हल्द्वानी: प्रदेश सरकार किसानों से हर साल गेहूं की भारी मात्रा में खरीद करती है. इस साल गेहूं की खरीद नहीं होने से प्रदेश में गेहूं का संकट खड़ा हो सकता है, क्योंकि आरएफसी (Regional Food Controller) इस साल पूरे प्रदेश में 2.20 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद के सापेक्ष में मात्र 1,881 मीट्रिक टन ही गेहूं की खरीद कर पाया है, जिसके चलते आरएससी के गोदाम गेहूं से खाली हो चुके हैं. ऐसे में सरकार अब एफसीआई से गेहूं का उठान कर रही है.
प्रदेश सरकार ने इस साल आरएफसी को दो लाख 20 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य दिया था. लेकिन आरएफसी मात्र 1,881 मीट्रिक टन ही गेहूं की खरीद कर पाया है. राज्य सरकार ने कुमाऊं आरएफसी को 1 लाख 60 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य दिया था. इसके सापेक्ष में मात्र 714 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो पाई है. गढ़वाल में 60 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य दिया गया था. इसके सापेक्ष में 1167 मीट्रिक टन ही गेहूं की खरीद हो पाई है.
इस साल ज्यादा गेहूं खरीद नहीं होने के चलते प्रदेश के आरएफसी के गोदाम खाली हैं. राज्य सरकार को मात्र एक एफसीआई (Food Corporation of India) का ही सहारा है, जहां से गेहूं ले सकती है. ऐसे में प्रदेश सरकार अब गेहूं वितरण के लिए आरएफसी से गेहूं खरीद कर रही हैं.
क्षेत्रीय खाद्य नियंत्रक (आरएफसी) हरवीर सिंह का कहना है कि आरएफसी ने गेहूं खरीद के लिए आपने सभी कांटे लगाए थे, लेकिन किसान द्वारा गेहूं आरएफसी को देने के बजाय ओपन मार्केट में बेचा गया, जिसके चलते आरएफसी गेहूं खरीद नहीं पाया है. उन्होंने कहा कि गेहूं खरीदने के लिए किसानों को बोनस भी दिया गया था. उसके बावजूद भी किसानों ने अपने गेहूं को सरकारी केंद्रों पर ना बेच कर प्राइवेट में बेचा है, जिसके चलते सरकारी गेहूं की खरीद नहीं कर पायी है.
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किसानों ने RFC को इसलिए नहीं बेचा गेहूं: इस बार सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य ₹2015 प्रति क्विंटल रखा था. फिर भी किसानों ने सरकार को गेहूं नहीं बेचा. किसानों ने सीधे आढ़त या बाजार जाकर गेहूं को बेचा है. इस बार बाजार में किसानों को गेहूं के दाम भी अच्छे मिले हैं. किसानों ने ₹2100 से ₹2022 तक में गेहूं बेचा है. सबसे अहम बात यह कि किसानों को बाजार में गेहूं देने पर हाथों हाथ पैसा मिला है. जबकि सरकारी क्रय क्रेंद्रों पर गेहूं देने पर पैसा मिलने में थोड़ा समय लगता है. दूसरा यह कि उनको आरएफसी के केंद्रों पर जाकर लाइन लगानी पड़ती है.
रूस-यूक्रेन युद्ध बड़ा कारण: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण पूरे विश्व में गेहूं का संकट मंडराया है. क्योंकि रूस और यूक्रेन ही गेहूं के सबसे बड़े उत्पादक देश हैं. रूस ने ब्लैक सी में यूक्रेन के बंदरगाहों की घेराबंदी कर रखी है. ऐसे में यहां से एशिया को गेहूं की सप्लाई नहीं हो पा रही है. इससे विश्व बाजार में गेहूं की कीमतें बढ़ने लगी हैं. गेहूं का एक और बड़ा उत्पादक देश भारत भी है, जिसने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है. हाल ही में पीएम मोदी जापान में हुई क्वाड मीटिंग शामिल हुए जिसमें अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने सबसे पहले रूस-यूक्रेन जंग का मुद्दा उठाया. वह बोले कि रूस ने यूक्रेन पर गेहूं निर्यात करने से पाबंदी लगा दी है. इससे ग्लोबल फूड क्राइसिस खड़ा हो गया है. रूस इस जंग को जितना लंबा खीचेंगा यूएस अपने पार्टनर्स का उतना ही सहयोग करेगा.