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सहस्त्रधारा क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण मामले पर HC सख्त, सरकार से मांगा जवाब

नैनीताल हाईकोर्ट ने सहस्त्रधारा क्षेत्र में नदी किनारे हो रहे अतिक्रमण मामले पर एमडीडीए और राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

nainital high court
नैनीताल हाईकोर्ट
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Published : Jun 30, 2021, 8:05 PM IST

नैनीतालः देहरादून के सहस्त्रधारा क्षेत्र में नदी किनारे हो रहे अतिक्रमण मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने एमडीडीए समेत राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. साथ ही 4 हफ्ते के भीतर अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि देहरादून निवासी अजय नारायण ने नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital Highcourt) में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि देहरादून क्षेत्र में भू-माफिया सक्रिय हैं, जो मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) समेत अन्य विभागीय अधिकारियों के साथ मिलकर सूख चुके नदियों-नालों को बंजर भूमि घोषित करवाकर उनका प्लॉटिंग कर बेच रहे हैं.

साथ ही कहा है कि नदी के तटों पर अवैध निर्माण करवा रहे हैं. जिस वजह से नदियों समेत चाल-खालों के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में आने वाले बरसात के समय क्षेत्र में बाढ़ का खतरा मंडराएगा. लिहाजा, नदी और उसके किनारे हो रहे अवैध निर्माणों पर तत्काल रोक लगाई जाए.

ये भी पढ़ेंः सहस्त्रधारा में गंधक के प्राकृतिक जलस्रोत को संरक्षण की दरकार

वहीं, बुधवार को मामले को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने डीएम देहरादून को आदेश दिए हैं कि नदी किनारे हो रहे काम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा कर रिपोर्ट पेश करें.

कोरोना काल में भी बढ़ा अतिक्रमण

कोरोना महामारी के दौरान सहस्त्रधारा (Sahastradhara) में पर्यटकों की आवाजाही नहीं हुई. जिस कारण वहां अतिक्रमण बढ़ गया. पहले पर्यटकों के आने के कारण स्थानीय लोग और दुकानदार पूरे इलाके में सक्रिय रहते थे. बताया जा रहा है कि लोगों के कम सक्रिय होने के कारण वहां कुछ प्रोपर्टी डीलरों व बाहरी लोगों ने पहाड़ काटकर कब्जे शुरू कर दिए हैं.

ये भी पढ़ेंः सहस्त्रधारा क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण पर हाईकोर्ट सख्त, 2 हफ्ते में मांगा जवाब

सहस्त्रधारा के पानी में गंधक की मात्रा

सहस्त्रधारा देश-विदेश में अपने गंधक के पानी के प्राकृतिक स्रोत के लिए काफी प्रसिद्ध है. यही वजह है कि लाखों की संख्या में सैलानी गंधक के पानी में स्नान करने के लिए यहां का रुख करते हैं, लेकिन मौजूदा समय में गंधक के पानी का स्रोत बहुत छोटा हो गया है. जिसके चलते इस स्रोत में नहाने के लिए सैलानियों में होड़ मची रहती है.

वहीं, कुछ सैलानी ऐसे भी हैं जो गंधक पानी को एकत्र करने के लिए बनी बाउंड्री के बाहर स्नान करते नजर आते हैं. क्योंकि गंधक के पानी से नहाने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं. इसी वजह से लोग नहाने के लिए पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ेंः मई-जून में गुलजार रहने वाले सहस्त्रधारा में छाई वीरानी, व्यापारी परेशान

चिलचिलाती गर्मी में राहत देती है सहस्त्रधारा

बता दें कि गर्मियों के सीजन में देश के कोने-कोने से सैलानी गर्मी से राहत पाने के लिए उत्तराखंड का रुख करते हैं. सैलानियों को उत्तराखंड की शांत वादियां खूब भाती है. यहीं कारण है कि हर साल करीब 3 करोड़ से ज्यादा सैलानी उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों में घूमने आते हैं.

