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कोरोना का खौफ, श्मशान घाट से अस्थियां तक नहीं ले जा रहे परिजन

कोरोना की दहशत लोगों पर कुछ इस तरह हावी है कि वे मृतक के दाह संस्कार के बाद अस्थियां तक नहीं ले जा रहे हैं.

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Published : Apr 29, 2021, 9:01 AM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड में कोरोना का कहर जारी है. प्रदेश में कोरोना से मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. मौत के बाद श्मशान घाटों पर शवों के दाह संस्कार के लिए लंबी-लंबी लाइनें देखी जा रही है. लेकिन मृतकों के परिजनों में कोरोना का इतना खौफ है कि दाह संस्कार के बाद परिजन अस्थियां तक नहीं ले जा रहे हैं.


हल्द्वानी के राजपुरा मुक्तिधाम में मृतकों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. मृतकों के परिजन उनका अंतिम दर्शन भी ठीक से नहीं कर पा रहे हैं. लोगों में कोरोना का खौफ इतना है कि लोग अस्थियां तक नहीं ले जा रहे हैं. अस्थि कलश ले जाने वालों की संख्या नाम मात्र ही रह गई है.

मुक्तिधाम के मुंशी मृगराजन का कहना है कि लोग चिता की राख के बाद अपनों के अस्थियां (फूल) चुनने भी नहीं आ रहे हैं. घाट के अस्थि कलश कक्ष में अभी करीब 35 कलश रखे हुए हैं. जिसे लोग लेने भी नहीं आ रहे हैं.

पढ़ें: सुशीला तिवारी अस्पताल में 57 स्टाफ कोरोना पॉजिटिव, हुए आइसोलेट

हिंदू मान्यता के अनुसार अंतिम संस्कार के बाद चिता की राख को गंगा में प्रवाहित किया जाता है. लेकिन लॉकडाउन की पाबंदियां और कोविड-19 संक्रमण के डर के चलते लोग अपनों की अस्थियां भी गंगा में प्रवाहित करने से बच रहे हैं.

हल्द्वानी: उत्तराखंड में कोरोना का कहर जारी है. प्रदेश में कोरोना से मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. मौत के बाद श्मशान घाटों पर शवों के दाह संस्कार के लिए लंबी-लंबी लाइनें देखी जा रही है. लेकिन मृतकों के परिजनों में कोरोना का इतना खौफ है कि दाह संस्कार के बाद परिजन अस्थियां तक नहीं ले जा रहे हैं.


हल्द्वानी के राजपुरा मुक्तिधाम में मृतकों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. मृतकों के परिजन उनका अंतिम दर्शन भी ठीक से नहीं कर पा रहे हैं. लोगों में कोरोना का खौफ इतना है कि लोग अस्थियां तक नहीं ले जा रहे हैं. अस्थि कलश ले जाने वालों की संख्या नाम मात्र ही रह गई है.

मुक्तिधाम के मुंशी मृगराजन का कहना है कि लोग चिता की राख के बाद अपनों के अस्थियां (फूल) चुनने भी नहीं आ रहे हैं. घाट के अस्थि कलश कक्ष में अभी करीब 35 कलश रखे हुए हैं. जिसे लोग लेने भी नहीं आ रहे हैं.

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हिंदू मान्यता के अनुसार अंतिम संस्कार के बाद चिता की राख को गंगा में प्रवाहित किया जाता है. लेकिन लॉकडाउन की पाबंदियां और कोविड-19 संक्रमण के डर के चलते लोग अपनों की अस्थियां भी गंगा में प्रवाहित करने से बच रहे हैं.

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