नैनीतालः खानपुर विधायक उमेश कुमार को वाई प्लस सुरक्षा दिए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि ऐसे कितने लोगों को सुरक्षा प्रदान की गई है या ऐसे कितने लोग हैं? जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, उनका पूरा रिकॉर्ड जुलाई महीने के दूसरे हफ्ते तक कोर्ट में प्रस्तुत करें.
दरअसल, इससे पहले भी हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा था कि पुलिस का कार्य जनता की सुरक्षा करना है. जिन लोगों को जानमाल का खतरा है, जांच करने के बाद ही उन्हें सुरक्षा दी जाए. दरअसल, हरिद्वार निवासी भगत सिंह ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि विधायकों की सुरक्षा के नाम पर उन्हें एक सुरक्षाकर्मी दिया जाता है. इसके अलावा यदि किसी विधायक को खतरा है तो उन्हें एक अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी दिया जाता है.
किसी विधायक को सुरक्षा कवर देने से पहले एलआईयू यानी लोकल इंटेलिजेंस यूनिट की ओर से रिपोर्ट विभाग को दी जाती है. जबकि, उन्होंने उमेश कुमार के मामले का उदाहरण देते हुए कहा है कि उन्हें सुरक्षा देते वक्त अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का पालन किए बिना उनके प्रार्थना पत्र के आधार पर वाई प्लस सुरक्षा प्रदान की गई है. इतना ही नहीं उनके पास अपनी पर्सनल एस्कॉर्ट भी है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि स्थानीय खुफिया इकाई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उनके जीवन को कोई खतरा नहीं है. इसलिए उनकी वाई प्लस सुरक्षा हटाई जाए. ऐसे ही कितने लोगों की सुरक्षा में पुलिस लगी है. जबकि, उनको किसी से कोई खतरा नहीं है. यह पुलिस का दुरुपयोग है. जबकि, पुलिस का काम जनता की सुरक्षा करना है.
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