नैनीताल: पहाड़ी इलाकों में मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष व तेंदुओं (conflict between humans and wildlife) के हमलों को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand HC) में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. मामले को सुनने के बाद कोर्ट की खंडपीठ ने सरकार को विशेषज्ञों की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने प्रत्येक 2 सप्ताह में विशेषज्ञों से वार्ता करने के साथ मानव व वन्यजीवों के संघर्ष को रोकने के लिए अब तक किए गए उपायों और आगे की कार्रवाई पर 2 सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 27 अप्रैल 2023 की तिथि नियत की है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई. मामले के अनुसार देहरादून की समाजसेवी अनु पंत ने जनहित याचिका में कहा कि प्रदेश के पर्वतीय जिलों में मानव और वन्यजीवों का संघर्ष बढ़ता ही जा रहा है. प्रदेश के कई जिले इससे प्रभावित हो रहे है. आये दिन इंसान इन जंगली जानवरों का शिकार हो रहे हैं. खासकर मानवों पर तेंदुए के हमले बढ़ते जा रहे हैं.
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अनु पंत के मुताबिक, हर साल तेंदूओं के हमले से करीब 60 लोगों की मौत हो जाती है. पर्वतीय जिलों में साल 2020 में तेंदुए के हमले में 30 लोग मारे गये थे, जबकि 85 लोग घायल हुए थे. याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया है कि इससे पहाड़ों में पलायन भी बढ़ रहा है. पलायन आयोग ने भी माना है कि साल 2016 में 6 प्रतिशत लोग पलायन को मजबूर हुए हैं.
याचिकाकर्ता की ओर से मांग की गई है कि एक कमेटी का गठन किया जाय और कमेटी इसका अध्ययन कर इस मामले का समाधान निकाले. साथ ही आवासीय क्षेत्रों व जंगलों के बीच में तारबाड़ लगायी जाये. कैमरा टेपिंग व तेंदुओं पर रेडियो कॉलर लगाए जायें. साथ ही सरकार एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी करें, जिससे आपात स्थिति से निपटने में सहयोग मिल सके.