नैनीताल: प्रदेश भर में कोरोना के भयावह स्थिति है. इसे देखते हुए चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां नैना देवी मंदिर समेत कई मंदिरों में सन्नाटा पसरा हुआ है. सभी भक्तों ने अपने घरों में रहकर ही मां की उपासना की. मां नैना देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में शुमार है.हर साल चैत्र व शारदीय नवरात्र के दौरान मंदिरों में हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं.
बता दें कि नैनीताल में शुमार नैना देवी मंदिर 51 शक्तपीठों में से एक है. मान्यता है कि देवी सती की आंख यहां गिरी थी. इसी के बाद यहां मां नैना देवी मंदिर की स्थापना हुई. देवी पार्वती का पार्थिव शरीर खंडित होने के बाद उनकी बायीं आंख नैनीताल के इस स्थान में गिरी.
पुराणों में लिखित है कि देवी पार्वती के पिता दक्ष प्रजापति ने जब विशाल यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रण नहीं दिया गया. इस कदम से खिन्न होकर देवी पार्वती यज्ञ के हवन कुंड में कूदकर सती हो गई. जिससे दु:खी होकर भगवान शिव ने देवी पार्वती का शरीर लेकर पूरे ब्रह्मांड के चक्कर लगाने शुरू कर दिए. जिससे सृष्टि का संतुलन बिगड़ गया और संसार में चारों तरफ हाहाकार मच गया.
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वहीं, सृष्टि का संतुलन बिगड़ने से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया. तब सृष्टि के संरक्षक भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शव के खंड- खंड कर दिया. जिससे पार्वती की बाई आंख नैनीताल के इस हिस्से में गिरी और यहां पर मां नैना देवी के मंदिर का निर्माण किया गया.
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां नैना देवी मंदिर में पूरी तरह से कोरोना की वजह से सनाटा पसरा रहा. मां नैना देवी यहां नए रूप में विराजमान हैं. लिहाजा, माना जाता है कि मां दुर्गा अपनी आंखों से हर इंसान के दुख हर लेती हैं और भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है. नवरात्रि में लगातार दो दिनों तक मां नैना देवी में भव्य पूजा अर्चना जारी रहेगी.