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उत्तराखंड रोडवेज के कर्मचारियों को बड़ी राहत, जबरन रिटायर करने पर HC ने लगाई रोक

उत्तराखंड परिवहन निगम के ड्राइवरों और कंडक्टरों को उत्तराखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने परिवहन निगम के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें 55 साल से ऊपर के कर्मचारियों को जबरन रिटायर का आदेश दिया जा रहा है.

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Published : Dec 21, 2022, 10:05 PM IST

ऋषिकेश: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तराखंड परिवहन निगम के ड्राइवरों और कंडक्टरों की अनिवार्य सेवानिवृत्त के मामले पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने उत्तराखंड परिवहन निगम के 22 सितंबर के अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश पर रोक लगा दी है.

मामले के अनुसार देहरादून निवासी भगवान सिंह, सुभाष चंद्र बढोला, जगमोहन और राजेंद्र कुमार सहित लगभग 20 अन्य ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उत्तराखंड परिवहन निगम ने 22 सितंबर 2022 को एक आदेश पारित किया था. आदेश में कार्यरत चालक, परिचालक एवं अन्य कर्मचारी जिनकी उम्र 55 से ऊपर हो गई है और कार्य करने में सक्षम नहीं है, उन्हें 23 दिसंबर 2022 को अनिवार्य सेवानिवृत्त ‌करने का जिक्र किया गया था.
पढ़ें- खतरे की जद में एशिया की दूसरी सबसे बड़ी रोपवे, मंडरा रहा लैंडस्लाइड का खतरा

याचिका में कहा कि वाहन संचालन के दौरान याचिकाकर्ताओं का एक्सीडेंट भी हुआ था, जिससे उन्हें चोटें भी आई थी. जिसके बाद बोर्ड के निरीक्षण के बाद सभी याचिकाकर्ताओं को असक्षम घोषित किया और अपने मूल पद पर कार्य न कर पाने के कारण विभाग ने उन्हें अलग-अलग पदों पर कार्य करवाया. याचिका में कहा कि इनके अधिकारियों द्वारा भी कोई आपत्ति नहीं की गई और ड्यूटी के दौरान इन सभी का आचरण भी अच्छा रहा, जिसके बाद कोर्ट ने‌ अनिवार्य सेवानिवृत्त के आदेश पर रोक लगा दी.

ऋषिकेश: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तराखंड परिवहन निगम के ड्राइवरों और कंडक्टरों की अनिवार्य सेवानिवृत्त के मामले पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने उत्तराखंड परिवहन निगम के 22 सितंबर के अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश पर रोक लगा दी है.

मामले के अनुसार देहरादून निवासी भगवान सिंह, सुभाष चंद्र बढोला, जगमोहन और राजेंद्र कुमार सहित लगभग 20 अन्य ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उत्तराखंड परिवहन निगम ने 22 सितंबर 2022 को एक आदेश पारित किया था. आदेश में कार्यरत चालक, परिचालक एवं अन्य कर्मचारी जिनकी उम्र 55 से ऊपर हो गई है और कार्य करने में सक्षम नहीं है, उन्हें 23 दिसंबर 2022 को अनिवार्य सेवानिवृत्त ‌करने का जिक्र किया गया था.
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याचिका में कहा कि वाहन संचालन के दौरान याचिकाकर्ताओं का एक्सीडेंट भी हुआ था, जिससे उन्हें चोटें भी आई थी. जिसके बाद बोर्ड के निरीक्षण के बाद सभी याचिकाकर्ताओं को असक्षम घोषित किया और अपने मूल पद पर कार्य न कर पाने के कारण विभाग ने उन्हें अलग-अलग पदों पर कार्य करवाया. याचिका में कहा कि इनके अधिकारियों द्वारा भी कोई आपत्ति नहीं की गई और ड्यूटी के दौरान इन सभी का आचरण भी अच्छा रहा, जिसके बाद कोर्ट ने‌ अनिवार्य सेवानिवृत्त के आदेश पर रोक लगा दी.

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