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डीएम दीपक रावत को अतिक्रमण पर कार्रवाई करनी पड़ी मंहगी, हाई कोर्ट ने सुनाया ये फरमान

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Published : Mar 29, 2019, 10:13 PM IST

मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश एसएन धनिक की खंडपीठ ने डीएम दीपक रावत को 2 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने को कहा है.

नैनीताल हाई कोर्ट

नैनीताल: हरिद्वार के जिलाधिकारी दीपक रावत को बिना नोटिस दिए अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करना मंहगा पड़ गया. इस मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने डीएम दीपक रावत को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए है. इसी के साथ कोर्ट ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के मुख्य अभियंता को भी पेश होने को कहा है.

पढ़ें-बीजेपी का कुनबा बढ़ाने की कवायद जारी, रवाईं जन एकता मंच के 22 लोग हुए शामिल

बता दें कि शशि राम मेमोरियल ट्रस्ट हरिद्वार ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि संस्था बालिकाओं के हित और शिक्षा के क्षेत्र में पिछले काफी सालों से काम कर रही है, लेकिन हरिद्वार डीएम दीपक रावत ने ट्रस्ट की संपत्ति पर बने छात्रावास को अतिक्रमण बताते हुए तोड़ दिया गया था. याचिका में कहा गया था कि हाई कोर्ट का आदेश सरकारी भूमि पर काबिज अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए था, लेकिन ट्रस्ट सरकारी भूमि पर नहीं है और उनके पास ट्रस्ट की भूमि की रजिस्ट्री है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि डीएम को कार्रवाई से पहले उन्हें नोटिस दिया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. केवल प्रशासन द्वारा भूमि खाली करने के लिए एक विज्ञप्ति जारी की गई. याचिकाकर्ता के मुताबिक वो उस भूमि पर 1950 से काबिज हैं.

पढ़ें-बिना इजाजत सभा करना हरीश रावत को पड़ा महंगा, निर्वाचन आयोग ने भेजा नोटिस

वहीं, जिलाधिकारी दीपक रावत द्वारा एक प्रार्थना पत्र देकर व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश न होने की छूट मांगी थी. इस मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश एसएन धनिक की खंडपीठ ने इस प्रार्थना-पत्र को खारिज करते हुए डीएम दीपक रावत को 2 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने को कहा है.

नैनीताल: हरिद्वार के जिलाधिकारी दीपक रावत को बिना नोटिस दिए अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करना मंहगा पड़ गया. इस मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने डीएम दीपक रावत को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए है. इसी के साथ कोर्ट ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के मुख्य अभियंता को भी पेश होने को कहा है.

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बता दें कि शशि राम मेमोरियल ट्रस्ट हरिद्वार ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि संस्था बालिकाओं के हित और शिक्षा के क्षेत्र में पिछले काफी सालों से काम कर रही है, लेकिन हरिद्वार डीएम दीपक रावत ने ट्रस्ट की संपत्ति पर बने छात्रावास को अतिक्रमण बताते हुए तोड़ दिया गया था. याचिका में कहा गया था कि हाई कोर्ट का आदेश सरकारी भूमि पर काबिज अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए था, लेकिन ट्रस्ट सरकारी भूमि पर नहीं है और उनके पास ट्रस्ट की भूमि की रजिस्ट्री है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि डीएम को कार्रवाई से पहले उन्हें नोटिस दिया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. केवल प्रशासन द्वारा भूमि खाली करने के लिए एक विज्ञप्ति जारी की गई. याचिकाकर्ता के मुताबिक वो उस भूमि पर 1950 से काबिज हैं.

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वहीं, जिलाधिकारी दीपक रावत द्वारा एक प्रार्थना पत्र देकर व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश न होने की छूट मांगी थी. इस मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश एसएन धनिक की खंडपीठ ने इस प्रार्थना-पत्र को खारिज करते हुए डीएम दीपक रावत को 2 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने को कहा है.

Intro:स्लग-डी एम हो कोर्ट मे पेश

रिपोर्ट-गौरव जोशी

स्थान-नैनीताल

एंकर- हरिद्वार के डीएम को बगैर नोटिस दिए अतिक्रमण तोड़ना महंगा पड़ गया, अतिक्रमण तोड़ने के मामले को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट ने हरिद्वार के डीएम दीपक रावत को 2 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से नैनीताल हाई कोर्ट मैं पेश होने के आदेश दिए हैं साथ ही नेशनल हाईवे के मुख्य अभियंता को भी कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेस होने को कहा है,,
कोर्ट में पेश होने के आदेश के बाद डीएम दीपक रावत की तरफ से प्रार्थना पत्र दायर कर व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने की छूट की प्रार्थना की थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया और कहा की डीएम दीपक रावत 2 अप्रैल को हर हाल में कोर्ट में पेश हों


Body:आपको बता दें कि हरिद्वार शशी राम मेमोरियल ट्रस्ट हरिद्वार द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उनकी संस्था बालिका हित एवं शिक्षा के लिए कार्य कर रही है मगर डीएम हरिद्वार द्वारा ट्रस्ट की संपत्ति पर बने छात्रावास को अतिक्रमण बताते हुए तोड़ दिया गया याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश सरकारी भूमि पर काबिज अतिक्रमणकारियों को हटाया जा रहा था,,, लेकिन ट्रस्ट सरकारी भूमि पर नहीं है और उनके पास ट्रस्ट की भूमि की रजिस्ट्री है
याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर डीएम की तरफ से कोई कार्रवाई की जानी थी तो पहले उनको नोटिस दिया जाना था लेकिन डीएम के द्वारा ऐसा नहीं किया गया केवल प्रशासन के द्वारा भूमि खाली करने के लिए एक विज्ञप्ति जारी करी गई,,


Conclusion:वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि वह उस भूमि पर 1950 से काबिज हैं मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश एसएन धनिक की खंडपीठ ने डीएम दीपक रावत को 2 अप्रैल को हाई कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं,,,
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