नैनीताल: जनपद के मुक्तेश्वर, चाफी समेत आसपास के गांवों में नीदरलैंड के डच प्रजाति समेत विदेशी प्रजाति के सबों की खेती की जा रही है. बता दें कि, बीते 3 सालों में पहाड़ का फल पट्टी क्षेत्र में विदेशी सेब के बागान काफी संख्या में बढ़े हैं. इससे पहाड़ के काश्तकारों को काफी फायदा हो रहा है.
मुक्तेश्वर क्षेत्र के सेब काश्तकार सोबन सिंह का कहना है कि विदेशी प्रजाति के सेब के पेड़ मात्र एक साल के भीतर तैयार हो जाते हैं. जो एक साल के भीतर फल देना भी शुरू कर देते हैं और इन विदेशी सबों की मांग दिल्ली, महाराष्ट्र, कलकत्ता समेत देश के अन्य महानगरों में तेजी से बढ़ रही है, जो पहाड़ के किसानों के लिए काफी फायदेमंद है.
बता दें कि, बीते 3 सालों में पहाड़ का फल पट्टी क्षेत्र में विदेशी सेब के बागान काफी संख्या में बढ़ चुका है, प्रतिवर्ष रामगढ़, मुक्तेश्वर, धारी समेत आसपास के क्षेत्र से 2 लाख टन सेब का उत्पादन किया जाता है. जिसे देशभर की मंडियों में भेजा जाता है, जिससे पहाड़ के काश्तकारों को काफी फायदा होता है.
काश्तकारों का कहना है कि रामगढ़, मुक्तेश्वर समेत आसपास का क्षेत्रफल फल उत्पादन के लिए जाना जाता है और यहां विभिन्न प्रकार की पहाड़ी सेब समेत अन्य फलों की खेती होती है. लेकिन इन दिनों पहाड़ विदेशी सेब की खेती से लह-लहा उठे हैं. पहाड़ों में इन दिनों इटली के डिलीशियस, फैनी स्काटा, स्कर्ट लेट स्पर, जर्मन प्रजाति के रेड चीफ, ग्रीन स्मिथ, हॉलैंड प्रजाति के रेड स्पर डेलेसिएस, रेड कॉर्न, मिजगाला, किंग रॉड, रेड लमगाला समेत विभिन्न प्रजातियों के सेब का उत्पादन किया जा रहा है. जिससे पहाड़ के काश्तकारों को मुनाफा हो रहा है.
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पहाड़ों में तेजी से बढ़ रही विदेशी सेब की खेती से अब पहाड़ के युवाओं को घर बैठे रोजगार के अवसर भी मिलने लगा है. जिससे पहाड़ों से हो रहे पलायन पर भी रोक लगी है. सेब काश्तकारों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के अन्य युवाओं को रोजगार दिया जा रहा है.