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उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस: 19 साल बाद भी नहीं पूरे हो पाए आंदोलनकारियों के सपने

उत्तराखंड बनते समय राज्य आंदोलनकारियों की अवधारणा थी कि उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड को एक पहाड़ी राज्य बनाया जाएगा. जिससे उत्तराखंड के दूरस्थ गांवों का विकास होगा और ग्रामीणों को अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए दर-दर नहीं भटकना पडे़गा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.

उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस
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Published : Nov 9, 2019, 8:25 PM IST

नैनीताल: नौ नवंबर को उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के मौके पर राजधानी देहरादून समेत प्रदेश के सभी जिलों में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. लेकिन एक सवाल जो अक्सर राज्य स्थापना दिवस के दिन उठता है वो ये है कि क्या यूपी से अलग होकर जिस पहाड़ी राज्य का गठन किया गया था, वैसा सपनों का उत्तराखंड बन पाया है.

कहते हैं ना कि सपने आखिर सपने ही रहते हैं यह कहावत उत्तराखंड राज्य के लिए एकदम सटीक साबित हो रही है. क्योंकि 19 साल बाद भी आज तक राज्य आंदोलनकारियों और ग्रामीणों के वे सपने पूरे नहीं हो पाए, जो उन्होंने राज्य गठन से पहले देखे थे.

19 साल बाद भी नहीं पूरे हो पाए आंदोलनकारियों के सपने.

उत्तराखंड राज्य की स्थापना इसलिए की गई थी कि राज्य बनने के बाद यहां के ग्रामीण इलाकों का समूचा विकास हो सके और गांवों से हो रहे पलायन पर रोक लगे. लेकिन आज तक उत्तराखंड के आंदोलनकारियों का कोई भी सपना पूरा नहीं हो सका. शायद इसीलिए कहा जा रहा है कि राज्य गठन के 19 साल भी सपनों का उत्तराखंड नहीं बन पाया. आज भी पहाड़ी जिलों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है.

पढें- पलायन की मार झेल रहा अनिल बलूनी का गांव, चिंतित परिजनों ने साझा की बातें

उत्तराखंड बनते समय राज्य आंदोलनकारियों की अवधारणा थी कि उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड को एक पहाड़ी राज्य बनाया जाएगा. जिससे उत्तराखंड के दूरस्थ गांवों का विकास होगा और ग्रामीणों को अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए दर-दर नहीं भटकना पडे़गा, लेकिन ऐेसा कुछ नहीं हुआ.

राज्य आंदोलनकारी रमेश पांडे और रईस अंसारी का कहना है कि प्रदेश में बारी-बारी से कांग्रेस और बीजेपी की सरकार आई है. लेकिन कोई सी भी सरकार प्रदेशवासियों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी. 19 सालों में उत्तराखंड में जितना विकास होना चाहिए था उतना नहीं हुआ. यहीं कारण है कि 19 साल बाद भी गांव से पलायन नहीं रुका. मूलभूत सुविधाओं के अभाव में गांव खाली हो रहे है.

हालांकि, सत्ताधारी दल बीजेपी के नेता आंदोलनकारी की बातों से इत्तेफाक नहीं रखते है. नैनीतास से बीजेपी विधायक संजीव आर्य का कहना है कि इन 19 सालों में उत्तराखंड का विकास हुआ है. आज गांव में स्वास्थ्य, शिक्षा और सड़क जैसी सभी मूलभूत सुविधाओं पहुंची है. जिसका ग्रामीणों को लाभ मिल रहा है. अभी कुछ स्थानों पर स्थिति अच्छी नहीं है. वहां भी काम किया जा रहा है. आंदोलनकारी और प्रदेशवासियों के जो सपना देखा वो जरूर पूरा होगा.

नैनीताल: नौ नवंबर को उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के मौके पर राजधानी देहरादून समेत प्रदेश के सभी जिलों में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. लेकिन एक सवाल जो अक्सर राज्य स्थापना दिवस के दिन उठता है वो ये है कि क्या यूपी से अलग होकर जिस पहाड़ी राज्य का गठन किया गया था, वैसा सपनों का उत्तराखंड बन पाया है.

कहते हैं ना कि सपने आखिर सपने ही रहते हैं यह कहावत उत्तराखंड राज्य के लिए एकदम सटीक साबित हो रही है. क्योंकि 19 साल बाद भी आज तक राज्य आंदोलनकारियों और ग्रामीणों के वे सपने पूरे नहीं हो पाए, जो उन्होंने राज्य गठन से पहले देखे थे.

19 साल बाद भी नहीं पूरे हो पाए आंदोलनकारियों के सपने.

उत्तराखंड राज्य की स्थापना इसलिए की गई थी कि राज्य बनने के बाद यहां के ग्रामीण इलाकों का समूचा विकास हो सके और गांवों से हो रहे पलायन पर रोक लगे. लेकिन आज तक उत्तराखंड के आंदोलनकारियों का कोई भी सपना पूरा नहीं हो सका. शायद इसीलिए कहा जा रहा है कि राज्य गठन के 19 साल भी सपनों का उत्तराखंड नहीं बन पाया. आज भी पहाड़ी जिलों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है.

