कोटद्वारः नगर के एक वेडिंग प्वाइंट में '2nd Inning' गढ़वाली लघु फिल्म रिलीज की गई है. इस फिल्म में आधुनिकता के चलते बुजुर्गों के साथ उनके बच्चों के द्वारा किए जाने वाले दुर्व्यवहार और तिरस्कार को दिखाया गया है. फिल्म निर्माताओं का कहना है अकसर माता-पिता के बूढ़े हो जाने पर उन्हें उन्हें सम्मान नहीं दिया जाता है. जो वर्तमान के ज्वलंत मुद्दा बन गया है. ऐसे में ये फिल्म समाज में एक बदलाव लाने का काम करेगी.
कोटद्वार के एक वेडिंग प्वाइंट में आयोजित कार्यक्रम में गोल्ड लाइन फिल्म के द्वारा बनाई गई '2nd Inning' सेकंड इनिंग यानि (दूसरी पारी) शॉर्ट फिल्म को यू-ट्यूब पर रिलीज किया गया. यह लघु फिल्म आधी उम्र पार कर चुके उस व्यक्ति पर बनाई गई. जिसका तिरस्कार उसके बच्चों द्वारा किया जाता है. यह लघु फिल्म वर्तमान में आधुनिकता के चलते बुजुर्गों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और तिरस्कार पर केंद्रित है. जो पूरी तरह गढ़वाली बोली में है.
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इस फिल्म में दिखाया गया है कि जब बेटे अपने मां-बाप को बूढ़े होने पर तिरस्कार करते हैं तो एक बूढ़े पिता अपने घर को ही एक वृद्धाश्रम बना देते हैं. जहां पर वो उन सभी बेसहारा वृद्ध लोगों को अपने घर में सहारा देते हैं. जिनके परिजनों ने उन्हें बुढ़ापे के समय घर से बाहर धकेल दिया था. ऐसे में ये फिल्म समाज को आईना दिखाने का काम कर रहा है. खासतौर जो बुजुर्गों को एक बोझ समझते हैं.
हिंदी फिल्म राजू बजरंगी के डायरेक्टर और कलाकार शिव नारायण सिंह रावत का कहना है कि उन्होंने सेकेंड इनिंग फिल्म में एक ज्वलंत को मुद्दा उठाया गया है. मां-बाप के बूढ़े हो जाने पर समाज में उन्हें सम्मान नहीं दिया जाता है. जो समाज की एक बड़ी बुराई बन चुकी है. उन्होंने इस फिल्म के जरिए बच्चों के संस्कार पर भी बल दिया गया है.
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वहीं, सेकंड इनिंग फिल्म के डायरेक्टर सुनील घिल्डियाल ने बताया कि आज के समय में समाज में एक बुराई काफी प्रचलित हो चुकी है. हम अपने जन्मदाता को एक समय के बाद बोझ समझते हैं. यह काफी हद तक एक भौतिकवाद कारण बनता जा रहा है. इस फिल्म का मकसद युवा पीढ़ियों को प्रेरित करना है.