हल्द्वानी: उत्तराखंड के किसानों के लिए अच्छी खबर है.अगर आप पॉलीहाउस के माध्यम से बागवानी कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं तो सरकार आपको 80% की छूट में पॉलीहाउस लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. यही नहीं पॉलीहाउस निर्माण में 80% की छूट के साथ उसमें फल सब्जी सहित अन्य उत्पादन लगाने पर भी 80% की छूट दे रही है. इस योजना के लाभ उठाने के लिए जिले के बागवानी विभाग के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं.
यदि आप उत्तराखंड राज्य के मूल निवासी हैं और उत्तराखंड पॉलीहाउस योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करना चाहते है तो जिसके लिए जमीन की आवश्यकता पड़ेगी. किसानों के पास पॉलीहाउस लगाने के लिए अपनी खुद की जमीन होनी चाहिए. उत्तराखंड सरकार अब हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में खेती व बागवानी को रोजगार के तहत बढ़ावा देने जा रही है. जिसके तहत इस वर्ष पूरे राज्य में करीब 17000 हाउस के माध्यम से किसने और युवाओं को रोजगार देने जा रही है, जिसके तहत नैनीताल जनपद में करीब 1 हजार 9 सौ 40 पॉलीहाउस बनाए जाने हैं.
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जिला बागवानी अधिकारी आरके सिंह ने बताया कि उत्तराखंड सरकार ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत इस योजना के तहत युवाओं और कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों को 80% अनुदान के तहत पॉलीहाउस लगाने के साथ-साथ प्लांटिंग मैटेरियल पर भी 80% की छूट देने जा रही है. जिससे लोग अधिक से अधिक पॉलीहाउस के माध्यम से फल, सब्जी, और फूलों का उत्पादन कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि काश्तकारों के पास उपलब्ध भूमि के उपलब्धता के अनुसार उनको पॉलीहाउस लगाने का प्रोत्साहित किया जा रहा है. पहाड़ी क्षेत्र के किसानों के लिए 50 वर्ग मीटर से लेकर 500 वर्ग मीटर तक,जबकि तराई के किसानों के लिए 100 वर्ग मीटर से लेकर 500 वर्ग मीटर की भूमि की उपलब्धता वाले पॉली हाउस लगा सकते हैं.
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योजना के तहत किसान अपने पॉलीहाउस में बेमौसमी सब्जी, फल और फूलों की खेती कर सकते हैं जिससे कि किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके.उत्तराखंड के किसान Uttarakhand Polyhouse Scheme 2023 के तहत उत्तराखंड पॉलीहाउस योजना की आधिकारिक वेबसाइट shm.uk.gov.in पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इसके अलावा अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं. उद्यान विभाग के अनुसार योजना का लाभ उठाने वाला आवेदक उत्तराखंड राज्य में स्थायी रूप से निवासी होना चाहिए. किसान के पास स्वयं की भूमि होनी चाहिए और किसानों के बाद सिंचाई साधन होने चाहिए.