हल्द्वानी: हल्दूचौड़ में सात दिवसीय पौराणिक उत्तरायणी मेले की धूम देखने को मिल रही है. मेले में कुमाऊंनी और गढ़वाली संस्कृति का संगम भी देखने को मिल रहा है. भारी ठंड के बीच लोग उत्तराखंड की लोक संस्कृति और लोक कला को देखने के लिए दूर दूर से उत्तरायणी मेले में पहुंच रहे हैं. मेले के दूसरे दिन उत्तराखंड की मशहूर लोक गायिका माया उपाध्याय के सुरों ने मंत्र मुग्ध कर दिया. वहीं उत्तराखंड के सुविख्यात लोक गायक स्वर्गीय गोपाल बाबू गोस्वामी के पुत्र अमित गोस्वामी ने भी कुमाऊंनी और गढ़वाली गीतों पर लोगों को थिरकने को मजबूर कर दिया.
भारी ठंड में सांस्कृतिक कार्यक्रम देर शाम तक चलते रहे. दर्शकों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का जमकर लुत्फ उठाया. रंगारंग कार्यक्रम में कलाकारों द्वारा पहाड़ के छोलिया नृत्य और कुमाऊंनी गीत पहाड़ की पुरानी यादें ताजा करा रहे हैं. भारी ठंड के बीच लोग उत्तराखंड की लोक संस्कृति से भरपूर प्रस्तुति को देखने के लिए दूर दूर से उत्तरायणी मेले में पहुंच रहे हैं. बच्चों के लिए बड़े बड़े झूले और नुमाइश भी लगाई गई हैं. लोक गायिका माया उपाध्याय और अमित गोस्वामी ने सभी को उत्तरायणी और कौतिक, घुघुतियां की बधाई देते हुए कहा कि पहाड़ी भाषा को जीवित रखने के लिए इस तरह के आयोजनों की जरूरत है. उन्होंने कहा कि युवाओं को अपनी संस्कृति बचाने के लिए आगे आना चाहिए.
इस दौरान कुमाऊं के सुविख्यात लोक गायक स्वर्गीय गोपाल बाबू गोस्वामी के पुत्र अमित गोस्वामी ने अपने पिता के पसंदीदा गीत 'कैले बजै मुरुली ओ बैणा' गीत गाकर समा बांध दिया. 7 दिन तक चलने वाले कौथिक और उत्तरायणी महोत्सव के अलग अलग दिन उत्तराखंड के कई जाने माने लोक कलाकार पहुंचेंगे और अपनी प्रस्तुति पेश करेंगे.
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मेले के अध्यक्ष दिनेश पांडे ने बताया कि उत्तरायणी और कौथिक मेला हर साल और बेहतर हो रहा है. इस बार सात दिवसीय मेले का आयोजन हो रहा है. जबकि इससे पहले चार दिवसीय मेले का आयोजन हुआ करता था. मेले का मकसद उत्तराखंड की लोक कला और लोक संस्कृति को मंच देना है. जाने माने कलाकारों के साथ ही उभरते कलाकारों को भी इस मेले में मंच मिल रहा है.