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जमरानी बांध परियोजना प्रभावितों की सुनवाई, पुनर्वास के लिए 5 एकड़ भूमि की मांग

बहुप्रतीक्षित जमरानी बांध परियोजना के अंतर्गत आज प्रशासन ने प्रभावित परिवारों के विस्थापन और पुर्नवास मामले की सुनवाई की. इस सुनवाई के दौरान ग्रामीणों ने प्रशासन के समक्ष अपनी 11 सूत्रीय मांगों को रखा है. जिसमें उन्होंने पुर्नवास के लिए 1 एकड़ की बजाय 5 एकड़ भूमि दिए जाने की मांग की है.

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Published : Sep 24, 2022, 4:55 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल की बहुप्रतीक्षित जमरानी बांध परियोजना (Jamrani dam project) के अंतर्गत प्रभावित परिवारों के विस्थापन और पुनर्वास के मामले में आज हल्द्वानी डीएम कैंप कार्यालय में सुनवाई हुई. जहां परियोजना के जद में आ रहे ग्रामीणों ने अपनी मांग रखते हुए 11 सूत्रीय मांग प्रशासन के समक्ष रखी. जिसमें मुख्य रूप से विस्थापितों को पुनर्वास करने के लिए मकान के अलावा उनको 1 एकड़ के बजाय 5 एकड़ की भूमि दी जाने की मांग (demand for 5 acres of land for rehabilitation) प्रमुख है.

वहीं, इसके अलावा साल 2021 के बाद जिन व्यक्तियों की भूमि कृषि भूमि से अकृषि की गई है, उनको भी ए श्रेणी का मुआवजा दिया जाए. साथ ही ग्रामीणों ने मांग की कि धारा 11 के तहत आपत्तियों को निवारण किया जाए, जिससे वहां के लोगों को वर्तमान में मिलने वाली सरकारी सुविधाएं मिल सके. ग्रामीणों का कहना है कि धारा 11 के लागू हो जाने के बाद से उनके क्षेत्र के लोगों को किसी तरह की कोई सरकारी सुविधा नहीं मिल पा रही है. ऐसे में जमरानी बांध पुनर्वास के जद में आ रहे ग्रामीणों को तुरंत वहां से हटाकर उनको उचित मुआवजा देकर अन्य जगह पर विस्थापित किया जाए, जिससे कि वह सरकार की योजनाओं को उनको लाभ ले सके.

जमरानी बांध परियोजना प्रभावितों की सुनवाई.

पढ़ें- उत्तराखंड में बिना मान्यता संचालित हो रहे 500 से ज्यादा मदरसे, सर्वे में बताना होगा शैक्षिक पैटर्न

ग्रामीणों ने सुनवाई के दौरान कहा कि जमरानी बांध और योजना के पक्ष में ग्रामीण है लेकिन पिछले कई सालों से इस योजना के नाम पर ग्रामीणों को लटकाया गया है. उनका विस्थापन नहीं हो पा रहा है और न ही उनको किसी तरह की कोई सुविधा उपलब्ध हो पा रही है. जिससे ग्रामीण असमंजस की स्थिति में हैं. ऐसे में सरकार को चाहिए कि जमरानी बांध में जो भी कार्रवाई हो उसमें तेजी लाएं, जिससे उन्हें राहत मिल सके.

वहीं, अपर जिला अधिकारी अशोक जोशी (Additional District Officer Ashok Joshi) ने बताया कि ग्रामीणों की समस्याओं को सुना जा रहा है. कई मांगों पर सहमति बन चुकी है लेकिन कुछ मांगे हैं जिनका शासन स्तर पर ही निस्तारण होना है. उन्होंने कहा कि जमरानी बांध परियोजना के अंतर्गत 1339 परिवार जद में आ रहे हैं. जिनका विस्थापन होना है. इसके लिए तीन कैटेगरी A, B और C बनाई गई है और इन्हीं कैटेगरी के हिसाब से इनको मुआवजा दिया जाना है.

