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'अंकल सैम' की सब्जियों का स्वाद बढ़ा रहा नैनीताल का आलू, पेंसिलवेनिया के लिए हुआ निर्यात - हल्द्वानी मंडी

नैनीताल जिले के पहाड़ी क्षेत्रों के काश्तकारों की आजीविका का मुख्य साधन आलू की उपज है. अब नैनीताल के आलू की पहचान अमेरिका में भी बन रही है. वहां भारतीय कम्युनिटी के लोग इसको पसंद कर रहे हैं.

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Published : Jul 1, 2021, 12:55 PM IST

Updated : Jul 1, 2021, 7:18 PM IST

हल्द्वानी: सब्जियों के राजा के तौर पर आलू को जाना जाता है. आलू के बगैर सब्जियों का स्वाद अधूरा ही रहता है. लेकिन अगर हम बात करें आलू की तो नैनीताल के आलू के स्वाद की बात ही अलग है. नैनीताल का आलू उत्तराखंड के अलावा कई राज्यों में अपनी पहचान बना चुका है. यहां के आलू की डिमांड देश की अन्य मंडियों में भरपूर मात्रा में की जाती है.

नैनीताल जिले के पहाड़ी क्षेत्रों के काश्तकारों का आलू आजीविका का मुख्य साधन है. पहाड़ के आलू की स्वाद की बात ही अलग है. ऐसे में नैनीताल के आलू की पहचान देश के उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों की मंडियों में खूब की जा रही है. अब तो नैनीताल के आलू की पहचान अमेरिका में भी बन रही है. यहां भारतीय कम्युनिटी के लोग इसको बहुत पसंद कर रहे हैं.

'अंकल सैम' की सब्जियों का स्वाद बढ़ा रहा नैनीताल का आलू

अमेरिका तक नैनीताल के आलू की पहचान.

हल्द्वानी मंडी में पहाड़ के आलू व्यापारी नवीन पाठक ने बताया कि उनकी आढ़त से देश की अन्य मंडियों में आलू की खूब डिमांड की जा रही है. उन्होंने एक क्विंटल आलू अमेरिका के पेंसिलवेनिया माउंटेन टॉप को भेजा है. वहां हल्द्वानी निवासी एनडी गुप्ता रहते हैं. नवीन पाठक ने बताया कि एनडी गुप्ता की डिमांड पर इसी सप्ताह ट्रांसपोर्ट के माध्यम से एक क्विंटल आलू अमेरिका भेजा है.

उन्होंने बताया कि 25-25 किलो की उच्च क्वालिटी की पैकेजिंग के माध्यम से आलू भेजा है. जिससे रास्ते में आलू खराब न हो. उन्होंने बताया कि एनडी गुप्ता पूर्व में भी उनसे आलू मंगा चुके हैं. वहां वह भारतीय कम्युनिटी के लोगों को पहाड़ के आलू का स्वाद चखाते हैं.

पढ़ें: सूर्यकांत धस्माना ने चारधाम यात्रा की तैयारियों को बताया हवा-हवाई, उठाए सवाल

आलू कारोबारी दीपक कुमार ने बताया कि नैनीताल जनपद के ओखलकांडा, धारी, रामगढ़ के इलाकों में अधिक मात्रा में आलू की पैदावार होती है. यहां के काश्तकारों का आलू उत्पादन मुख्य रोजगार का संसाधन है. जून माह से लेकर अक्टूबर माह तक यहां पर आलू की भरपूर पैदावार होती है. इन दिनों हल्द्वानी मंडी से रोजाना 20 से 25 गाड़ियों के माध्यम से करीब 250 टन आलू रोजाना देश की अलग-अलग मंडियों में जा रहा है. जहां किसानों को अपने आलू की कीमत ₹15 से लेकर ₹20 किलो तक मिला है.

अमेरिका से आया आलू, पुर्तगाली लाए

आलू दुनिया में सबसे ज्यादा लोकप्रिय और सबसे ज्यादा प्रयोग की जाने वाली सब्जी है. आलू पूरी दुनिया में उगाया जाता है, लेकिन इसका मूल स्थान दक्षिण अमेरिका है. भारत में यह 16वीं शताब्दी के आसपास पुर्तगालियों द्वारा लाया गया.

