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इस सरकारी स्कूल की शिक्षकों और बच्चों ने बदल दी तस्वीर, दूसरे स्कूलों के लिए बना नजीर

उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. स्कूलों में शिक्षा की बदहाल स्थिति को देखते हुए अभिभावक अपने बच्चों का अच्छी शिक्षा के लिए प्राइवेट स्कूलों में दाखिला कराते हैं, लेकिन इस सब से इतर भीमताल ब्लॉक के सूर्या गांव स्थित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अन्य स्कूलों के लिए नजीर बना हुआ है.

इस सरकार स्कूल की शिक्षकों और बच्चों ने बदली तस्वीर.
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Published : Nov 13, 2019, 11:29 AM IST

Updated : Nov 13, 2019, 12:20 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. स्कूलों में शिक्षा की बदहाल स्थिति को देखते हुए अभिभावक अपने बच्चों का अच्छी शिक्षा के लिए प्राइवेट स्कूलों में दाखिला कराते हैं, लेकिन इस सब से इतर भीमताल ब्लॉक के सूर्या गांव स्थित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अन्य स्कूलों के लिए नजीर बना हुआ है, जहां शिक्षकों और बच्चों ने स्कूल में शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर बदल दी है.

इस सरकारी स्कूल की शिक्षकों और बच्चों ने बदल दी तस्वीर.

बच्चों और शिक्षकों की मेहनत लाई रंग

भीमताल ब्लॉक के सूर्या गांव का उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को देखकर हर कोई हैरान रह जाता है. जहां शिक्षकों और बच्चों ने अपनी मेहनत और लगन से स्कूल को बुलंदियों तक पहुंचाया है. स्कूल के कुशल प्रबंधन को देखते हुए क्षेत्रवासियों की जुबां पर इस स्कूल का नाम अक्सर आ ही जाता है. भीमताल विधानसभा क्षेत्र के सूर्या गांव का उच्च माध्यमिक विद्यालय दुर्गम इलाके में से एक है, जहां कक्षा 8 तक 25 बच्चे पढ़ते हैं, जबकि स्कूल में 3 टीचर तैनात हैं, जिन्होंने शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर बदल कर रख दी.

Haldwani News
स्कूल में बनाई गई कलाकृति.

पढ़ें-आयुष छात्र आंदोलन: 'हाथ' के समर्थन पर भड़के हरक, कहा- कांग्रेस शासनकाल में ही बढ़ी थी फीस

स्कूल के बच्चे पढ़ाई और खेलकूद में अवल्ल

इस विद्यालय को देखकर स्कूलों के प्रति आपकी मानसिकता बिल्कुल बदल जाएगी. विद्यालय को आधुनिक बनाने का प्रयास किया गया है, जहां साफ-सफाई के साथ ही क्लासरूम में बैठने की व्यवस्था, तकनीकी शिक्षा पर जोर दिया गया है, जो इसे अन्य स्कूलों से अलग बनाता है. वहीं यह सब स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे और शिक्षकों ने कर दिखाया है. साथ ही छात्र-छात्राएं पढ़ाई के साथ ही खेलकूद में भी अव्वल रहते हैं. स्कूल की प्रिंसिपल खुद एथलीट रह चुकी हैं, जिससे बच्चे भी खेलकूद में पीछे नहीं रहते हैं.

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स्कूल का रसोई घर.

गोल्ड मेडल हासिल कर चुके हैं स्कूल के छात्र

स्कूल में खेल का कोई कोच तैनात नहीं है लिहाजा जिन बच्चों ने कभी प्रशिक्षण नहीं लिया वे दूसरे बच्चों को सिखा रहे हैं. स्कूल के 25 बच्चों में से 16 बच्चे राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं. जबकि स्कूल के एक बच्चे को बॉक्सिंग में गोल्ड मेडल मिला है. वहीं स्कूल के दो बच्चे नेशनल गेम में भी प्रतिभाग कर चुके हैं. लिहाजा स्कूल के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है. दुर्गम क्षेत्र में होने के कारण स्कूल में संसाधनों का भी अभाव है, लिहाजा सीमित संसाधनों के चलते शिक्षक स्कूल को मॉडल बनाने का प्रयास लगातार कर रहे हैं.

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स्कूल में बच्चों द्वारा बनाए गए मॉडल.

