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NIT श्रीनगर को लेकर HC सख्त, केंद्र को लगाई फटकार, 4 हफ्ते में जवाब पेश करने के आदेश

उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) श्रीनगर को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश एनएस धानिक की खंडपीठ ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को 24 अप्रैल तक मामले पर विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. राज्य सरकार को उत्तराखंड के पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों के चार स्थानों का चयन करने का कहा है, जहां पर एनआईटी का निर्माण किया जा सके.

श्रीनगर एनआईटी स्थायी कैंपस मामले पर सुनवाई
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Published : Mar 27, 2019, 6:41 PM IST

Updated : Mar 27, 2019, 9:37 PM IST

नैनीतालः श्रीनगर गढ़वाल स्थित एनआईटी को शिफ्ट करने के मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाई कोर्ट ने एनआईटी के स्थाई कैंपस के निर्माण को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए सरकार को जमकर फटकार लगाई. कोर्ट ने सरकार को चार स्थानों का चयन कर चार हफ्ते में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं, साथ ही चयनित स्थानों की विस्तृत रिपोर्ट आगामी 24 अप्रैल तक पेश करने को कहा है.

जानकारी देते अभिजय नेगी अधिवक्ता याचिकाकर्ता.


बता दें कि साल 2009 में स्वीकृत उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) का अस्थायी कैंपस पॉलीटेक्निक के परिसंपत्ति में संचालित हो रहा है. जबकि स्थाई कैंपस के लिए श्रीनगर से 16 किलोमीटर दूर सुमाड़ी में भूमि चयनित की गई है, लेकिन भूमि के उपयुक्त ना पाये जाने के कारण अभी तक स्थाई कैंपस का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है. बीते 2018 में एक छात्रा की हादसे में मौत के बाद छात्रों ने प्रदर्शन किया था. जिसमें करीब 900 छात्रों ने कैंपस खाली कर दिया था. विरोध बढ़ता देख सरकार ने छात्रों को जयपुर शिफ्ट करने का निर्णय लिया था.

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एनआईटी के पूर्व छात्र जसवीर सिंह ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि स्थापना के नौ साल बाद भी यहां स्थायी कैंपस का निर्माण नहीं किया गया है. जिसे लेकर छात्र लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन सरकार ने उनकी मांगों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और सरकार अब एनआईटी को उत्तराखंड से कहीं दूसरे प्रदेश में शिफ्ट करने का मन बना रही है. याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदर्शन के दौरान एक छात्रा की मौत भी हो चुकी है. एक छात्रा गंभीर रूप से घायल है. लिहाजा सरकार और एनआईटी प्रबंधन घायल छात्रा का इलाज कराएं. जसवीर सिंह का कहना है कि एनआईटी की बिल्डिंग काफी जर्जर स्थिति में है. बिल्डिंग कभी भी गिर सकती है. ऐसे में बड़ा हादसा होने का अंदेशा रहता है.


बुधवार को एनआईटी के स्थाई निर्माण के मामले को लेकर कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि इन 10 सालों में उत्तराखंड में एनआईटी के निर्माण के लिए क्या कदम उठाएं गए हैं? मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश एनएस धानिक की खंडपीठ ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को 24 अप्रैल तक मामले पर विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. राज्य सरकार को उत्तराखंड के पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों के चार स्थानों का चयन करने का कहा है, जहां पर एनआईटी का निर्माण किया जा सके. वहीं कोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल से भी मामले में जवाब पेश करने को कहा है. अब मामले की अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी.

नैनीतालः श्रीनगर गढ़वाल स्थित एनआईटी को शिफ्ट करने के मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाई कोर्ट ने एनआईटी के स्थाई कैंपस के निर्माण को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए सरकार को जमकर फटकार लगाई. कोर्ट ने सरकार को चार स्थानों का चयन कर चार हफ्ते में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं, साथ ही चयनित स्थानों की विस्तृत रिपोर्ट आगामी 24 अप्रैल तक पेश करने को कहा है.

जानकारी देते अभिजय नेगी अधिवक्ता याचिकाकर्ता.


