हल्द्वानीः हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन लोगों को मानसिक बीमारी से दूर रहने के लिए जागरुक किया जाता है, लेकिन बदलते दौर में लगातार लोग मानसिक बीमारी के शिकार हो रहे हैं. इसी कड़ी में कुमाऊं मंडल में मानसिक रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. हल्द्वानी के सबसे बड़े अस्पताल सुशीला तिवारी अस्पताल में हर महीने 15 सौ से दो हजार तक मानसिक रोगी पहुंच रहे हैं. जिसमें सबसे ज्यादा संख्या महिलाओं की है.
सुशीला तिवारी अस्पताल के मानसिक रोग विशेषज्ञ जीएस गोदियाल ने बताया कि भाग दौड़ भरी जिंदगी और बदलते समय के अनुसार लोग डिप्रेशन व तनाव के चलते धीरे-धीरे मानसिक रोग से ग्रसित हो रहे हैं. ऐसे में अब लोगों को इसके प्रति जागरुक होना पड़ेगा और स्वस्थ जीवन जीने के लिए तनाव मुक्त होना पड़ेगा.
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डॉक्टर गोदियाल के मुताबिक, सुशीला तिवारी अस्पताल में हर महीने करीब 15 सौ से 2 हजार मरीज मानसिक रोग से ग्रसित या डिप्रेशन के शिकार इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं. जो एक चिंता का विषय है. उन्होंने बताया कि इस समय सबसे ज्यादा डिप्रेशन की शिकार महिलाएं हो रही हैं. क्योंकि, महिलाओं का हार्मोन्स के साथ पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियां ज्यादा होती हैं. ऐसे में महिला मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है.
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वहीं, डॉक्टर गोदियाल का कहना है कि नशे करने वाला व्यक्ति भी मानसिक रूप से ग्रस्त हो जाता है. मानसिक रोग की शुरुआती लक्षण चिड़चिड़ापन होना, नींद नहीं आना, बात-बात पर लड़ाई-झगड़ा करना, परिवार में क्लेश पैदा करना, हिंसक व्यवहार करना और पीड़ित का अकेलापन इसका मुख्य लक्षण है. ऐसे में समय रहते मरीज का मानसिक और शारीरिक इलाज किया जाए तो मानसिक रोग के लक्षण से बचा जा सकता है.