स्थानीय लोग जमकर कर रहे तारीफ

शिक्षकों के साथ ही बच्चे भी स्कूल को बेहतर बनाने में जुटे रहते हैं. बच्चों को कंप्यूटर का भी ज्ञान दिया जा रहा है. यही नहीं ऐपण और परंपरागत वस्तुओं का भी प्रशिक्षण दिया जाता है.वहीं सरकार ने स्कूल की शिक्षिका लक्ष्मी कला को शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए शैलेश मटियानी पुरस्कार से नवाजा है. वहीं सूर्या गांव का उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अन्य सरकारी विद्यालयों के लिए मिसाल बना हुआ है.

हल्द्वानी: उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. स्कूलों में शिक्षा की बदहाल स्थिति को देखते हुए अभिभावक अपने बच्चों का अच्छी शिक्षा के लिए प्राइवेट स्कूलों में दाखिला कराते हैं, लेकिन इस सब से इतर भीमताल ब्लॉक के सूर्या गांव स्थित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अन्य स्कूलों के लिए नजीर बना हुआ है, जहां शिक्षकों और बच्चों ने स्कूल में शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर बदल दी है.

इस सरकारी स्कूल की शिक्षकों और बच्चों ने बदल दी तस्वीर.

बच्चों और शिक्षकों की मेहनत लाई रंग

भीमताल ब्लॉक के सूर्या गांव का उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को देखकर हर कोई हैरान रह जाता है. जहां शिक्षकों और बच्चों ने अपनी मेहनत और लगन से स्कूल को बुलंदियों तक पहुंचाया है. स्कूल के कुशल प्रबंधन को देखते हुए क्षेत्रवासियों की जुबां पर इस स्कूल का नाम अक्सर आ ही जाता है. भीमताल विधानसभा क्षेत्र के सूर्या गांव का उच्च माध्यमिक विद्यालय दुर्गम इलाके में से एक है, जहां कक्षा 8 तक 25 बच्चे पढ़ते हैं, जबकि स्कूल में 3 टीचर तैनात हैं, जिन्होंने शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर बदल कर रख दी.

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स्कूल में बनाई गई कलाकृति.

पढ़ें-आयुष छात्र आंदोलन: 'हाथ' के समर्थन पर भड़के हरक, कहा- कांग्रेस शासनकाल में ही बढ़ी थी फीस

स्कूल के बच्चे पढ़ाई और खेलकूद में अवल्ल

इस विद्यालय को देखकर स्कूलों के प्रति आपकी मानसिकता बिल्कुल बदल जाएगी. विद्यालय को आधुनिक बनाने का प्रयास किया गया है, जहां साफ-सफाई के साथ ही क्लासरूम में बैठने की व्यवस्था, तकनीकी शिक्षा पर जोर दिया गया है, जो इसे अन्य स्कूलों से अलग बनाता है. वहीं यह सब स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे और शिक्षकों ने कर दिखाया है. साथ ही छात्र-छात्राएं पढ़ाई के साथ ही खेलकूद में भी अव्वल रहते हैं. स्कूल की प्रिंसिपल खुद एथलीट रह चुकी हैं, जिससे बच्चे भी खेलकूद में पीछे नहीं रहते हैं.

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स्कूल का रसोई घर.

गोल्ड मेडल हासिल कर चुके हैं स्कूल के छात्र

स्कूल में खेल का कोई कोच तैनात नहीं है लिहाजा जिन बच्चों ने कभी प्रशिक्षण नहीं लिया वे दूसरे बच्चों को सिखा रहे हैं. स्कूल के 25 बच्चों में से 16 बच्चे राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं. जबकि स्कूल के एक बच्चे को बॉक्सिंग में गोल्ड मेडल मिला है. वहीं स्कूल के दो बच्चे नेशनल गेम में भी प्रतिभाग कर चुके हैं. लिहाजा स्कूल के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है. दुर्गम क्षेत्र में होने के कारण स्कूल में संसाधनों का भी अभाव है, लिहाजा सीमित संसाधनों के चलते शिक्षक स्कूल को मॉडल बनाने का प्रयास लगातार कर रहे हैं.

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स्कूल में बच्चों द्वारा बनाए गए मॉडल.

स्थानीय लोग जमकर कर रहे तारीफ

शिक्षकों के साथ ही बच्चे भी स्कूल को बेहतर बनाने में जुटे रहते हैं. बच्चों को कंप्यूटर का भी ज्ञान दिया जा रहा है. यही नहीं ऐपण और परंपरागत वस्तुओं का भी प्रशिक्षण दिया जाता है.वहीं सरकार ने स्कूल की शिक्षिका लक्ष्मी कला को शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए शैलेश मटियानी पुरस्कार से नवाजा है. वहीं सूर्या गांव का उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अन्य सरकारी विद्यालयों के लिए मिसाल बना हुआ है.