पौष्टिक तत्वों से भरपूर है आलू

आलू पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है. इसका मुख्य पौष्टिक तत्व स्टार्च होता है. इसमें कुछ मात्रा उच्च जैविक मान वाले प्रोटीन की भी होती है. आलू क्षारीय होता है, इसलिए यह शरीर में क्षारों की मात्रा बढ़ाने या उसे बरकरार रखने में बहुत सहायक होता है. यह शरीर में ऐसीडोसिस भी नहीं होने देता.

आलू में विटामिन सी भी होता है

आलू में सोडा, पोटाश और विटामिन 'ए' तथा 'डी' भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं. आलू का सबसे अधिक महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व विटामिन सी है. यूरोप में जब से आलू का प्रयोग व्यापक होता गया है, तब से स्कर्वी नामक रोग की घटनाएं बहुत कम देखने में आती हैं.

औषधि भी है आलू

आलू यूरिक अम्ल को घोलकर निकालता है. पुरानी कब्ज, आंतों में विषाक्तता, यूरिक एसिड से संबंधित रोग, गुर्दों में पथरी, ड्रॉप्सी आदि रोगों के इलाज में आलू पर आधारित चिकित्सा को बहुउपयोगी माना गया है. स्कर्वी रोग में आलू को आदर्श आहार औषधि माना गया है.

डायबिटीज वालों के लिए ठीक नहीं आलू

डायबिटीज से कार्बोहाइड्रेट (कार्ब्स) का रिश्ता आमतौर पर ग्लाइसेमिक इन्डेक्स वैल्यू के आधार पर तय किया जाता है. आलू अपने ग्लाइसेमिक इन्डेक्स (जीआई स्कोर) के चलते 'ख़राब' कार्बोहाइड्रेट माना जाता है. किसी भी खाद्य पदार्थ में ग्लाइसेमिक इन्डेक्स का 70 से ज़्यादा होना खतरनाक है. क्योंकि ये खून में शुगर का स्तर तेजी से बढ़ाता है. आलू का ग्लाइसेमिक इन्डेक्स 58 से 111 के बीच होता है. उबले हुए आलू में औसतन 78, जबकि इन्स्टैन्ट कुक्ड आलू का औसत ग्लाइसेमिक इन्डेक्स 87 होता है.

हल्द्वानी: सब्जियों के राजा के तौर पर आलू को जाना जाता है. आलू के बगैर सब्जियों का स्वाद अधूरा ही रहता है. लेकिन अगर हम बात करें आलू की तो नैनीताल के आलू के स्वाद की बात ही अलग है. नैनीताल का आलू उत्तराखंड के अलावा कई राज्यों में अपनी पहचान बना चुका है. यहां के आलू की डिमांड देश की अन्य मंडियों में भरपूर मात्रा में की जाती है.

नैनीताल जिले के पहाड़ी क्षेत्रों के काश्तकारों का आलू आजीविका का मुख्य साधन है. पहाड़ के आलू की स्वाद की बात ही अलग है. ऐसे में नैनीताल के आलू की पहचान देश के उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों की मंडियों में खूब की जा रही है. अब तो नैनीताल के आलू की पहचान अमेरिका में भी बन रही है. यहां भारतीय कम्युनिटी के लोग इसको बहुत पसंद कर रहे हैं.

'अंकल सैम' की सब्जियों का स्वाद बढ़ा रहा नैनीताल का आलू

अमेरिका तक नैनीताल के आलू की पहचान.

हल्द्वानी मंडी में पहाड़ के आलू व्यापारी नवीन पाठक ने बताया कि उनकी आढ़त से देश की अन्य मंडियों में आलू की खूब डिमांड की जा रही है. उन्होंने एक क्विंटल आलू अमेरिका के पेंसिलवेनिया माउंटेन टॉप को भेजा है. वहां हल्द्वानी निवासी एनडी गुप्ता रहते हैं. नवीन पाठक ने बताया कि एनडी गुप्ता की डिमांड पर इसी सप्ताह ट्रांसपोर्ट के माध्यम से एक क्विंटल आलू अमेरिका भेजा है.

