हल्द्वानी: आज पूरे विश्व में विश्व साइकिल दिवस मनाया जा रहा है. आम हो या खास हर कोई इसे आवाजाही की बेहतरीन सवारी मानता है. जो पर्यावरण संरक्षण के लिए भी काफी अनुकूल होती है. वहीं समय के साथ इसमें कई बदलाव किए गए, लेकिन इसकी लोकप्रियता आज भी पहले जैसी ही है. साइकिल दिवस को मनाने का उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देना और स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करना है.
साइकिल का इतिहास
साइकिल का इतिहास कई साल पुराना है. सन् 1418 में चार पहिया की लकड़ी की साइकिल का ईजाद हुआ था, लेकिन 400 साल तक इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. 1813 में ड्रेस नी ने चार पहिये वाली साइकिल को बदलकर उसे दो पहिये वाली साइकिल में तब्दील कर दिया. अविष्कार काफी लोकप्रिय हुआ साइकिल का निर्माण तो कर दिया था लेकिन साइकिल को पैरों से थकेलना पड़ता था, जो काफी थका देने वाला होता था.
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1865 ई. में पेरिस निवासी लालेमेंट ने पैडल युक्त पहिए का आविष्कार किया था. इस यंत्र को वेलॉसिपीड कहते थे. इसकी बढ़ती मांग को देखकर इंग्लैंड, फ्रांस और अमेरिका ने इसमें अनेक महत्वपूर्ण सुधार कर सन् 1872 में एक सुंदर रूप दे दिया. साथ ही इसमें लोहे की पतली पट्टी के तानयुक्त पहिए लगा दिए. इसको खत्म करने के लिए 1839 मैकमिलन नाम के लोहार ने साइकिल में पैडल का निर्माण किया.
डॉक्टरों के अनुसार, एक मनुष्य प्रतिदिन आधे घंटे साइकिल चलाने से स्वस्थ रह सकता है. साइकिल चलाने से उच्च रक्तचाप, हृदय गति, मोटापा जैसी गंभीर बीमारी को कम किया जा सकता है. साथ ही साइकिल चलाने से शरीर के सभी अंगो का संचार होता है, जिससे मांसपेशियों और नसों में मजबूती मिलती है. वहीं, ट्रैफिक के दबाव कम होने के साथ पर्यावरण का संरक्षण भी किया जा सकता है.