रुड़की/रामनगरः देशभर में करवा चौथ का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. उत्तराखंड में भी सुहागिनों ने अखंड सौभाग्य के लिए करवाचौथ का व्रत रखा. इस दौरान महिलाओं ने दिनभर निर्जला व्रत रखकर अपने जीवन साथी की दीर्घायु की कामना की. कई महिलाएं मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हुए भी नजर आईं. जबकि, देर शाम चांद का दीदार होने के बाद सुहागिनों ने चांद की पूजा और अर्घ्य देकर अपने पति का चेहरा देखा. जिसके बाद पति ने पत्नी को जल पिलाकर व्रत संपन्न करवाया. वहीं, रामनगर में एक युवक ने अपनी पत्नी के लिए निर्जला व्रत रखा.
रुड़की में महिलाओं ने सामूहिक रूप से रखा करवा चौथ का कार्यक्रम
रुड़की में करवा चौथ पर्व को मनाने के लिए महिलाओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला. यहां महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना की. पंजाबी महिलाओं ने भी मेहंदी रस्म का आयोजन किया. इस दौरान महिलाओं ने लाल रंग की साड़ी पहनकर ढोलक की थाप पर गीत गाए और जमकर थिरकीं. वहीं, रुड़की शहर में करवा चौथ पर बाजार में काफी चहल-पहल रही. शाम के समय पंजाबी महिलाएं एक जगह एकत्रित हुईं और पूजा-अर्चना करने के साथ मेहंदी की रस्म पूरी की. साथ ही सामूहिक रूप से करवा चौथ का कार्यक्रम रखा.
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रामनगर में पति ने पत्नी के लिए रखा निर्जला व्रत
करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, लेकिन रामनगर में एक पति ने अपनी पत्नी के लिए निर्जला व्रत रखा. इस दौरान निर्जला व्रत रखने वाले पति ने बताया कि अगर हमारी पत्नियां हमारी लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रख सकती हैं तो हमारा भी फर्ज बनता है कि हम उनकी लंबी आयु के लिए व्रत रखें. इसी वजह से उन्होंने भी ये व्रत रखा है.
क्यों रखते हैं करवा चौथ का व्रत
बता दें कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष चतुर्थी के दिन सुहागन स्त्रियां पति अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं. यह व्रत सुबह ब्रह्ममुहूर्त से शुरू होकर रात्रि में चंद्रमा-दर्शन के साथ पूरा होता है. सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत उनके पति के प्रति आस्था, प्यार, सम्मान व समर्पण को प्रदर्शित करता है. करवा चौथ के दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए इस पर्व में अन्न-जल ग्रहण किए बिना दिनभर व्रत रखती हैं.
इसके बाद विभिन्न प्रकार के फल, फूल, मिठाई, बांस के चंगेरे में एकत्रित कर चलनी में चांद को देखने के बाद भक्तिभाव से पूजा करती हैं. इसके बाद जल से अर्घ्य देकर पूजा करती हैं. पूजा-अर्चना के बाद पत्नी पति के हाथों से पानी पीकर अपना उपवास तोड़ती हैं. मान्यता है कि चलनी से देखे गए चांद की महिमा से दांपत्य जीवन में हमेशा शीतल छाया बनी रहती है.