रामनगर: कॉर्बेट में स्थानीय समुदाय और पर्यटकों के बीच तितलियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और तितलियों की विभिन्न प्रजाति के संरक्षण के लिए 17 सितंबर से तितली त्यार कार्यक्रम का आगाज हो गया है. इस मौके पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के माध्यम से तितली विशेषज्ञ जंगल के आसपास की जगहों में तितलियों की प्रजातियों का पता लगाएंगे और उनके संरक्षण की योजना भी बनाएंगे.
तितली त्यार की परिकल्पना साल 2020 में रामनगर में की गई थी. इसका उद्देश्य तितली पर्यटन विकसित करने, कॉर्बेट में स्थानीय समुदाय और पर्यटकों के बीच इन कीमती कृतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना था. इस वर्ष भी तितली त्यार 2021 का आयोजन त्यार फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है. कार्यक्रम के पहले दिन क्यारी गांव के लोगों, सामाजिक कार्यकर्ताओं व स्कूली बच्चों ने भी बटरफ्लाई वॉक का आनंद लिया.
क्यारी गांव जैव विविधता का हॉटस्पॉट: इस वर्ष के तितली त्यार के लिए प्रमुख स्थान कॉर्बेट लैंडस्केप क्षेत्र में क्यारी गांव जैव विविधता का हॉटस्पॉट है. इस त्यार के माध्यम से तितलियों की विभिन्न प्रजातियों को आने वाली पीढ़ी केवल मोबाइल पर या किसी क्षेत्र के माध्यम से केवल ना देखें और ऐसा ना हो इसके लिए तितली त्यार संस्था के माध्यम से तितलियों के संरक्षण वह इनके संवर्धन के लिए यह त्योहार किया जा रहा है.
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कार्यक्रम के माध्यम से तितलियों के प्रति जागरूक करने के लिए साइकिल रैली, जैविक खाद उत्पादन, फोटोग्राफी कांटेस्ट, विलेज वॉक, नुक्कड़ नाटक एवं स्लाइड शो, फिल्म प्रदर्शन आदि क्यारी, ढेला, रिंगोड़ा, ढिकुली, कालाढूंगी व पंगोट में किया जाएगा. कार्यक्रम को त्यार फाउंडेशन के अलावा उत्तराखंड पर्यटन, इंडिया टूरिज्म, आजादी का अमृत महोत्सव, बीएनएचएस, कल्पतरू वृक्ष मित्र समिति, केनन इंडिया, कॉर्बेट वाइल्ड-वेंचर्स, कॉर्बेट ग्राम विकास समिति, अलाया रिजॉर्ट, उत्तराखंड ओडिसी टूर्स, ओडिन टूर्स, स्पैरो नेस्ट व रेंजर्स लॉज द्वारा किया गया है.
संजय छिम्वाल ने बताया कि क्यारी गांव के अलावा कॉर्बेट के अन्य क्षेत्रों में भी जो बाहर से विशेषज्ञ आए वह अलग-अलग जगह जाकर लोगों को बटरफ्लाई वॉक देंगे. इसमें इस वर्ष भी बीएचएनएस (बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी) दिल्ली, बटरफ्लाई एक्सपर्ट तमिलनाडु और अन्य क्षेत्रों से भी यहां पहुंचे हुए हैं. उन्होंने कहा विषय यही है कि तितलियों का संरक्षण और संवर्धन किस प्रकार किया जाए, उसमें स्थानीय भागीदारी भी हम लोग कर रहे हैं.
संजय छिम्वाल ने बताया कि माइक्रोफोन के ऊपर बहुत अधिक ध्यान नहीं दिया जाता लेकिन अब देखने को मिल रहा है कि लोग टाइगर टूरिज्म से हटकर पक्षी अवलोकन की तरफ बढ़ रहे हैं. इस वर्ष पिछले वर्ष के मुकाबले तुतलियों की संख्या में हमें इजाफा देखने को मिलेगा ऐसी उम्मीद है.
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दिल्ली से पहुंचे तितली विशेषज्ञ बीएनएचएस के सोहेल मदान ने बताया कि तितली त्यार के माध्यम से तितलियों के संरक्षण एवं संवर्धन को बढ़ावा देना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरीके से तितली त्यार में लोगों का वह आसपास के क्षेत्रवासियों का सपोर्ट मिल रहा है. इससे ऐसा लगता है कि आने वाले समय में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व को बाघों, हाथियों, तेंदुओं के साथ साथ तितलियों के नाम से भी जाना जाएगा.
वहीं, कार्यक्रम में पहुंचे वन प्रभाग तराई पश्चिमी के डीएफओ बलवंत सिंह शाही ने कहा कि प्रकृति को संघरक्षित करने के लिए ये एक नई पहल है जो तितली त्यार फाउंडेशन द्वारा की जा रही हैं.