नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट ने वन की परिभाषा बदलने को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार से जवाब मांगा है. राज्य सरकार द्वारा 10 हेक्टेयर से कम क्षेत्र को जंगल ना मानने को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है, साथ ही इस आदेश पर रोक को बरकरार रखा है.
हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए एक बार फिर से राज्य और केंद्र सरकार को अपना जवाब पेश करने के आदेश दिए है. पूर्व में हाईकोर्ट द्वारा जवाब पेश करने के आदेश की अनदेखी करने के मामले पर मुख्य न्यायाधीश से खंडपीठ ने नाराजगी व्यक्त की है और राज्य सरकार समेत केंद्र सरकार को फिर से जवाब पेश करने को कहा है. जबकि, पूर्व में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा चुकी है.
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बता दें कि देहरादून निवासी रेनू पॉल ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा 21 नवंबर 2019 उत्तराखंड के वन एवं पर्यावरण अनुभाग ने अधिकार वनों की परिभाषा बदल दी है. सरकार ने आदेश में कहीं भी वन्य जीव जंतुओं का उल्लेख नहीं किया है. जिससे वन्य जीव जंतुओं के जीवन पर खतरा उत्पन्न होगा. सरकार के आदेश को पूर्व में नैनीताल निवासी विनोद कुमार पांडे और अजय रावत ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी थी.
याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार के इस आदेश के बाद जंगलों में अवैध तस्करों की संख्या बढ़ेगी और लोग बेतहाशा जंगलों का कटान करेंगे. वहीं, जंगलों में अवैध रूप से निर्माण कार्य भी शुरू हो जाएंगे. जिससे आने वाले समय में पर्यावरण को बड़ा खतरा होगा.