नैनीतालः श्रीनगर गढ़वाल स्थित एनआईटी को शिफ्ट करने के मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाई कोर्ट ने एनआईटी के स्थाई कैंपस के निर्माण को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए सरकार को जमकर फटकार लगाई. कोर्ट ने सरकार को चार स्थानों का चयन कर चार हफ्ते में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं, साथ ही चयनित स्थानों की विस्तृत रिपोर्ट आगामी 24 अप्रैल तक पेश करने को कहा है.
बता दें कि साल 2009 में स्वीकृत उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) का अस्थायी कैंपस पॉलीटेक्निक के परिसंपत्ति में संचालित हो रहा है. जबकि स्थाई कैंपस के लिए श्रीनगर से 16 किलोमीटर दूर सुमाड़ी में भूमि चयनित की गई है, लेकिन भूमि के उपयुक्त ना पाये जाने के कारण अभी तक स्थाई कैंपस का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है. बीते 2018 में एक छात्रा की हादसे में मौत के बाद छात्रों ने प्रदर्शन किया था. जिसमें करीब 900 छात्रों ने कैंपस खाली कर दिया था. विरोध बढ़ता देख सरकार ने छात्रों को जयपुर शिफ्ट करने का निर्णय लिया था.
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एनआईटी के पूर्व छात्र जसवीर सिंह ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि स्थापना के नौ साल बाद भी यहां स्थायी कैंपस का निर्माण नहीं किया गया है. जिसे लेकर छात्र लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन सरकार ने उनकी मांगों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और सरकार अब एनआईटी को उत्तराखंड से कहीं दूसरे प्रदेश में शिफ्ट करने का मन बना रही है. याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदर्शन के दौरान एक छात्रा की मौत भी हो चुकी है. एक छात्रा गंभीर रूप से घायल है. लिहाजा सरकार और एनआईटी प्रबंधन घायल छात्रा का इलाज कराएं. जसवीर सिंह का कहना है कि एनआईटी की बिल्डिंग काफी जर्जर स्थिति में है. बिल्डिंग कभी भी गिर सकती है. ऐसे में बड़ा हादसा होने का अंदेशा रहता है.
बुधवार को एनआईटी के स्थाई निर्माण के मामले को लेकर कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि इन 10 सालों में उत्तराखंड में एनआईटी के निर्माण के लिए क्या कदम उठाएं गए हैं? मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश एनएस धानिक की खंडपीठ ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को 24 अप्रैल तक मामले पर विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. राज्य सरकार को उत्तराखंड के पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों के चार स्थानों का चयन करने का कहा है, जहां पर एनआईटी का निर्माण किया जा सके. वहीं कोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल से भी मामले में जवाब पेश करने को कहा है. अब मामले की अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी.