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प्रदेश में लगातार बढ़ रहे टीबी के मरीज, देहरादून पहले, हरिद्वार दूसरे और नैनीताल जिला तीसरे नंबर पर

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Published : Sep 20, 2019, 12:37 PM IST

आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया द्वारा स्वास्थ्य विभाग से टीबी के मरीजों को लेकर मांगी गई सूचना में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. स्वास्थ विभाग द्वारा बताया गया है कि जनवरी 2019 से लेकर अगस्त तक 18213 नए मरीज टीबी के सामने आए हैं. जिसमें देहरादून पहले हरिद्वार दूसरे और नैनीताल जनपद तीसरे नंबर पर है.

आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया.

हल्द्वानी: उत्तराखंड में टीबी की को रोकथाम के लिए सरकार कई योजनाएं और जागरूकता अभियान चला रही है. लेकिन प्रदेश में टीबी के मरीजों में लगातार इजाफा हो रहा है. करोड़ खर्च करने के बाद भी सरकार टीबी की बीमारी पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है. ऐसे में टीबी की बीमारी रोकने के लिए सरकार के सभी दावे फेल हो रहे हैं. स्वास्थ विभाग से आरटीआई के आधार पर जनवरी से लेकर अगस्त तक के ताजा आंकड़े सामने आए हैं. जिसमें प्रदेश भर में 18213 नए टीवी के मरीज चिह्रित किए गए हैं.

प्रदेश में 8 महीने में टीबी के 18213 रोगी हुए चिह्रित.

बता दें कि हल्द्वानी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने स्वास्थ्य विभाग से इस वर्ष में टीबी के मरीजों में इजाफा, मरीजों को मिलने वाले पोषण भत्ते, सरकार द्वारा दिए गए बजट और खर्च को लेकर सूचना मांगी थी. जिस पर विभाग की ओर से चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. बताया गया है कि जनवरी 2019 से लेकर अगस्त तक 18213 नए मरीज टीबी के सामने आए हैं. जिसमें देहरादून पहले हरिद्वार दूसरे और नैनीताल जनपद तीसरे नंबर पर है.

आंकड़े के आधार पर 1 जनवरी 2019 से 31 अगस्त तक देहरादून में 5583, हरिद्वार में 3818, नैनीताल में 3201, उधम सिंह नगर में 2741, अल्मोड़ा में 439, बागेश्वर में 176, चमोली में 220, चंपावत में 171, पौड़ी गढ़वाल में 772, पिथौरागढ़ में 352, रुद्रप्रयाग में 210, टिहरी गढ़वाल में 272 और उत्तरकाशी में 258 टीबी के मरीज हैं.

ये भी पढ़े: पंचायत चुनाव: फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है सरकार, लेकिन ये मुश्किलें आएंगी सामने

साथ ही आईटीआई में जानकारी दी गई है कि टीवी के मरीजों को पोषाहार हेतु प्रति मरीज 500 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है. वर्ष 2018-19 के लिए सरकार से 1015 लाख रुपए का बजट जारी किया गया था. जबकि 2019 -20 के लिए 920 लाख रुपए जारी हुए. जिसमें से 536 लाख रुपए डीबीटी के माध्यम से 350873 टीबी रोगियों को पोषाहार भत्ता दिया जा चुका है. जबकि 1399 लाख रुपये शेष बचे हैं.

वहीं आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग टीबी के बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है. जिसमें टीबी के प्रति जागरूकता और मरीजों के ऊपर करोड़ों खर्च किया जा रहा है. लेकिन सरकार टीबी पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है. ऐसे में सरकार और स्वास्थ्य महकमे की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

हल्द्वानी: उत्तराखंड में टीबी की को रोकथाम के लिए सरकार कई योजनाएं और जागरूकता अभियान चला रही है. लेकिन प्रदेश में टीबी के मरीजों में लगातार इजाफा हो रहा है. करोड़ खर्च करने के बाद भी सरकार टीबी की बीमारी पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है. ऐसे में टीबी की बीमारी रोकने के लिए सरकार के सभी दावे फेल हो रहे हैं. स्वास्थ विभाग से आरटीआई के आधार पर जनवरी से लेकर अगस्त तक के ताजा आंकड़े सामने आए हैं. जिसमें प्रदेश भर में 18213 नए टीवी के मरीज चिह्रित किए गए हैं.

प्रदेश में 8 महीने में टीबी के 18213 रोगी हुए चिह्रित.

बता दें कि हल्द्वानी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने स्वास्थ्य विभाग से इस वर्ष में टीबी के मरीजों में इजाफा, मरीजों को मिलने वाले पोषण भत्ते, सरकार द्वारा दिए गए बजट और खर्च को लेकर सूचना मांगी थी. जिस पर विभाग की ओर से चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. बताया गया है कि जनवरी 2019 से लेकर अगस्त तक 18213 नए मरीज टीबी के सामने आए हैं. जिसमें देहरादून पहले हरिद्वार दूसरे और नैनीताल जनपद तीसरे नंबर पर है.

