हल्द्वानी: सालभर में आने वाली 24 एकादशी में निर्जला एकादशी का खास महत्व है. निर्जला एकादशी सबसे पवित्र एकादशी मानी जाती है. इस बार निर्जला एकादशी 31 मई को पड़ रही है. निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है. वहीं हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का काफी महत्व है.
निर्जला एकादशी पर बन रहा खास योग: ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक निर्जला एकादशी 31 मई बुधवार को मनाई जाएगी. एकादशी तिथि की शुरुआत 30 मई को दोपहर में 1 बजकर 9 मिनट से प्रारंभ होगी. समापन 31 मई को दोपहर को 1 बजकर 47 मिनट पर होगा. निर्जला एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग का समय सुबह 5 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 06 बजे तक रहेगा. जबकि पर्व पर व्रत का परायण 1 जून को सूर्योंदय के साथ होगा.
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व्रत का ये है महत्व: मान्यता है कि जो व्यक्ति साल में पड़ने वाले 24 एकादशी का व्रत नहीं कर पाता है, अगर वह विधि-विधान के साथ निर्जला एकादशी व्रत करता है तो उसको सभी 24 एकादशी व्रत के बराबर फल की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन विष्णु स्तुति करने और मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है. निर्जला एकादशी पर इन मंत्रों के जाप से घर में भगवान विष्णु के साथ ही मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं. पर्व के दिन भगवान विष्णु के मंत्रों के जाप से घर में कभी भी आर्थिक तंगी नहीं रहती, ऐसा माना जाता है. वहीं इन मंत्रों का जाप करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी.
ॐ नमोः नारायणाय॥
भगवते वासुदेवाय मंत्र
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः।
मंगलम पुण्डरी काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