नैनीताल: राज्य सरकार द्वारा रोडवेज कर्मचारियों पर एस्मा लगाए जाने और कर्मचारियों को वेतन न देने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट सख्त रुख अपना लिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार समेत उत्तराखंड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन को विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. उत्तराखंड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन और सरकार ने माना कि पिछले 3 महीने से तनख्वाह नहीं दी गई है.
मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने उत्तराखंड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन को आदेश दिए हैं कि शपथ पत्र के माध्यम से अपनी बातें कोर्ट में पेश करें. बता दें कि रोडवेज कर्मचारियों ने एस्मा लगाने के विरुद्ध में नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. साथ ही सरकार पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था.
बता दें कि रोडवेज एसोसिएशन के द्वारा नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा कि राज्य सरकार कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है, जो सरासर गलत है. सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर कर रही है. सरकार और परिवहन निगम न तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रहे हैं और न ही उनको नियमित वेतन दे रहे हैं. उनको पिछले 4 साल से ओवरटाइम का पैसा तक नहीं दिया जा रहा है. वहीं, रिटायर्ड कर्मचारियों के देय का अब तक भुगतान नहीं किया गया है.
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कर्मचारी यूनियन का सरकार और निगम के साथ कई बार मांगों को लेकर समझौता हो चुका है, लेकिन उसके बाद भी सरकार कर्मचारियों पर एस्मा लगाने जा रही है. साथ ही याचिका में कहा गया कि सरकार निगम को 45 करोड़ रुपये बकाया देना है. वहीं, उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा उत्तराखंड परिवहन निगम को 700 करोड़ रुपये देना है. जिस वजह से उत्तराखंड परिवहन निगम को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
वहीं, उत्तर प्रदेश से 700 करोड़ लेने के लिए राज्य सरकार कोई प्रयास नहीं कर रही है. जिस वजह से उत्तराखंड परिवहन निगम नई बसें नहीं खरीद पा रहा है. साथ ही यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाएं की व्यवस्था नहीं कर पा रही है. मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.