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रिजर्व वन क्षेत्र में चल रहे स्टोन क्रशरों पर हाई कोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब

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Published : Dec 11, 2019, 12:01 AM IST

उत्तराखंड के रिजर्व वन क्षेत्र और ईको सेंसेटिव जोन में नियम विरुद्ध रहे स्टोन क्रशरों पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपना लिया है. इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार से दो सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

स्टोन क्रेशरों पर हाई कोर्ट सख्त सरकार से मांगा जवाब
स्टोन क्रेशरों पर हाई कोर्ट सख्त

नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के रिजर्व वनक्षेत्र समेत ईको सेंसेटिव जोन में नियम विरुद्ध चल रहे स्टोन क्रशर और स्क्रीनिंग क्रशर के मामले पर राज्य सरकार समेत, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दो सप्ताह के भीतर अपना विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी.

आपको बता दें कि बाजपुर निवासी त्रिलोक चंद्र ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर अपील की थी कि राज्य सरकार के द्वारा ईको सेंसेटिव जोन और रिजर्व वन क्षेत्रों में नियम विरुद्ध अवैध तरीके से स्टोन क्रशर और स्क्रीनिंग प्लांट लगा दिए गए हैं. साथ ही कई प्लांटों को लगाने के लिए फाइलिंग का काम प्रोसेस में है. लिहाजा, इन स्टो क्रशरों पर रोक लगाई जाए.

स्टोन क्रशरों पर हाई कोर्ट सख्त.

साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि स्टोन क्रशर केवल औद्योगिक क्षेत्र में लगाए जाते हैं लेकिन, सरकार द्वारा अवैध तरीके से नदियों के किनारे भी स्टोन क्रशर और स्क्रीनिंग प्लांट लगा दिए गए हैं. जिनका संचालन तत्काल बंद कराया जाए. क्योंकि इन स्टोन क्रशर की वजह से लोग अवैध खनन कर रहे हैं, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है.

ये भी पढें: छात्रवृत्ति घोटालाः समाज कल्याण अधिकारी नौटियाल को राहत, हाईकोर्ट से मिली जमानत

वहीं, मंगलवार को नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार समेत राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अपना विस्तृत जवाब दो सप्ताह के भीतर कोर्ट में पेश करने के आदेश दिया हैं.

नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के रिजर्व वनक्षेत्र समेत ईको सेंसेटिव जोन में नियम विरुद्ध चल रहे स्टोन क्रशर और स्क्रीनिंग क्रशर के मामले पर राज्य सरकार समेत, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दो सप्ताह के भीतर अपना विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी.

आपको बता दें कि बाजपुर निवासी त्रिलोक चंद्र ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर अपील की थी कि राज्य सरकार के द्वारा ईको सेंसेटिव जोन और रिजर्व वन क्षेत्रों में नियम विरुद्ध अवैध तरीके से स्टोन क्रशर और स्क्रीनिंग प्लांट लगा दिए गए हैं. साथ ही कई प्लांटों को लगाने के लिए फाइलिंग का काम प्रोसेस में है. लिहाजा, इन स्टो क्रशरों पर रोक लगाई जाए.

स्टोन क्रशरों पर हाई कोर्ट सख्त.

साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि स्टोन क्रशर केवल औद्योगिक क्षेत्र में लगाए जाते हैं लेकिन, सरकार द्वारा अवैध तरीके से नदियों के किनारे भी स्टोन क्रशर और स्क्रीनिंग प्लांट लगा दिए गए हैं. जिनका संचालन तत्काल बंद कराया जाए. क्योंकि इन स्टोन क्रशर की वजह से लोग अवैध खनन कर रहे हैं, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है.

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वहीं, मंगलवार को नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार समेत राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अपना विस्तृत जवाब दो सप्ताह के भीतर कोर्ट में पेश करने के आदेश दिया हैं.

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उत्तराखंड के रिजर्व वन क्षेत्र और इको सेंसेटिव जोन में चल रहे स्टोन क्रेशर के मामले में हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब।

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उत्तराखंड के रिजर्व वन क्षेत्र समेत इको सेंसेटिव जोन में नियम विरुद्ध तरह से चल रहे स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग केसर के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार समेत राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 2 सप्ताह के भीतर अपना विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी।


Body:आपको बता दें कि बाजपुर निवासी त्रिलोक चंद्र ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार के द्वारा इको सेंसेटिव जोन, रिजर्व वन क्षेत्रों में नियम विरुद्ध तरीके से स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग प्लांट लगा दिए गए हैं और कई प्लांटों को लगाने के लिए फाइलिंग का काम प्रोसेस में है लिहाजा पर रोक लगाई जाए साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि स्टोन क्रेशर केवल औद्योगिक क्षेत्र में लगाए जाते हैं लेकिन सरकार द्वारा अवैध तरीके से नदियों के किनारे स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग प्लांट लगा दिए गए हैं जिनको तत्काल बंद करा जाए।


Conclusion:क्योंकि इन स्टोन क्रेशर की वजह से लोग अवैध रूप से खनन कर रहे हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।
आज मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार समेत राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अपना विस्तृत जवाब 2 सप्ताह के भीतर कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं।

बाईट- एस आर एस गिल, अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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