रामनगर: कॉर्बेट पार्क व वन विभाग रामनगर के अंतर्गत पड़ने वाले मोहान क्षेत्र में हिंसक हुए दो बाघों को पकड़ने की अनुमति कॉर्बेट प्रशासन को मिल चुकी है. लेकिन घटना को 20 दिन से ज्यादा होने के बाद भी बाघ अभी भी वन विभाग की पकड़ से बाहर है. बता दें, 16 जुलाई को कॉर्बेट पार्क से जाने वाली सड़क पर बाइक सवार युवकों पर बाघ ने हमला किया था. पीछे बैठे एक युवक अफसरुल को बाघ झपट्टा मारकर जंगल में ले गया था.
घटना के बाद से ही कॉर्बेट प्रशासन व रामनगर वन विभाग की टीम बाघ को पकड़ने में जुटी है. प्रशासन ने मोहान क्षेत्र में बाघ को पकड़ने के लिए दो पिंजरे, दो ड्रोन, 35 से ज्यादा कैमरा ट्रैप, तीन हाथी व 40 से ज्यादा वन कर्मी लगाए हैं. कैमरा ट्रैप व ड्रोन के माध्यम से मोहान के घटना वाले क्षेत्र में दो बाघों की लगातार मूमेंट देखी जा रही थी. जिसके कॉर्बेट प्रशासन ने दोनों बाघों को चिह्नित कर दोनों को ट्रेंकुलाइज करने के लिए उच्चाधिकारियों से इसकी अनुमति मांगी थी.
अब दोनों बाघों को ट्रेंकुलाइज करने की अनुमति मिल चुकी है. अनुमति मिलने के बाद भी आज भी दोनों बाघ कॉर्बेट प्रशासन की पकड़ से बाहर हैं. घटना को बीते हुए 20 दिनों से ज्यादा का समय हो चुका है. इस विषय में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक धीरज पांडे ने बताया कि हमारे द्वारा दोनों बाघों को चिन्हित किया गया है. उनकी मूवमेंट लगातार रोड के दोनों तरफ बनी हुई है. उन्होंने बताया कि हमारे द्वारा दोनों बाघों को ट्रेंकुलाइज करने की अनुमति मांगी गई थी, जो हमें मिल चुकी है. उन्होंने कहा कि हमारी रेस्क्यू टीम द्वारा लगातार बाघों को ट्रेंकुलाइज करने की कोशिश की जा रही है.
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16 जुलाई को क्या हुआ: उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के तहसील हसनपुर गांव निवासी 25 वर्षीय अफसरुल उर्फ भूरा पुत्र बाबू अपने साथी मोहम्मद अनस पुत्र शकील अहमद के साथ घूमने के लिए निकले थे. वह पहले नैनीताल से रानीखेत होते हुए अल्मोड़ा घूमने निकले. 16 जुलाई शनिवार देर शाम को ही अल्मोड़ा से वाया रामनगर होते हुए वह अमरोहा को जा रहे थे. इसी बीच मोहान क्षेत्र घात लगाए बाघ ने उस पर हमला कर दिया और पीछे बैठे अफसरुल को खींचकर जंगल ले गया. तब से ही विभाग ने इन बाघों को पकड़ने के लिये सर्च ऑपरेशन चलाया है.