हल्द्वानी: एक ओर जहां राज्य सरकार प्रदेश में पलायन रोकने के लिए उद्योग धंधों को बढ़ावा देने की बात करती है. वहीं, नैनीताल जनपद में 20 से ज्यादा फैक्ट्रियां ऐसी हैं, जो किन्हीं कारणों से बंद पड़ी हैं. ऐसे में लॉकडाउन में प्रदेश लौटे प्रवासी रोजगार की तलाश में एक बार फिर से पलायन करने पर मजबूर हैं. ऐसे में प्रदेश सरकार की उदासीनता के चलते पहाड़ से पलायन रोकने और प्रवासियों को रोजगार देने के सभी दावे फेल नजर आ रहे हैं.
उत्तराखंड के दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी सहित कई नेताओं ने कई छोटे-बड़े उद्योगों की स्थापना कराई. जिससे कि यहां के लोगों को रोजगार मिल सके. लेकिन वर्तमान में नैनीताल जनपद में एचएमटी समेत कई ऐसी फैक्ट्रियां हैं, जो सालों से बंद पड़ी हैं. ऐसे में पहाड़ के युवाओं को रोगजार की तलाश में पलायन को मजबूर होना पड़ रहा है. ऐसे में पहाड़ से पलायन रोकने और प्रवासियों को रोजगार देने के प्रदेश सरकार सभी दावे फेल नजर आ रहे हैं.
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नैनीताल जनपद की ये फैक्ट्रियां पड़ी हैं बंद
जिलाधिकारी सविन बंसल का कहना है कि अगर कोई उद्योगपति अपने बंद उद्योग को चालू करना चाहता है तो उसके लिए विकल्प खुले हुए हैं. जमीन को रिनुअल करने, बैंकों से लोन लेकर दोबारा से फैक्ट्री को चालू करने या अन्य कारणों से उद्योग बंद हैं, तो उसके लिए सरकार और जिला प्रशासन उनको सहायता देने के लिए तैयार है. उद्योगपतियों के सामने कोई समस्या हो तो अपनी समस्याओं को प्रशासन के सामने रख सकते हैं. जिससे की फैक्ट्रियों को दोबारा से चालू कराया जा सके.
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गौर हो, कोरोनाकाल में प्रदेश में भारी संख्या में प्रवासी घर लौटे हैं, लेकिन इन प्रवासियों के पास रोजगार नहीं होने के चलते फिर पलायन की तैयारी में हैं. वहीं लोगों की मानें तो अगर यह उद्योग दोबारा से शुरू हो जाते तो प्रवासियों को रोजगार मिल पाता, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है. प्रदेश में रोजगार नहीं मिलने के चलते प्रवासी दोबारा से पलायन की तैयारी में हैं.