नैनीतालः उत्तराखंड में होने वाली स्टाफ नर्स भर्ती परीक्षा की तिथि में बार-बार हो रहे बदलाव का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है. मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार के तकनीकी शिक्षा सचिव को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.
बता दें कि श्रीनगर निवासी अरुण सिंह द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा स्टाफ नर्स भर्ती परीक्षा के लिए 9 जुलाई 2020 को नियमावली परिवर्तित कर लिखित परीक्षा का प्रावधान किया गया. जिसमें चयन उत्तराखंड मेडिकल सर्विस सिलेक्शन बोर्ड द्वारा करना था. इसमें अभ्यर्थी के अनुभव के आधार पर वेटेज देने का नियम था. लेकिन सरकार द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से नोटिफिकेशन उत्तराखंड तकनीकी शिक्षा बोर्ड को भेज दिया गया.
MMSB को है अधिकार
याचिकाकर्ता का कहना है कि नर्स भर्ती परीक्षा को कराने का अधिकार केवल मेडिकल सर्विस सिलेक्शन बोर्ड को है. इसके बावजूद भी सरकार इस परीक्षा का आयोजन उत्तराखंड तकनीकी शिक्षा बोर्ड से करा रही है. ताकि अपने कुछ खास लोगों को इस पदों पर भरा जा सके. जिसके लिए बोर्ड द्वारा पहले दिसंबर 2020 को भर्ती परीक्षा के लिए नई विज्ञप्ति जारी की गई.
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6 बार जारी हुई विज्ञप्ति
इस विज्ञप्ति के बावजूद फिर बोर्ड द्वारा जनवरी 2021 में नियमावली संशोधित कर अनुभव के आधार पर दिए जाने वाले अंक (वेटेज) को खत्म कर दिया गया. इस विज्ञप्ति के बावजूद दोबारा 2 फरवरी, 9 फरवरी और 17 अप्रैल 2021 को तकनीकी बोर्ड के द्वारा एक विज्ञप्ति जारी की गई. लेकिन अब तक परीक्षा का आयोजन नहीं किया गया है.
'चहेतों पर मेहरबान बोर्ड'
हाईकोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ता ने सरकार पर आरोप लगाया है कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान नीट जैसी बड़ी परीक्षा तक स्थगित हो गई है. लेकिन बोर्ड के द्वारा अपने चहेतों को फायदा दिलाने के लिए संक्रमण काल में भी परीक्षा का आयोजन करवाया जा रहा है.
वहीं मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने राज्य सरकार समेत सचिव तकनीकी शिक्षा को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर अपना जवाब शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.