इन स्थलों में देहरादून स्थित सहस्त्रधारा भी शुमार है. जहां गर्मी से राहत पाने के लिए लाखों की संख्या में सैलानी पहुंचते हैं. जहां लोग ठंडे पानी में नहाने का लुत्फ उठाते हैं. हालांकि, कोरोना महामारी के दौरान सहस्त्रधारा बंद रहा.

नैनीतालः देहरादून के सहस्त्रधारा क्षेत्र में नदी किनारे हो रहे अतिक्रमण मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने एमडीडीए समेत राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. साथ ही 4 हफ्ते के भीतर अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि देहरादून निवासी अजय नारायण ने नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital Highcourt) में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि देहरादून क्षेत्र में भू-माफिया सक्रिय हैं, जो मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) समेत अन्य विभागीय अधिकारियों के साथ मिलकर सूख चुके नदियों-नालों को बंजर भूमि घोषित करवाकर उनका प्लॉटिंग कर बेच रहे हैं.

साथ ही कहा है कि नदी के तटों पर अवैध निर्माण करवा रहे हैं. जिस वजह से नदियों समेत चाल-खालों के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में आने वाले बरसात के समय क्षेत्र में बाढ़ का खतरा मंडराएगा. लिहाजा, नदी और उसके किनारे हो रहे अवैध निर्माणों पर तत्काल रोक लगाई जाए.

ये भी पढ़ेंः सहस्त्रधारा में गंधक के प्राकृतिक जलस्रोत को संरक्षण की दरकार

वहीं, बुधवार को मामले को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने डीएम देहरादून को आदेश दिए हैं कि नदी किनारे हो रहे काम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा कर रिपोर्ट पेश करें.

कोरोना काल में भी बढ़ा अतिक्रमण

कोरोना महामारी के दौरान सहस्त्रधारा (Sahastradhara) में पर्यटकों की आवाजाही नहीं हुई. जिस कारण वहां अतिक्रमण बढ़ गया. पहले पर्यटकों के आने के कारण स्थानीय लोग और दुकानदार पूरे इलाके में सक्रिय रहते थे. बताया जा रहा है कि लोगों के कम सक्रिय होने के कारण वहां कुछ प्रोपर्टी डीलरों व बाहरी लोगों ने पहाड़ काटकर कब्जे शुरू कर दिए हैं.

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सहस्त्रधारा के पानी में गंधक की मात्रा

सहस्त्रधारा देश-विदेश में अपने गंधक के पानी के प्राकृतिक स्रोत के लिए काफी प्रसिद्ध है. यही वजह है कि लाखों की संख्या में सैलानी गंधक के पानी में स्नान करने के लिए यहां का रुख करते हैं, लेकिन मौजूदा समय में गंधक के पानी का स्रोत बहुत छोटा हो गया है. जिसके चलते इस स्रोत में नहाने के लिए सैलानियों में होड़ मची रहती है.

वहीं, कुछ सैलानी ऐसे भी हैं जो गंधक पानी को एकत्र करने के लिए बनी बाउंड्री के बाहर स्नान करते नजर आते हैं. क्योंकि गंधक के पानी से नहाने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं. इसी वजह से लोग नहाने के लिए पहुंचते हैं.

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चिलचिलाती गर्मी में राहत देती है सहस्त्रधारा

बता दें कि गर्मियों के सीजन में देश के कोने-कोने से सैलानी गर्मी से राहत पाने के लिए उत्तराखंड का रुख करते हैं. सैलानियों को उत्तराखंड की शांत वादियां खूब भाती है. यहीं कारण है कि हर साल करीब 3 करोड़ से ज्यादा सैलानी उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों में घूमने आते हैं.

इन स्थलों में देहरादून स्थित सहस्त्रधारा भी शुमार है. जहां गर्मी से राहत पाने के लिए लाखों की संख्या में सैलानी पहुंचते हैं. जहां लोग ठंडे पानी में नहाने का लुत्फ उठाते हैं. हालांकि, कोरोना महामारी के दौरान सहस्त्रधारा बंद रहा.

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