आंकड़े के आधार पर 1 जनवरी 2019 से 31 अगस्त तक देहरादून में 5583, हरिद्वार में 3818, नैनीताल में 3201, उधम सिंह नगर में 2741, अल्मोड़ा में 439, बागेश्वर में 176, चमोली में 220, चंपावत में 171, पौड़ी गढ़वाल में 772, पिथौरागढ़ में 352, रुद्रप्रयाग में 210, टिहरी गढ़वाल में 272 और उत्तरकाशी में 258 टीबी के मरीज हैं.

ये भी पढ़े: पंचायत चुनाव: फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है सरकार, लेकिन ये मुश्किलें आएंगी सामने

साथ ही आईटीआई में जानकारी दी गई है कि टीवी के मरीजों को पोषाहार हेतु प्रति मरीज 500 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है. वर्ष 2018-19 के लिए सरकार से 1015 लाख रुपए का बजट जारी किया गया था. जबकि 2019 -20 के लिए 920 लाख रुपए जारी हुए. जिसमें से 536 लाख रुपए डीबीटी के माध्यम से 350873 टीबी रोगियों को पोषाहार भत्ता दिया जा चुका है. जबकि 1399 लाख रुपये शेष बचे हैं.

वहीं आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग टीबी के बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है. जिसमें टीबी के प्रति जागरूकता और मरीजों के ऊपर करोड़ों खर्च किया जा रहा है. लेकिन सरकार टीबी पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है. ऐसे में सरकार और स्वास्थ्य महकमे की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

Intro:sammry- प्रदेश में हर साल टीबी के रोगों में हो रही बढ़ोतरी 8 महीने में 18213 मरीज हुए चिन्हित, देहरादून पहले नंबर पर तो हरिद्वार दूसरे स्थान पर। पोषण भत्ता के नाम पर1015 लाख हुए खर्च।( टीवी के विजुअल मेल से उठाएं)

एंकर- टीबी के बीमारी को रोकथाम के लिए सरकार कई योजनाएं और जागरूकता अभियान चला रही है लेकिन प्रदेश में टीबी के मरीजों में लगातार इजाफा हो रहा है। टीवी के बीमारी रोकने के सरकार के सभी दावे फेल हो रहे हैं करोड़ पर खर्च करने के बाद भी टीबी के बीमारी पर नियंत्रण नहीं पाया जा रहा है। ताजा आंकड़ा जनवरी से लेकर अगस्त तक सामने आए हैं जहां प्रदेश में 18213 नए टीवी के मरीज चिन्हित किए गए हैं।


Body:हल्द्वानी के आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने स्वास्थ्य विभाग से सूचना मांगी की टीवी के मरीजों में इस वर्ष कितना इजाफा हुआ है। कितने टीवी मरीजों को पोषण भत्ता दिया जा रहा है और इसके लिए कितना बजट मिला है और कितना खर्च हुआ है जिसके बाद चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। बताया गया है कि जनवरी 2019 से लेकर अगस्त तक 18213 नए मरीज टीबी के सामने आए हैं। जिसमें देहरादून पहले स्थान पर है जबकि हरिद्वार दूसरे नंबर पर हैं और नैनीताल जनपद तीसरे नंबर पर है।


आंकड़े पर गौर करें तो 1 जनवरी 2019 से 31 अगस्त तक

देहरादून 5583
हरिद्वार 3818
नैनीताल 3201
उधम सिंह नगर 2741
अल्मोड़ा 439
बागेश्वर 176
चमोली 220
चंपावत 171
पैडीगढ़वाल 772
पिथौरागढ़ 352
रुद्रप्रयाग 210
टिहरी गढ़वाल 272
उत्तरकाशी 258

आईटीआई में यह भी जानकारी दी गई है कि टीवी के मरीजों को पोषाहार हेतु प्रति मरीज ₹500 प्रतिमाह दिया जाता है। वर्ष 2018-19 के लिए सरकार से 1015 लाख रुपए का बजट जारी किया गया था जबकि 2019 -20 के लिए 920 लाख रुपए अनूदित हुआ है जिसमें 536 लाख रुपए डीबीटी के माध्यम से 350873 टीबी रोगियों को पोषाहार भत्ता दिया जा चुका है। जबकि1399 लाख कृपया अभी भी शेष बचा हुआ है।


Conclusion:आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग टीबी के बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है और जागरूकता के नाम और टीबी के मरीजों के ऊपर करोड़ों खर्च किया जा रहा है लेकिन उसपर नियंत्रण नहीं पाया जाना सरकार और स्वास्थ्य महकमे के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

बाइट -हेमंत गोनिया आरटीआई कार्यकर्ता

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