ETV Bharat / state

हरिद्वार लाइब्रेरी घोटाले में BJP प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को बड़ी राहत, HC में याचिका निस्तारित

देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल द्वारा हाईकोर्ट में हरिद्वार पुस्तकाल घोटाले के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया है कि 2010 में तत्कालीन हरिद्वार विधायक मदन कौशिक के द्वारा विधायक निधि से करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया गया था. लेकिन पुस्तकालय नहीं बने. जनहित याचिका निस्तारित होने से बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को बड़ी राहत मिल गयी है.

Nainital high court hearing on library scam case
नैनीताल HC में पुस्तकालय घोटाले के मामले की सुनवाई
author img

By

Published : Jun 8, 2022, 2:56 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार में 2010 में हुए पुस्तकालय घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है. आज सुनवाई में सरकार की तरफ से कोर्ट में शपथ-पत्र पेश कर कहा गया कि सरकार ने सभी पुस्तकालय नगर निगम को दे दिए हैं और नगर निगम इनका संचालन कर रहा है. इसलिए जनहित याचिका का अब कोई औचित्य नहीं रह गया है. शपथ-पत्र के आधार पर कोर्ट ने इस जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है. इस तरह मदन कौशिक को हाईकोर्ट के फैसले से बड़ी राहत मिल गयी है.

जानकारी के अनुसार, देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक के द्वारा विधायक निधि से करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया गया था. वहीं, पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन तक का फाइनल पेमेंट भी कर दिया गया लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं किया गया.

पढ़ें- हरिद्वार में राज्य अतिथि गृह के नाम से बनाई फर्जी वेबसाइट, रूम बुक करने के नाम पर हो रही थी ठगी

ऐसे में इससे स्पष्ट होता है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक ने तत्कालीन जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया गया. याचिकाकर्ता का कहना है कि पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेस को दिया गया और विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण और सीडीओ की संस्तुति के बाद काम की फाइनल पेमेंट की गई. जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है लिहाजा, पुस्तकालय के नाम पर हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच करवाई जाए.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार में 2010 में हुए पुस्तकालय घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है. आज सुनवाई में सरकार की तरफ से कोर्ट में शपथ-पत्र पेश कर कहा गया कि सरकार ने सभी पुस्तकालय नगर निगम को दे दिए हैं और नगर निगम इनका संचालन कर रहा है. इसलिए जनहित याचिका का अब कोई औचित्य नहीं रह गया है. शपथ-पत्र के आधार पर कोर्ट ने इस जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है. इस तरह मदन कौशिक को हाईकोर्ट के फैसले से बड़ी राहत मिल गयी है.

जानकारी के अनुसार, देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक के द्वारा विधायक निधि से करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया गया था. वहीं, पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन तक का फाइनल पेमेंट भी कर दिया गया लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं किया गया.

पढ़ें- हरिद्वार में राज्य अतिथि गृह के नाम से बनाई फर्जी वेबसाइट, रूम बुक करने के नाम पर हो रही थी ठगी

ऐसे में इससे स्पष्ट होता है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक ने तत्कालीन जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया गया. याचिकाकर्ता का कहना है कि पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेस को दिया गया और विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण और सीडीओ की संस्तुति के बाद काम की फाइनल पेमेंट की गई. जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है लिहाजा, पुस्तकालय के नाम पर हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच करवाई जाए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.