नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने देहरादून, हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर में सालों से न्यायालयों में किए जा रहे कार्य बहिष्कार को बेहद गंभीरता से लिया है. मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश एनएस धानिक की खंडपीठ ने माना कि तीनों जिलों में अधिवक्ताओं की हड़ताल से वादकारियों को समय से न्याय नहीं मिल पा रहा है. साथ ही हड़ताल करना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से तीनों जिलों के अधिवक्ताओं की सूची तलब की है, जो हाई कोर्ट में प्रेक्टिस करते हैं.
पढ़ें- विधानसभा चुनाव में दिखाए तेवर और छोड़ी दी पार्टी, अब लोकसभा चुनाव में कर रहे घर वापसी
बता दें कि देहरादून निवासी ईश्वर सांडिल्य ने साल 2016 में कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था दून बार एसोसिएशन द्वारा पिछले 34 साल से हर शनिवार को हड़ताल की जा रही है. जिससे न्याय प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है. इस वजह से वादकारियों को समय से न्याय नहीं मिल रहा है. अधिवक्ताओं ने शनिवार को हड़ताल कर अवकाश का दिन मान लिया है.
पढ़ें- PM मोदी की सभा के लिए सिलवाई गई विशेष जैकेट, देखें वीडियो
याचिकाकर्ता ने उत्तराखंड के समस्त बार एसोसिएशन, हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, स्टेट बार काउंसिल, बार कॉउंसिल ऑफ इंडिया को याचिका में पक्षकार बनाया है. पूर्व में कोर्ट ने तीनों जिलों के जिला एवं सत्र न्यायाधीशों से जिला बार एसोसिएशन द्वारा पिछले कई सालों में की गई हड़तालों का ब्यौरा तलब किया है. कोर्ट ने हड़ताल को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करार दिया है. साथ ही इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार नियत की है.