हल्द्वानी: उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र जैव विविधता के संरक्षण के क्षेत्र मैं कई उपलब्धि हासिल कर चुका है. अनुसंधान केंद्र विलुप्त हो चुकी कई पौधों को संरक्षित करने का भी काम किया है. इसी के तहत अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी सेंटर में ऑर्किड प्रजाति के पौधों को संरक्षित करने का काम किया है, जो इन दोनों रंग बिरंगी फूलों और खुशबू से महक उठा है.
हल्द्वानी अनुसंधान केंद्र में करीब 24 प्रजातियों के ऑर्किड के पौधे लगाए गए हैं जो विकसित हो चुके हैं. इसमें कई ऐसी प्रजातियां हैं जो विलुप्ति के कगार पर हैं. अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन सिंह बिष्ट ने बताया उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र द्वारा हल्द्वानी के साथ-साथ चमोली और पिथौरागढ़ में भी ऑर्किड प्रजातियों के पौधों को संरक्षित करने का काम किया है. जिसके तहत अनुदान केंद्र करीब 48 ऑर्किड प्रजातियों के पौधों को संरक्षित किया है.
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ऑर्किड वनस्पति जगत का सुंदर पुष्प है. यह अपने विशिष्ट औषधीय गुणों के साथ ही अपने अद्भुत रंग-रूप, आकार एवं आकृति तथा लंबे समय तक ताजा बने रहने के गुण के कारण अंतरराष्ट्रीय पुष्प बाजार में विशेष स्थान रखता है. उन्होंने कहा ऑर्किड प्रजातियों का संरक्षण करने का मुख्य उद्देश्य है कि लोग प्रजातियों के पौधों के साथ-साथ उनके फूलों के बारे में भी जानकारी हासिल कर सके. ऑर्किड स्वरोजगार का एक अच्छा साधन बन सकता है. कमर्शियल रूप में इसकी खेती कर इससे अच्छी आमदनी हासिल की जा सकती है. ऑर्किड के फूलों की खासियत बात करें तो यह लंबे समय तक टिकाऊ होता है. बाजारों में इसकी अच्छे दाम भी मिलते हैं. आर्किड संरक्षण केंद्र में आने वालों को देश-दुनिया में पाई जाने वाली आर्किड की प्रजातियों व इनके इतिहास के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी.