नैनीतालः कुमाऊं में कुल देवी के रूप में पूजी जाने वाली मां नंदा देवी महोत्सव (Nanda Devi Mahotsav Nainital) का नैनीताल में भव्य आगाज हो गया है. आज ब्रह्म मुहूर्त में मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया गया है. कोरोना महामारी के दो साल बाद आयोजित हो रहे महोत्सव में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. भक्त लंबी-लंबी कतारों में लगकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.
मान्यता है कि कुमाऊं की कुल देवी मां नंदा सुनंदा (Maa Nanda Sunanda) अष्टमी के दिन ससुराल से अपने मायके यानी कुमाऊं की धरती पर पधारी थीं. नैनीताल के मां नयना देवी मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद मां नंदा सुनंदा की प्रतिमाओं को भक्तों के दर्शनों के लिए खोल दिया गया है. मां नंदा सुनंदा के दर्शनों के लिए सुबह 3 बजे से ही नैनीताल के मां नयना देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही. बड़ी संख्या में भक्त अपनी कुल देवी के दर्शनों को पहुंच रहे हैं. इससे पहले सुबह 2 बजे से मां की पूजा अर्चना शुरू हो गई थी. जिसके बाद से ही मंदिर में भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया.
बता दें कि मां नंदा सुनंदा को कुमाऊं में कुल देवी के रूप में पूजा (Kuldevi of Kumaon Maa Nanda sunanda) जाता है. चंद शासनकाल में चंद राजा मां नंदा सुनंदा को कुल देवी के रूप में पूजा करते थे और अब पूरे कुमाऊं क्षेत्र के लोग मां नंदा सुनंदा को कुल देवी के रूप में पूजते हैं. ऐसा माना जाता है कि मां नंदा और सुनंदा साल में एक बार अपने मायके यानी कुमाऊं आती हैं. यही कारण है कि अष्टमी के दिन यानी आज कुमाऊं के विभिन्न स्थानों पर मां नंदा और सुनंदा की प्रतिमा तैयार कर प्राण प्रतिष्ठा की जाती है. प्राण प्रतिष्ठा के बाद समझा जाता है कि मां नंदा सुनंदा अपने मायके पहुंच गई हैं.
नैनी झील में होगा मां नंदा सुनंदा के डोला का विसर्जनः मां नंदा सुनंदा की अगले तीन दिनों तक कुमाऊं के लोग उपासना करेंगे. आगामी 7 सितंबर को भव्य डोला भ्रमण के बाद मां नंदा सुनंदा का नैनी झील में विसर्जन (Nainital Naini Lake) किया जाएगा. विसर्जन की यह परंपरा उसी तरह होता है, जिस तरह से लोग अपने बेटी को ससुराल को विदा करते हैं. मां नंदा-सुनंदा को मायके नैनीताल से ससुराल विदा करने की परंपरा भी है. इस दौरान लोगों की आंखें नम हो जाती हैं.