नैनीताल: हरिद्वार के जिलाधिकारी दीपक रावत को बिना नोटिस दिए अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करना मंहगा पड़ गया. इस मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने डीएम दीपक रावत को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए है. इसी के साथ कोर्ट ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के मुख्य अभियंता को भी पेश होने को कहा है.
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बता दें कि शशि राम मेमोरियल ट्रस्ट हरिद्वार ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि संस्था बालिकाओं के हित और शिक्षा के क्षेत्र में पिछले काफी सालों से काम कर रही है, लेकिन हरिद्वार डीएम दीपक रावत ने ट्रस्ट की संपत्ति पर बने छात्रावास को अतिक्रमण बताते हुए तोड़ दिया गया था. याचिका में कहा गया था कि हाई कोर्ट का आदेश सरकारी भूमि पर काबिज अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए था, लेकिन ट्रस्ट सरकारी भूमि पर नहीं है और उनके पास ट्रस्ट की भूमि की रजिस्ट्री है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि डीएम को कार्रवाई से पहले उन्हें नोटिस दिया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. केवल प्रशासन द्वारा भूमि खाली करने के लिए एक विज्ञप्ति जारी की गई. याचिकाकर्ता के मुताबिक वो उस भूमि पर 1950 से काबिज हैं.
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वहीं, जिलाधिकारी दीपक रावत द्वारा एक प्रार्थना पत्र देकर व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश न होने की छूट मांगी थी. इस मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश एसएन धनिक की खंडपीठ ने इस प्रार्थना-पत्र को खारिज करते हुए डीएम दीपक रावत को 2 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने को कहा है.