बता दें कि साल 2009 में स्वीकृत उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) का अस्थायी कैंपस पॉलीटेक्निक के परिसंपत्ति में संचालित हो रहा है. जबकि स्थाई कैंपस के लिए श्रीनगर से 16 किलोमीटर दूर सुमाड़ी में भूमि चयनित की गई है, लेकिन भूमि के उपयुक्त ना पाये जाने के कारण अभी तक स्थाई कैंपस का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है. बीते 2018 में एक छात्रा की हादसे में मौत के बाद छात्रों ने प्रदर्शन किया था. जिसमें करीब 900 छात्रों ने कैंपस खाली कर दिया था. विरोध बढ़ता देख सरकार ने छात्रों को जयपुर शिफ्ट करने का निर्णय लिया था.

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एनआईटी के पूर्व छात्र जसवीर सिंह ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि स्थापना के नौ साल बाद भी यहां स्थायी कैंपस का निर्माण नहीं किया गया है. जिसे लेकर छात्र लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन सरकार ने उनकी मांगों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और सरकार अब एनआईटी को उत्तराखंड से कहीं दूसरे प्रदेश में शिफ्ट करने का मन बना रही है. याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदर्शन के दौरान एक छात्रा की मौत भी हो चुकी है. एक छात्रा गंभीर रूप से घायल है. लिहाजा सरकार और एनआईटी प्रबंधन घायल छात्रा का इलाज कराएं. जसवीर सिंह का कहना है कि एनआईटी की बिल्डिंग काफी जर्जर स्थिति में है. बिल्डिंग कभी भी गिर सकती है. ऐसे में बड़ा हादसा होने का अंदेशा रहता है.


बुधवार को एनआईटी के स्थाई निर्माण के मामले को लेकर कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि इन 10 सालों में उत्तराखंड में एनआईटी के निर्माण के लिए क्या कदम उठाएं गए हैं? मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश एनएस धानिक की खंडपीठ ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को 24 अप्रैल तक मामले पर विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. राज्य सरकार को उत्तराखंड के पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों के चार स्थानों का चयन करने का कहा है, जहां पर एनआईटी का निर्माण किया जा सके. वहीं कोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल से भी मामले में जवाब पेश करने को कहा है. अब मामले की अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी.

Intro:स्लग-जवाब

रिपोर्ट-गौरव जोशी

स्थान-नैनीताल

एंकर- श्रीनगर गढ़वाल से एन आई टी को सिफ्ट करने के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को 4 सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट के साथ जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं साथ ही राज्य सरकार को आदेश दिया है कि राज्य सरकार उत्तराखंड पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों मे से 4 स्थानों का का चयन करें जहा पर एनआईटी का निर्माण किया जा सके,,, वहीं कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं कि वह चयनित स्थानों की रिपोर्ट 24 अप्रैल तक कोर्ट में पेश करें


Body:आज सुनवाई के दौरान एनआईटी के स्थाई निर्माण के मामले मे कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार से पूछा है कि केंद्र सरकार ने 10 सालों बीत जाने के बाद भी उत्तराखंड में एन आई टी के निर्माण के लिए क्या कदम उठाए वहीं कोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल से भी मामले में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं,,,


Conclusion: आपको बता दें कि एनआईटी के पूर्व छात्र जसवीर सिंह ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उनके कॉलेज को बने 9 साल हो गए हैं लेकिन 9 सालों के बाद भी उनको स्थाई केंपस नहीं मिला जिसको लेकर छात्र काफी लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे थे,, लेकिन सरकार ने उनकी मांगों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और सरकार अब एनआईटी को उत्तराखंड से कहीं दूसरे प्रदेश में सिफ्ट करने का मना रही है वहीं प्रदर्शन के दौरान एक छात्रा की मौत भी हो चुकी है और एक छात्र गंभीर रूप से घायल है लिहाजा सरकार और एन आई टी प्रबंधन घायल छात्रा का उपचार कराएं वह याचिका कर्ता जसवीर सिंह का कहना है कि जिस जगह उत्तराखंड में वह बिल्डिंग काफी जर्जर स्थिति में है बिल्डिंग गिर सकती है जिससे बड़ा हादसा हो सकता है,,,
आज मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश एन एस धानिक की की खंडपीठ ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को 24 अप्रैल तक वापस करने के आदेश दिए हैं साथ ही राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि राज्य सरकार उत्तराखंड के पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में से स्थानों का चयन करें ताकि उत्तराखंड में एनआईटी का निर्माण किया जा सके।

बाईट - अभिजय नेगी अधिवक्ता याचिकाकर्ता
Last Updated : Mar 27, 2019, 9:37 PM IST
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