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अंग्रेजों के जमाने का हैंडपंप आज भी बुझा रहा है रामनगर के लोगों की प्यास

रामनगर में अंग्रेजों के जमाने का हैंडपंप आज भी काम कर रहा है. एक जमाने में इस हैंडपंप से पूरे इलाके में पानी की सप्लाई होती थी. आज भी ये हैंडपंप लोगों की प्यास बुझा रहा है.

रामनगर
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Published : Jun 16, 2020, 12:49 PM IST

Updated : Jul 6, 2020, 4:11 PM IST

रामनगर: गर्मियों में जल स्तर नीचे जाने से अधिकाश हैंडपंप पानी देना बंद कर देते हैं. वहीं नैनीताल जिले के रामनगर में अंग्रेजों के जमाने का हैंडपंप आज भी लोगों की प्यास बुझा रहा है. इस हैंडपंप को 1912 में रामनगर वन प्रभाग के तराई पश्चिमी के फांटो रेंज में अंग्रेजों ने अपने लिए लगवाया था.

उत्तराखंड में आज भी कई ऐसी चीजें हैं जिन्हें अंग्रेजों ने बनवाया था, जो आज भी बेहतरीन काम कर रही हैं. ऐसा ही एक हैंडपंप है जो 1912 में अंग्रेजों ने लगवाया था. हैंडपंप के बगल में कुआं भी है.

अंग्रेजों के जमाने का हैंडपंप आज भी बुझा रहा प्यास.

पढ़ें- दुर्घटना से देर भली ! महिला की जल्दबाजी ने ले ली जान, देखें हैरान करने वाला वीडियो

वन विभाग के कर्मचारियों की मानें तो इस कुएं से पहले आस-पास के क्षेत्रों में पानी सप्लाई भी होती थी. इलाके में रहने वाले वन गुर्जर नवाबउद्दीन के मुताबिक ये हैंडपंप बहुत पुराना है.

नवाब ने बताया कि उनके पूर्वज बताते थे कि पहले यहां कहीं पानी नहीं था. इसी हैंडपंप पर वे गाय-भैंसों को पानी पिलाते थे. इस हैंडपंप का पानी फ्रिज के पानी से भी ठंडा होता है.

वन विभाग तराई पश्चिमी के प्रभागीय वनाधिकारी हिमांशु बागड़ी ने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार ये हैंडपंप 1912 का है. 1912 में फांटो रेंज में बिल्डिंग बनी होगी, तभी ये हैंडपंप यहां लगा होगा. इस हैंडपंप का इस्तेमाल वन परिषद में रह रहे लोग करते हैं.

रामनगर: गर्मियों में जल स्तर नीचे जाने से अधिकाश हैंडपंप पानी देना बंद कर देते हैं. वहीं नैनीताल जिले के रामनगर में अंग्रेजों के जमाने का हैंडपंप आज भी लोगों की प्यास बुझा रहा है. इस हैंडपंप को 1912 में रामनगर वन प्रभाग के तराई पश्चिमी के फांटो रेंज में अंग्रेजों ने अपने लिए लगवाया था.

उत्तराखंड में आज भी कई ऐसी चीजें हैं जिन्हें अंग्रेजों ने बनवाया था, जो आज भी बेहतरीन काम कर रही हैं. ऐसा ही एक हैंडपंप है जो 1912 में अंग्रेजों ने लगवाया था. हैंडपंप के बगल में कुआं भी है.

अंग्रेजों के जमाने का हैंडपंप आज भी बुझा रहा प्यास.

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वन विभाग के कर्मचारियों की मानें तो इस कुएं से पहले आस-पास के क्षेत्रों में पानी सप्लाई भी होती थी. इलाके में रहने वाले वन गुर्जर नवाबउद्दीन के मुताबिक ये हैंडपंप बहुत पुराना है.

नवाब ने बताया कि उनके पूर्वज बताते थे कि पहले यहां कहीं पानी नहीं था. इसी हैंडपंप पर वे गाय-भैंसों को पानी पिलाते थे. इस हैंडपंप का पानी फ्रिज के पानी से भी ठंडा होता है.

वन विभाग तराई पश्चिमी के प्रभागीय वनाधिकारी हिमांशु बागड़ी ने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार ये हैंडपंप 1912 का है. 1912 में फांटो रेंज में बिल्डिंग बनी होगी, तभी ये हैंडपंप यहां लगा होगा. इस हैंडपंप का इस्तेमाल वन परिषद में रह रहे लोग करते हैं.

Last Updated : Jul 6, 2020, 4:11 PM IST
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