्म का मकसद युवा पीढ़ियों को प्रेरित करना है.

कोटद्वारः नगर के एक वेडिंग प्वाइंट में '2nd Inning' गढ़वाली लघु फिल्म रिलीज की गई है. इस फिल्म में आधुनिकता के चलते बुजुर्गों के साथ उनके बच्चों के द्वारा किए जाने वाले दुर्व्यवहार और तिरस्कार को दिखाया गया है. फिल्म निर्माताओं का कहना है अकसर माता-पिता के बूढ़े हो जाने पर उन्हें उन्हें सम्मान नहीं दिया जाता है. जो वर्तमान के ज्वलंत मुद्दा बन गया है. ऐसे में ये फिल्म समाज में एक बदलाव लाने का काम करेगी.

'2nd Inning' लघु फिल्म की जानकारी देते कलाकार और डायरेक्टर.

कोटद्वार के एक वेडिंग प्वाइंट में आयोजित कार्यक्रम में गोल्ड लाइन फिल्म के द्वारा बनाई गई '2nd Inning' सेकंड इनिंग यानि (दूसरी पारी) शॉर्ट फिल्म को यू-ट्यूब पर रिलीज किया गया. यह लघु फिल्म आधी उम्र पार कर चुके उस व्यक्ति पर बनाई गई. जिसका तिरस्कार उसके बच्चों द्वारा किया जाता है. यह लघु फिल्म वर्तमान में आधुनिकता के चलते बुजुर्गों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और तिरस्कार पर केंद्रित है. जो पूरी तरह गढ़वाली बोली में है.

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इस फिल्म में दिखाया गया है कि जब बेटे अपने मां-बाप को बूढ़े होने पर तिरस्कार करते हैं तो एक बूढ़े पिता अपने घर को ही एक वृद्धाश्रम बना देते हैं. जहां पर वो उन सभी बेसहारा वृद्ध लोगों को अपने घर में सहारा देते हैं. जिनके परिजनों ने उन्हें बुढ़ापे के समय घर से बाहर धकेल दिया था. ऐसे में ये फिल्म समाज को आईना दिखाने का काम कर रहा है. खासतौर जो बुजुर्गों को एक बोझ समझते हैं.

हिंदी फिल्म राजू बजरंगी के डायरेक्टर और कलाकार शिव नारायण सिंह रावत का कहना है कि उन्होंने सेकेंड इनिंग फिल्म में एक ज्वलंत को मुद्दा उठाया गया है. मां-बाप के बूढ़े हो जाने पर समाज में उन्हें सम्मान नहीं दिया जाता है. जो समाज की एक बड़ी बुराई बन चुकी है. उन्होंने इस फिल्म के जरिए बच्चों के संस्कार पर भी बल दिया गया है.

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वहीं, सेकंड इनिंग फिल्म के डायरेक्टर सुनील घिल्डियाल ने बताया कि आज के समय में समाज में एक बुराई काफी प्रचलित हो चुकी है. हम अपने जन्मदाता को एक समय के बाद बोझ समझते हैं. यह काफी हद तक एक भौतिकवाद कारण बनता जा रहा है. इस फिल्म का मकसद युवा पीढ़ियों को प्रेरित करना है.

Intro:summary कोटद्वार में लघु फिल्म निर्माता के द्वारा सेकंड इनिंग यानी जिंदगी की दूसरी पारी जैसे आधुनिकता के चलते बुजुर्गों के साथ उनके बच्चों द्वारा किए जाने वाला दुर्व्यवहार और तिरस्कार को इस फिल्म में फिल्माया गया यह फिल्म यूट्यूब में सेकंड इनिंग के नाम से देखी जा सकती है।