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उत्तराखंड बनते समय राज्य आंदोलनकारियों की अवधारणा थी कि उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड को एक पहाड़ी राज्य बनाया जाएगा. जिससे उत्तराखंड के दूरस्थ गांवों का विकास होगा और ग्रामीणों को अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए दर-दर नहीं भटकना पडे़गा, लेकिन ऐेसा कुछ नहीं हुआ.

राज्य आंदोलनकारी रमेश पांडे और रईस अंसारी का कहना है कि प्रदेश में बारी-बारी से कांग्रेस और बीजेपी की सरकार आई है. लेकिन कोई सी भी सरकार प्रदेशवासियों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी. 19 सालों में उत्तराखंड में जितना विकास होना चाहिए था उतना नहीं हुआ. यहीं कारण है कि 19 साल बाद भी गांव से पलायन नहीं रुका. मूलभूत सुविधाओं के अभाव में गांव खाली हो रहे है.

हालांकि, सत्ताधारी दल बीजेपी के नेता आंदोलनकारी की बातों से इत्तेफाक नहीं रखते है. नैनीतास से बीजेपी विधायक संजीव आर्य का कहना है कि इन 19 सालों में उत्तराखंड का विकास हुआ है. आज गांव में स्वास्थ्य, शिक्षा और सड़क जैसी सभी मूलभूत सुविधाओं पहुंची है. जिसका ग्रामीणों को लाभ मिल रहा है. अभी कुछ स्थानों पर स्थिति अच्छी नहीं है. वहां भी काम किया जा रहा है. आंदोलनकारी और प्रदेशवासियों के जो सपना देखा वो जरूर पूरा होगा.

Intro:Summry

उत्तराखंड बनने के 19 साल बाद भी नहीं बन सका सपनों का उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने सरकारों पर लगाया उपेक्षा का आरोप।

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कहते हैं ना कि सपने आखिर सपने ही रहते हैं यह कहावत उत्तराखंड राज्य के लिए एकदम सटीक साबित हो रही है क्योंकि 19 साल बाद भी आज तक राज्य आंदोलनकारियों और उत्तराखंड के ग्रामीण अंचलों में रहने वाले लोगों का सपना पूरा नहीं हो सका, उत्तराखंड राज्य की स्थापना इसीलिए की गई थी की उत्तराखंड राज्य बने और यहां के ग्रामीण अंचलों का समूचा विकास हो सके और गांव में हो रहे पलायन पर रोक लगे लेकिन आज तक उत्तराखंड के आंदोलनकारियों का कोई भी सपना पूरा नहीं हो सका इसीलिए कहा जा रहा है,,,
आज भी अधूरा है सपनों का उत्तराखंड क्या कभी बन पाएगा सपनों का उत्तराखंड और मिल पाएंगी ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं जिससे रुकेगा उत्तराखंड का पलायन।


Body:भले ही आज उत्तराखंड को बने 19 साल पूरे होने जा रहे हो लेकिन इन 19 सालों में भी उत्तराखंड बनने की जो मूल अवधारणाएं थी वो आज भी पूरी नहीं हो सकी है और यही कारण है कि राज्य आंदोलनकारीयो को सपनों के उत्तराखंड का इंतजार है,,
उत्तराखंड बनते समय राज्य आंदोलनकारियों की अवधारणा थी कि उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड को एक पहाड़ी राज्य बनाया जाएगा, जिससे उत्तराखंड के दूरस्थ गांवों का विकास होगा और ग्रामीण अपनी मूलभूत सुविधाएं के लिए दर-दर नहीं भटकेगी लेकिन आज भी राज्य आंदोलनकारियों का सपना साकार नहीं हो सका यही कारण है कि राज्य आंदोलनकारी उत्तराखंड में बारी-बारी से आई कांग्रेस और भाजपा सरकार पर वादाखिलाफी करने का आरोप लगा रहे हैं, और कह रहे हैं कि दोनों ही सत्ताधारी पार्टियों ने बारी-बारी से उत्तराखंड मैं सत्ता हासिल की लेकिन उत्तराखंड का विकास नहीं किया और आज भी गांव खाली होते जा रहे हैं प्रदेश में स्वास्थ्य शिक्षा और रोजगार की स्थिति बेहद बदहाल हो चुकी है लेकिन इसके बावजूद भी राज्य सरकार इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही ताकि उत्तराखंड की बदहाल स्थिति को सुधारा जा सके।

बाईट- रमेश पांडे राज्य आंदोलनकारी
बाईट- रईस अंसारी राज्य आंदोलनकारी।


Conclusion:वहीं उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों के विकास ना होने के मामले पर नैनीताल के विधायक संजीव आर्य ने कहा कि इन 19 सालों में उत्तराखंड का विकास हुआ है और आज गांव में स्वास्थ्य शिक्षा समय सड़क की समूची व्यवस्था है उसका ग्रामीण लाभ भी ले रहे हैं हालांकि अभी कुछ स्थानों पर बधाई जैसी स्थिति है लेकिन उसको भी समय रहते पूरा कर लिया जाएगा और उत्तराखंड निर्माण समय जो सपना लोगों ने देखा था वह जरूर पूरा होगा अब यह तो वक्त ही बताएगा कि विधायक जी द्वारा करें जय दावे का पूरे होते हैं।

बाईट- संजीव आर्य विधायक नैनीताल।
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