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बैंक ऑफ बड़ौदा डकैती मामला: दो आरोपियों को HC ने सुबूतों के अभाव में किया बरी

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Published : Jul 12, 2022, 5:10 PM IST

न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने साल 2001 में गौलापार स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा में डकैती के मामले में दो आरोपियों को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया है.

HC ON BANK robbery
गौलापार बैंक डकैती मामला

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने साल 2001 में गौलापार स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा में डकैती के मामले में दो आरोपियों को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए हैं. 7 अगस्त 2001 को गौलापार स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा में डकैती के दौरान तीन आरोपी मौके पर ही मारे गए थे. जबकि मामले में दो लोगों को अभियुक्त बनाया गया था.

बता दें कि 7 अगस्त 2001 को हुई इस डकैती में बैंक कर्मचारियों को बंधक बनाते हुए बदमाशों ने 32 हजार रुपए कैश लूट लिए थे. लूटपाट कर भाग रहे बदमाशों को ग्रामीणों ने मार डाला था. निचली अदालत ने आरोपी पूरन सिंह लटवाल एवं रमेश खरवाल को आईपीसी की धारा 395 और आर्म्स एक्ट में दस साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी. इस आदेश के खिलाफ दोनों आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी.

पढ़ें: उत्तराखंड में कॉन्स्टेबल पदोन्नति परीक्षा मामला, HC ने UKSSSC को दिए पुनर्विचार के आदेश

अभियुक्त 2018 से जेल में बंद थे. आरोपियों के वकीलों ने कोर्ट में कहा कि दोनों ही अभियुक्तों की शिनाख्त परेड गवाहों के समक्ष नहीं हुई थी. तीन मृतक अभियुक्तों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी पेश नहीं की गई थी. इसके अलावा जिस वाहन से घटना को अंजाम दिया गया था, उसे भी कोर्ट में पेश नहीं किया गया था. ऐसे में कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में उन्हें बरी कर दिया.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने साल 2001 में गौलापार स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा में डकैती के मामले में दो आरोपियों को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए हैं. 7 अगस्त 2001 को गौलापार स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा में डकैती के दौरान तीन आरोपी मौके पर ही मारे गए थे. जबकि मामले में दो लोगों को अभियुक्त बनाया गया था.

बता दें कि 7 अगस्त 2001 को हुई इस डकैती में बैंक कर्मचारियों को बंधक बनाते हुए बदमाशों ने 32 हजार रुपए कैश लूट लिए थे. लूटपाट कर भाग रहे बदमाशों को ग्रामीणों ने मार डाला था. निचली अदालत ने आरोपी पूरन सिंह लटवाल एवं रमेश खरवाल को आईपीसी की धारा 395 और आर्म्स एक्ट में दस साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी. इस आदेश के खिलाफ दोनों आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी.

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अभियुक्त 2018 से जेल में बंद थे. आरोपियों के वकीलों ने कोर्ट में कहा कि दोनों ही अभियुक्तों की शिनाख्त परेड गवाहों के समक्ष नहीं हुई थी. तीन मृतक अभियुक्तों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी पेश नहीं की गई थी. इसके अलावा जिस वाहन से घटना को अंजाम दिया गया था, उसे भी कोर्ट में पेश नहीं किया गया था. ऐसे में कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में उन्हें बरी कर दिया.

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