नैनीतालः सूखाताल झील में सौंदर्यीकरण के नाम पर भारी भरकम निर्माण कार्यों पर रोक और अतिक्रमण हटाने के मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में कोर्ट ने सरकार के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों को आदेशित किया है कि उनके क्षेत्रों में कितनी वेटलैंड भूमि हैं? चार हफ्ते के भीतर शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट को अवगत कराएं. यह आदेश कोर्ट ने सूखाताल झील के मामले में सुनवाई के दौरान दिया. सूखाताल झील प्रकरण में हाईकोर्ट ने कोर्ट कमीशन से कहा है कि पूर्व के आदेश का पालन हुआ है या नहीं. इसमें भी 2 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट पेश करें.
आज मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई. अगली सुनवाई 13 सितंबर को होगी. वेटलैंड अथॉरिटी उत्तराखंड ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि उन्होंने 2022 में सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर पूछा था कि उनके क्षेत्रों में कितनी वेटलैंड भूमि हैं? चिन्हित कर उन्हें बताएं.
जिसमें सूखाताल झील भी शामिल था, लेकिन अभी तक किसी भी जिलाधिकारी ने इसका उत्तर उन्हें नहीं दिया. जिलाधिकारी की रिपोर्ट के मुताबिक, सूखाताल झील वेटलैंड है, लेकिन वेटलैंड अथॉरिटी ने इसे वेटलैंड घोषित नहीं किया. क्योंकि, उनको अभी तक इसका रिकॉर्ड जिलाधिकारी की तरफ से मुहैया नहीं कराया गया. जिस पर कोर्ट ने उक्त आदेश दिए.
दरअसल, नैनीताल के जीपी शाह और अन्य ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर सूखाताल में भारी भरकम निर्माण से झील के प्राकृतिक जल स्रोत बंद होने समेत कई अन्य बिंदुओं से अवगत कराया था. पत्र में कहा है कि सूखाताल नैनी झील का मुख्य रिचार्जिंग केंद्र है और उसी स्थान पर इस तरह अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण किए जा रहे हैं.
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पत्र में ये भी कहा गया है कि झील में पहले से ही लोगों ने अतिक्रमण कर पक्के मकान बना दिए हैं. जिनको अभी तक नहीं हटाया गया. पहले से ही झील के जल स्रोत सूख चुके हैं. जिसका असर नैनी झील पर देखने को मिल रहा है. कई गरीब परिवार जिनके पास पानी के कनेक्शन नहीं है, मस्जिद के पास के जल स्रोत से पानी पिया करते हैं.
अगर वो भी सूख गया तो ये लोग पानी कहां से पिया करेंगे. इसलिए इस पर रोक लगाई जाए. पत्र में यह भी कहा गया कि उन्होंने इससे पहले जिलाधिकारी, कमिश्नर को ज्ञापन दिया था. जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. पूर्व में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने इस पत्र का स्वतः संज्ञान लेकर इसे जनहित याचिका के रूप में सुनवाई के लिए पंजीकृत कराया था.
नैनीताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभावः बीड़ी पांडे जिला पुरुष चिकित्सालय में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अस्पताल का हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वीके कोहली, पूर्व बार महासचिव विकास बहुगुणा और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अकरम परवेज से औचक निरीक्षण करने को कहा है.
वहीं, मामले में 3 अगस्त तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है. सरकार की ओर से पूर्व के आदेश पर कोर्ट को अवगत कराया कि अस्पताल में कई सुविधाएं उपलब्ध हो चुकी है. जिसमें मुख्य रूप से कार्डियोलॉजिस्ट की नियुक्ति है. बाकी सुविधाओं के लिए प्रक्रिया गतिमान है. सरकार की रिपोर्ट पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संतुष्ट नहीं हुए.
उन्होंने कोर्ट को अवगत कराया कि अभी भी अस्पताल में कई जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. जैसे सीटी स्कैन और ईसीजी के टेक्नीशियन, जिस पर कोर्ट ने अस्पताल में क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. उनका औचक निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं. दरअसल, अशोक शाह उर्फ गुरु जी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं मजबूत करने को कहा है.