उन्होंने बताया कि 25-25 किलो की उच्च क्वालिटी की पैकेजिंग के माध्यम से आलू भेजा है. जिससे रास्ते में आलू खराब न हो. उन्होंने बताया कि एनडी गुप्ता पूर्व में भी उनसे आलू मंगा चुके हैं. वहां वह भारतीय कम्युनिटी के लोगों को पहाड़ के आलू का स्वाद चखाते हैं.

पढ़ें: सूर्यकांत धस्माना ने चारधाम यात्रा की तैयारियों को बताया हवा-हवाई, उठाए सवाल

आलू कारोबारी दीपक कुमार ने बताया कि नैनीताल जनपद के ओखलकांडा, धारी, रामगढ़ के इलाकों में अधिक मात्रा में आलू की पैदावार होती है. यहां के काश्तकारों का आलू उत्पादन मुख्य रोजगार का संसाधन है. जून माह से लेकर अक्टूबर माह तक यहां पर आलू की भरपूर पैदावार होती है. इन दिनों हल्द्वानी मंडी से रोजाना 20 से 25 गाड़ियों के माध्यम से करीब 250 टन आलू रोजाना देश की अलग-अलग मंडियों में जा रहा है. जहां किसानों को अपने आलू की कीमत ₹15 से लेकर ₹20 किलो तक मिला है.

अमेरिका से आया आलू, पुर्तगाली लाए

आलू दुनिया में सबसे ज्यादा लोकप्रिय और सबसे ज्यादा प्रयोग की जाने वाली सब्जी है. आलू पूरी दुनिया में उगाया जाता है, लेकिन इसका मूल स्थान दक्षिण अमेरिका है. भारत में यह 16वीं शताब्दी के आसपास पुर्तगालियों द्वारा लाया गया.

पौष्टिक तत्वों से भरपूर है आलू

आलू पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है. इसका मुख्य पौष्टिक तत्व स्टार्च होता है. इसमें कुछ मात्रा उच्च जैविक मान वाले प्रोटीन की भी होती है. आलू क्षारीय होता है, इसलिए यह शरीर में क्षारों की मात्रा बढ़ाने या उसे बरकरार रखने में बहुत सहायक होता है. यह शरीर में ऐसीडोसिस भी नहीं होने देता.

आलू में विटामिन सी भी होता है

आलू में सोडा, पोटाश और विटामिन 'ए' तथा 'डी' भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं. आलू का सबसे अधिक महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व विटामिन सी है. यूरोप में जब से आलू का प्रयोग व्यापक होता गया है, तब से स्कर्वी नामक रोग की घटनाएं बहुत कम देखने में आती हैं.

औषधि भी है आलू

आलू यूरिक अम्ल को घोलकर निकालता है. पुरानी कब्ज, आंतों में विषाक्तता, यूरिक एसिड से संबंधित रोग, गुर्दों में पथरी, ड्रॉप्सी आदि रोगों के इलाज में आलू पर आधारित चिकित्सा को बहुउपयोगी माना गया है. स्कर्वी रोग में आलू को आदर्श आहार औषधि माना गया है.

डायबिटीज वालों के लिए ठीक नहीं आलू

डायबिटीज से कार्बोहाइड्रेट (कार्ब्स) का रिश्ता आमतौर पर ग्लाइसेमिक इन्डेक्स वैल्यू के आधार पर तय किया जाता है. आलू अपने ग्लाइसेमिक इन्डेक्स (जीआई स्कोर) के चलते 'ख़राब' कार्बोहाइड्रेट माना जाता है. किसी भी खाद्य पदार्थ में ग्लाइसेमिक इन्डेक्स का 70 से ज़्यादा होना खतरनाक है. क्योंकि ये खून में शुगर का स्तर तेजी से बढ़ाता है. आलू का ग्लाइसेमिक इन्डेक्स 58 से 111 के बीच होता है. उबले हुए आलू में औसतन 78, जबकि इन्स्टैन्ट कुक्ड आलू का औसत ग्लाइसेमिक इन्डेक्स 87 होता है.

Last Updated : Jul 1, 2021, 7:18 PM IST
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