पढ़ें- अंकिता भंडारी मर्डर केस: सीएम धामी बोले- मन बहुत व्यथित, बख्शा नहीं जाएगा कोई भी अपराधी

गौरतलब है कि उत्तराखंड की कुमाऊं मंडल की महत्वाकांक्षी परियोजना जमरानी बांध की कार्रवाई शुरू हो चुकी है. केंद्र सरकार के सहयोग से जमरानी बांध का निर्माण होना है. जहां बांध के माध्यम से कुमाऊं मंडल के तराई हिस्से को सिंचाई और पेयजल उपलब्ध कराने के अलावा बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. जमरानी बहुउद्देशीय परियोजना तराई भाबर की लाइफ लाइन होगी. करीब 9 किलोमीटर लंबी 130 मीटर चौड़े और 485 मीटर ऊंचे बांध का निर्माण होना है. जहां 14 मेगावाट विद्युत उत्पादन के साथ साथ पेयजल और सिंचाई भी उपलब्ध होगी.

हल्द्वानी: उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल की बहुप्रतीक्षित जमरानी बांध परियोजना (Jamrani dam project) के अंतर्गत प्रभावित परिवारों के विस्थापन और पुनर्वास के मामले में आज हल्द्वानी डीएम कैंप कार्यालय में सुनवाई हुई. जहां परियोजना के जद में आ रहे ग्रामीणों ने अपनी मांग रखते हुए 11 सूत्रीय मांग प्रशासन के समक्ष रखी. जिसमें मुख्य रूप से विस्थापितों को पुनर्वास करने के लिए मकान के अलावा उनको 1 एकड़ के बजाय 5 एकड़ की भूमि दी जाने की मांग (demand for 5 acres of land for rehabilitation) प्रमुख है.

वहीं, इसके अलावा साल 2021 के बाद जिन व्यक्तियों की भूमि कृषि भूमि से अकृषि की गई है, उनको भी ए श्रेणी का मुआवजा दिया जाए. साथ ही ग्रामीणों ने मांग की कि धारा 11 के तहत आपत्तियों को निवारण किया जाए, जिससे वहां के लोगों को वर्तमान में मिलने वाली सरकारी सुविधाएं मिल सके. ग्रामीणों का कहना है कि धारा 11 के लागू हो जाने के बाद से उनके क्षेत्र के लोगों को किसी तरह की कोई सरकारी सुविधा नहीं मिल पा रही है. ऐसे में जमरानी बांध पुनर्वास के जद में आ रहे ग्रामीणों को तुरंत वहां से हटाकर उनको उचित मुआवजा देकर अन्य जगह पर विस्थापित किया जाए, जिससे कि वह सरकार की योजनाओं को उनको लाभ ले सके.

जमरानी बांध परियोजना प्रभावितों की सुनवाई.

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ग्रामीणों ने सुनवाई के दौरान कहा कि जमरानी बांध और योजना के पक्ष में ग्रामीण है लेकिन पिछले कई सालों से इस योजना के नाम पर ग्रामीणों को लटकाया गया है. उनका विस्थापन नहीं हो पा रहा है और न ही उनको किसी तरह की कोई सुविधा उपलब्ध हो पा रही है. जिससे ग्रामीण असमंजस की स्थिति में हैं. ऐसे में सरकार को चाहिए कि जमरानी बांध में जो भी कार्रवाई हो उसमें तेजी लाएं, जिससे उन्हें राहत मिल सके.

वहीं, अपर जिला अधिकारी अशोक जोशी (Additional District Officer Ashok Joshi) ने बताया कि ग्रामीणों की समस्याओं को सुना जा रहा है. कई मांगों पर सहमति बन चुकी है लेकिन कुछ मांगे हैं जिनका शासन स्तर पर ही निस्तारण होना है. उन्होंने कहा कि जमरानी बांध परियोजना के अंतर्गत 1339 परिवार जद में आ रहे हैं. जिनका विस्थापन होना है. इसके लिए तीन कैटेगरी A, B और C बनाई गई है और इन्हीं कैटेगरी के हिसाब से इनको मुआवजा दिया जाना है.

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गौरतलब है कि उत्तराखंड की कुमाऊं मंडल की महत्वाकांक्षी परियोजना जमरानी बांध की कार्रवाई शुरू हो चुकी है. केंद्र सरकार के सहयोग से जमरानी बांध का निर्माण होना है. जहां बांध के माध्यम से कुमाऊं मंडल के तराई हिस्से को सिंचाई और पेयजल उपलब्ध कराने के अलावा बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. जमरानी बहुउद्देशीय परियोजना तराई भाबर की लाइफ लाइन होगी. करीब 9 किलोमीटर लंबी 130 मीटर चौड़े और 485 मीटर ऊंचे बांध का निर्माण होना है. जहां 14 मेगावाट विद्युत उत्पादन के साथ साथ पेयजल और सिंचाई भी उपलब्ध होगी.

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