Intro:sammry- सरकारी स्कूल हो तो सूर्य गांव जैसा।( विजुअल बाइट मेल से उठाएं) एंकर- उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों में शिक्षा की बदहाल व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है यही वजह है कि आज के समय में अभिभावक अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए प्राइवेट स्कूलों में भेज रहे हैं लेकिन इन सब के बीच नैनीताल जिले के भीमताल ब्लाक स्थित सूर्या गांव का उत्तर माध्यमिक विद्यालय स्कूल को आप देखेंगे तो आपको यकीन नहीं होगा किया स्कूल सरकारी स्कूल है या प्राइवेट। यहां के शिक्षकों और बच्चों ने अपनी मेहनत से स्कूल को इतनी बुलंदी तक पहुंचा दिया कि हर कोई यह कहने पर मजबूर है कि सरकारी स्कूल हो तो सूर्य गांव जैसा हो।


Body:नैनीताल जिले के दूरस्थ भीमताल विधानसभा क्षेत्र के सूर्या गांव का उच्च माध्यमिक विद्यालय दुर्गम इलाके में है कक्षा 8 तक की स्कूल में 25 बच्चे पढ़ते हैं जबकि 3 टीचर है सरकारी स्कूल का नाम सुनते हैं आपके जेहन में आता है कि खस्ताहाल बिल्डिंग और बदहाल शिक्षा व्यवस्था लेकिन यह स्कूल दुर्गम इलाके में होने के बावजूद भी उच्च माध्यमिक विद्यालय को देखते हैं सरकारी स्कूलों के प्रति आपकी मानसिकता बिल्कुल बदल जाएगी यह सब कुछ मॉडर्न जैसा है स्कूल की साफ सफाई से लेकर बैठने की व्यवस्था क्लासरूम तकनीकी शिक्षा या फिर पीटी या अन्य क्रियाकलाप सब कुछ हटकर है और यह सब कर दिखाया है वहां के बच्चे और शिक्षकों ने जो स्कूल में एक बार पढ़ाई करनेआता है तो दूसरे स्कूल में जाने का नाम तक नहीं लेता है। बाइट- कंचन छात्रा बाइट -करण कुमार छात्र पढ़ाई के साथ-साथ इस स्कूल के बच्चे खेल में भी अव्वल हैं स्कूल की प्रिंसिपल खुद एथलीट रह चुकी हैं लिहाजा उनके बच्चे कहा पीछे रहने वाले हैं ।स्कूल में खेल का कोई कोच नहीं है लिहाजा जिन बच्चों को कभी कोच ने सिखाया नहीं हो वही दूसरे बच्चों को सिखा रहे हैं। स्कूल के 25 बच्चों में से 16 बच्चे ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया जबकि स्कूल के 1 बच्चे ने बॉक्सिंग में गोल्ड मेडल भी जीता और दो बच्चों नेशनल गेम में भी प्रतिभाग कर आए है लिहाजा स्कूल के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है। बाइट -संतोष कुमार जोशी शिक्षक


Conclusion:दुर्गम क्षेत्र में होने के कारण स्कूल के संसाधनों का भी अभाव है लिहाजा सीमित संसाधनों के चलते शिक्षक स्कूल को मॉडल बनाने के प्रयास लगातार कर रहे हैं गांव का हर बच्चा स्कूल आता है और शिक्षकों के साथ साथ मिलकर स्कूल को बेहतर बनाने में जुटा रहता है ।बच्चों को पढ़ाई के में कंप्यूटर और तकनीकी जानकारियां भी बराबर दी जाती है । बेकार पड़ी हुई चीजों का कैसे प्रयोग में लाया जाता है यह सिखाया जाता है। यही नहीं इसके अलावा कुमाऊं के सांस्कृतिक ऐपण और परंपरागत चीजों की जानकारी भी स्कूल में बच्चों को दी जाती है जिसको देखते हुए सरकार ने यहां की शिक्षिका लक्ष्मी कला को शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़े पुरस्कार शैलेश मटियाली पुरस्कार से नवाजा भी जा रहा है। बाइट- लक्ष्मीकला शैलेश मटियानी पुरस्कार के लिए चयनित फिलहाल सूर्या गांव का यह उत्तर माध्यमिक विद्यालय अपने आप में सरकारी स्कूलों में मिसाल कायम कर रहा है लेकिन सरकार को भी ऐसे स्कूल को बढ़ावा देने के लिए आगे आना चाहिए जिससे कि लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में ना भेज सरकारी स्कूल में भेज सकें।
Last Updated : Nov 13, 2019, 12:20 PM IST
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