नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने पिथौरागढ़ में 14 साल की नाबालिग लड़की को बहला फुसला कर भगा ले जाने और उसके साथ गैंग रेप करने के मामले (Pithoragarh minor girl gang rape case) का खुद संज्ञान लेने वाली याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने एसएसपी पिथौरागढ़ को आदेश दिए हैं कि वे पहले नाबालिग पीड़िता को 24 घंटे सुरक्षा मुहैया कराए (police to provide security to victim) और फिर खुद घटना स्थल का दौरा कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें.
खंडपीठ ने जांच अधिकारी से जांच की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है. दो अन्य आरोपियों को शीघ्र गिरफ्तार करने को भी कहा. कोर्ट ने जिला प्रसाशन से पूछा है कि क्यों न इस मामले को क्राइम ब्रांच को भेज दिया जाये. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि इतना गम्भीर मामला होने के बाद भी पुलिस ने तत्परात नहीं दिखाई.
पढ़ें- पिथौरागढ़ में नाबालिग से गैंगरेप मामले में चढ़ा छात्रों का पारा, किया प्रदर्शन
राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. बाकि आरोपियों की जांच चल रही है. मामले के अनुसार कोर्ट ने एक शिकायती पत्र का स्वतः संज्ञान लिया, जिसमे कहा गया था कि विगत 1 मार्च 2022 को शिवरात्रि के दिन पिथौरागढ़ निवासी एक व्यक्ति ने अपनी 14 साल की नाबालिग लड़की के मंदिर जाने व वापस घर न आने की शिकायत थाने में दर्ज कराई थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी पिथौरागढ़ लोकेश्वर सिंह ने नाबालिग की तलाश के लिए जाजर देवल थाना प्रभारी के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम गठित की थी. पुलिस की टीम ने सम्भावित स्थानों में तलाशी अभियान चलाते हुए गुमशुदा पीड़िता को 6 मार्च 2022 को रावल गांव क्षेत्र से ढूंढ लिया था.
इसके बाद पुलिस ने नाबालिग का मेडिकल परीक्षण कराने के बाद उसे कोर्ट के समक्ष पेश किया और 164 में बयान दर्ज कराए. अपने बयानों में नाबालिग लड़की ने बताया कि उसको नशा देकर 6 लड़कों ने उसके साथ गैंगरेप किया और इस दौरान उन्होंने उसे अपने पास ही रखा था. इस मामले में सात मार्च को पुलिस ने चार आरोपियों संजय कुमार उर्फ संजू, नीरज कुमार, प्रकाश राम और किशोर शर्मा को गिरफ्तार जेल भेज दिया. जबकि इस मामले में अन्य आरोपियों की पुलिस तलाश कर रही है. पत्र में यह भी कहा गया है कि घटना होने के 6 दिन बाद पुलिस हरकत में आई. जबकि सीसीटीवी फुटेज पुलिस को उनके द्वारा पहले ही दे दी गई थी.