ETV Bharat / state

गढ़वाल मंडल में खाक हुई 39.15 हेक्टेयर वन संपदा, अलर्ट पर फॉरेस्ट विभाग - Nagdev Range of Pauri

प्रदेश में लगातार वनाग्नि की घटनाएं बढ़ रही हैं. फायर सीजन शुरू होने के बाद गढ़वाल मंडल में अभी तक वनाग्नि की 19 घटनाएं दर्ज की गई हैं. ऐसे में वन महकमा वनाग्नि की घटनाओं से निपटने के लिए लगातार अलर्ट मोड पर है.

srinagar
श्रीनगर
author img

By

Published : Apr 11, 2022, 12:40 PM IST

श्रीनगर: प्रदेश में लगातार वनाग्नि की घटनाएं तापमान बढ़ाने का काम कर रही हैं. ऐसे में भीषण गर्मी लोगों को झुलसा रही है. गढ़वाल डिवीजन में फायर सीजन शुरू होने के बाद अभी तक वनाग्नि की 19 घटनाएं दर्ज की गई हैं. इसमें 39.15 हेक्टेयर की वन संपदा जल कर खाक हो गयी है. हालांकि, वन विभाग वनाग्नि की घटनाओं पर खुद को हमेशा की तरह चौकन्ना बता रहा है. लेकिन जिस तरह वनाग्नि की घटनाएं बढ़ रही हैं वो विभाग की पोल भी खोल रही हैं.

दरअसल, सड़क के इर्द-गिर्द गिरने वाली सूखी चीड़ और बांज की पत्तियां वनाग्नि का मुख्य कारण बनती हैं. सड़क किनारे लगी आग जंगल तक पहुंचती है. फिर देखते ही देखते वनाग्नि अपना विकराल रूप ले लेती है. ऐसे में वन विभाग को काफी सतर्कता की जरूरत होती है. वहीं, वनकर्मी सुबह सड़कों के किनारे पड़ी सूखी पत्तियों को लगातार हटाने में जुटे हैं.

साथ ही उन शरारती लोगों पर भी नजर रख रहे हैं, जिनकी वजह से जंगलों में आग की घटनाएं होती हैं. सड़क पर या सड़क किराने जलती बीड़ी-सिगरेट फेंकने वालों पर वन विभाग की पैनी नजर है. ऐसे लोगों पर भी नजर है, जो वनाग्नि की घटनाओं को जबरन अंजाम देते हैं.
पढ़ें- उत्तरकाशी के वरुणावत जंगल में लगी भीषण आग, लाचार दिखा वन महकमा

नागदेव रेंज के वन क्षेत्राधिकारी अनिल भट्ट ने बताया कि इस बार वनकर्मी अधिक सर्तकता बरत रहे हैं. यही वजह है कि उनकी रेंज में अब तक वनाग्नि की घटनायें नहीं हई हैं. अनिल भट्ट ने बताया कि वनकर्मियों के साथ ही फायर वाचर भी संवेदनशील क्षेत्र में लगाये गये हैं, जो वनाग्नि की घटनाओं की सूचना मिलते ही तत्काल वनाग्नि को रोकने के लिये मौके पर पहुंचेंगे.

श्रीनगर: प्रदेश में लगातार वनाग्नि की घटनाएं तापमान बढ़ाने का काम कर रही हैं. ऐसे में भीषण गर्मी लोगों को झुलसा रही है. गढ़वाल डिवीजन में फायर सीजन शुरू होने के बाद अभी तक वनाग्नि की 19 घटनाएं दर्ज की गई हैं. इसमें 39.15 हेक्टेयर की वन संपदा जल कर खाक हो गयी है. हालांकि, वन विभाग वनाग्नि की घटनाओं पर खुद को हमेशा की तरह चौकन्ना बता रहा है. लेकिन जिस तरह वनाग्नि की घटनाएं बढ़ रही हैं वो विभाग की पोल भी खोल रही हैं.

दरअसल, सड़क के इर्द-गिर्द गिरने वाली सूखी चीड़ और बांज की पत्तियां वनाग्नि का मुख्य कारण बनती हैं. सड़क किनारे लगी आग जंगल तक पहुंचती है. फिर देखते ही देखते वनाग्नि अपना विकराल रूप ले लेती है. ऐसे में वन विभाग को काफी सतर्कता की जरूरत होती है. वहीं, वनकर्मी सुबह सड़कों के किनारे पड़ी सूखी पत्तियों को लगातार हटाने में जुटे हैं.

साथ ही उन शरारती लोगों पर भी नजर रख रहे हैं, जिनकी वजह से जंगलों में आग की घटनाएं होती हैं. सड़क पर या सड़क किराने जलती बीड़ी-सिगरेट फेंकने वालों पर वन विभाग की पैनी नजर है. ऐसे लोगों पर भी नजर है, जो वनाग्नि की घटनाओं को जबरन अंजाम देते हैं.
पढ़ें- उत्तरकाशी के वरुणावत जंगल में लगी भीषण आग, लाचार दिखा वन महकमा

नागदेव रेंज के वन क्षेत्राधिकारी अनिल भट्ट ने बताया कि इस बार वनकर्मी अधिक सर्तकता बरत रहे हैं. यही वजह है कि उनकी रेंज में अब तक वनाग्नि की घटनायें नहीं हई हैं. अनिल भट्ट ने बताया कि वनकर्मियों के साथ ही फायर वाचर भी संवेदनशील क्षेत्र में लगाये गये हैं, जो वनाग्नि की घटनाओं की सूचना मिलते ही तत्काल वनाग्नि को रोकने के लिये मौके पर पहुंचेंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.