नैनीताल: विश्व की सबसे ऊंची पर्वतचोटी एवरेस्ट फतह करने वाली पर्वतारोही शीतल राज (Sheetal Raj) को रन टू लिव संस्था (Run to Live organisation) ने सम्मानित किया. शीतल का शॉल ओढ़ाकर व प्रतीक चिह्न देकर सम्मान किया गया. इस मौके पर शीतल राज ने कहा कि उनका लक्ष्य एवरेस्ट को फतह कर पहाड़ की बेटियों को आत्मनिर्भर, विश्व के शीर्ष स्थान पर पहुंचाना है.
गौर हो कि 13 नवंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा पर्वतारोही शीतल राज को तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवॉर्ड 2021 (Tenzing Norgay National Adventure Award 2021) से नवाजा था. वहीं सम्मानित कार्यक्रम के दौरान शीतल राज ने कहा कि उनका लक्ष्य लड़कियों को विश्वस्तरीय पर्वतारोही बनाने का है, जिसके लिए वह कैंप आयोजित कर रही हैं. शीतल ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां को दिया. शीतल ने बताया कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एनसीसी कैंप में आयोजित एडवेंचर कैंप से की और उन्होंने अपना जीवन का लक्ष्य माउंट ट्रेनिंग को बना दिया. वह कई दफा देश के बड़े पर्वतों को लांघने निकली, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली.
वहीं, 2017 में ओएनजीसी की टीम के द्वारा कंचनजंघा अभियान के लिए उन्हें भेजा गया. जहां उन्होंने 2017 कंचनजंघा की चढ़ाई को पूरा किया. शीतल ने बताया कि पहले कंचनजंघा की चढ़ाई को 22 घंटों में पूरा किया जाता था और 2017 में उनके दल ने कंचनजंगा की चढ़ाई को मात्र 8 घंटे 30 मिनट में पूरा किया. इसी के साथ वो कंचनजंघा को फतह करने वाली विश्व की पहली युवा महिला बनी. शीतल ने बताया कि उनका लक्ष्य अब एवरेस्ट विजेता बनना है. साथ ही माउंट ट्रेनिंग के क्षेत्र में युवतियों को विश्व स्तर तक पहुंचाना है. जिसके लिए उनके द्वारा कैंप आयोजित किया जा रहा है.
चंदा एकत्र कर माउंट एवरेस्ट जीतने का सपना लेकर आगे बढ़ी शीतल राज
शीतल ने बताया कि माउंट ट्रेनिंग महंगा साहसिक खेल है. उन्हें पैसों को लेकर भी कई बार चुनौतियों का सामना करना पड़ा. क्योंकि पैसे के बिना उनका सपना अधूरा था. उनके पिता पिथौरागढ़ में टैक्सी चलाने का काम करते थे, ऐसे में उनके सामने एवरेस्ट चढ़ना नामुमकिन साबित हो रहा था. इसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और एवरेस्ट चढ़ने का लक्ष्य लेकर अपने अभियान को शुरू किया. एक समय ऐसा भी आया जब उनके पास पैसों को लेकर काफी दिक्कतें सामने आई. उनके द्वारा जनता से चंदा एकत्र कर माउंट एवरेस्ट चढ़ने का प्रण लिया.
जिसमें पिथौरागढ़ की जनता के द्वारा दस रुपये से लेकर सौ रुपये तक चंदा दिया गया. साथ ही माउंट ट्रेनिंग बेस कैंप में पुराने कपड़े और उपकरण पहन कर उन्होंने अभ्यास किया. आज उनके द्वारा देश की सबसे कठिन चढ़ाईयों में से एक कंचनजंघा की चढ़ाई को पूरा किया है. अब उनका लक्ष्य एवरेस्ट को फतह कर पहाड़ की बेटियों को आत्मनिर्भर, विश्व के शीर्ष स्थान पर पहुंचाना है.