intro kotdwar, कोटद्वार नगर में एक वेडिंग प्वाइंट में आयोजित कार्यक्रम में गोल्ड लाइन फिल्म निर्मित सेकंड इनिंग यानी (दूसरी पारी ) फिल्म का विमोचन किया गया, यह लघु फिल्म आधी उम्र पार कर चुके उस व्यक्ति पर बनाई गई जिसका तिरस्कार उसके बच्चों द्वारा किया जाता है, इस लघु फिल्म को बनाने का मुख्य उद्देश्य था कि वर्तमान में आधुनिक आधुनिकता के चलते बुजुर्गों के साथ उनके बच्चों द्वारा किए जाने वाला दुर्व्यवहार और तिरस्कार बहुत सोचनीय विषय है, समाज के इस सत्य को लघु फिल्म के द्वारा सेकंड इनिंग यानी (दूसरी पारी) में फिल्माया गया है यह फिल्म समाज में एक बदलाव लाने का कार्य करेगी। या फिल्म यूट्यूब में सेकंड इनिंग के नाम से देखी जा सकती है। इस फिल्म में यह भी बहुत अच्छा दिखाया गया है कि जब बेटे अपने मां बाप को बूढ़े होने पर तिरस्कार करते हैं तो बूढ़े पिता ने अपने घर को ही वृद्धाश्रम बना दिया है और उन बेसहारा वृद्ध लोगों को अपने घर में सहारा दिया, जिनके परिजनों ने उनको बुढ़ापे के समय घर से बाहर धकेल दिया।




Body:वीओ1- वहीं बॉलीवुड फिल्म कलाकार ने कहा कि जो उन्होंने यह मुद्दा उठाया है इस फिल्म के द्वारा सेकंड इनिंग का बहुत बड़ा ज्वलंत मुद्दा है, हमारे समाज में इस बात को हमेशा से उठाया गया है, कि जब मां बाप बूढ़े हो जाते हैं तो उन्हें समाज में उतना सम्मान नहीं दिया जाता,यह समाज की बहुत बड़ी बुराई है, उन्होंने इस फिल्म के द्वारा जो कुछ कहने की कोशिश की है, बहुत अच्छा प्रयास किया है, अपने बच्चों को प्यार दीजिए लेकिन सब कुछ उनके हाथों पर मत छोड़िए, क्योंकि आपको अपना जीवन जीना है जब तक आपकी सांसे हैं तब तक अपने पास कुछ रखना बहुत जरूरी है, उन्होंने इस फिल्म के द्वारा बहुत अच्छा संदेश दिया है मैं उनको इस बात की बधाई देता हूं

बाइट शिव नारायण सिंह रावत बॉलीवुड कालाकर
राजू बजरंगी हिंदी फिल्म के डायरेक्टर और कलाकार


वीओ2- वही फिल्म के डायरेक्टर सुनील घिण्डियाल ने बताया कि आज के समय पर समाज में यह बुराई बहुत ज्यादा हो गई है, जो कि हमारे जन्मदाता हैं एक समय के बाद हमें वह बोझ लगने लग जाते हैं, यह काफी हद तक एक भौतिकवाद कारण बनता जा रहा है, फिल्म में दिखाया गया है कि मां-बाप ने हमें पाल पोस कर बड़ा किया जब बूढ़े हो जाते हैं तो हम उनका तिरस्कार करने लग जाते हैं, उसके बाद वह कहां जाएंगे, उन्होंने पूरी जिंदगी भर अपने बच्चों को पालने पोसने और पढ़ाने अपना सारा कुछ लुटा दिया है, तिनका तिनका कर उन्होंने घोंसला बनाया और हमें पाल पोस कर बड़ा किया है लेकिन एक समय वह आता है कि हम घोसले से नहीं उडते हैं उन्हें घोसले से भगा देते हैं इस फिल्म के द्वारा हमारा मकसद है कि आज का नवयुवक फिल्म को देखकर कुछ सीखे, जैसे कि एक मां बाप अपने चार बच्चों को पाल पोस कर बड़ा करते है, लेकिन चार बच्चे अपने मां बाप को नहीं पाल सकते यह हम इस फिल्म के द्वारा संदेश देना चाहते हैं।

बाइट सुनील घिण्डियाल डारेक्टर


Conclusion:
Last Updated : Oct 5, 2019, 7:45 PM IST
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