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NIOS से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को HC ने दी राहत, भर्ती प्रक्रिया में होंगे शामिल - राष्‍ट्रीय अध्‍यापक शिक्षा परिषद

मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने NIOS (National Institute of Open Schooling ) से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को राहत देते हुए सहायक अध्यापक प्राथमिक के पदों पर चल रही नियुक्ति में शामिल करने के आदेश दिये हैं. साथ की कोर्ट ने 10 फरवरी 2021 को दिये शिक्षा विभाग के सचिव के आदेश को भी निरस्त कर दिया है.

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Published : Sep 14, 2022, 3:06 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Nainital high court) ने डीएलएड (NIOS) प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पदों की नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल करने को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर आज अपना निर्णय सुनाया है. कोर्ट ने अपने आदेश में डीएलएड (NIOS) प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को अंतिम रूप से राहत देते हुए सहायक अध्यापक प्राथमिक को पदों पर चल रही नियुक्ति में शामिल करने के आदेश दिये हैं. साथ ही कोर्ट ने 10 फरवरी 2021 को दिये शिक्षा विभाग के सचिव के आदेश को भी निरस्त कर दिया है.

हाईकोर्ट के आदेश से इनको मिलेगा लाभ: बता दें कि इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई. कोर्ट के इस आदेश से प्रदेश के 37 हजार डीएलएड (NIOS) प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को लाभ मिलेगा. मामले के अनुसार नंदन सिंह बोहरा, निधि जोशी, गंगा देवी, सुरेश चंद्र गुरुरानी, संगीता देवी और गुरमीत सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार के 10 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी थी.
पढ़ें- भर्ती घोटालों से आक्रोशित युवाओं की हल्द्वानी में महाआक्रोश रैली, CBI जांच की मांग

ये है पूरा मामला: याचिका में कहा गया था कि उन्होंने 2019 में दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डीएलएड (NIOS) प्रशिक्षण प्राप्त किया है. उनकी इस डिग्री को मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार व एनसीटीई (National Council for Teacher Education) द्वारा मान्यता दी गयी है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 16 दिसम्बर 2020 को मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार, 6 जनवरी 2021 एनसीटीई (राष्‍ट्रीय अध्‍यापक शिक्षा परिषद) व 15 जनवरी 2021 को शिक्षा सचिव द्वारा उनको सहायक अध्यापक प्राथमिक में शामिल करने को कहा था.

भर्ती प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे NIOS से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थी: परन्तु राज्य सरकार ने 10 फरवरी 2021 को यह कहते हुए उन्हें काउंसिलिंग से बाहर कर दिया कि सरकार के पास कोई स्पष्ट गाइड लाइन नहीं है. जबकि इससे पहले याचिकाकर्ताओं के समस्त शैक्षणिक प्रमाण पत्र जमा हो चुके थे. वहीं, सहायक अध्यापक प्राथमिक में 2648 पदों पर भर्ती प्रक्रिया गतिमान है. इसलिए उन्हें इस प्रक्रिया में शामिल किया जाये.

डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों के वकील ने की जोरदार जिरह: याचिकाकर्ताओं की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता सीडी बहुगुणा ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि सचिव, शिक्षा विभाग का प्रश्नगत आदेश 16 दिसम्बर 2020 व एनसीटीई (National Council for Teacher Education) के आदेश दिनांक 6 जनवरी 2021 के विपरीत होने के कारण निरस्त किये जाने योग्य है. यह भी कहा कि सहायक अध्यापक (प्राथमिक) के पदों पर नियुक्ति हेतु अहर्ता निर्धारित करने का प्रथम अधिकार भारत सरकार द्वारा नियुक्त संस्था एनसीटीई (राष्‍ट्रीय अध्‍यापक शिक्षा परिषद) को है और प्रदेश सरकार एनसीटीई द्वारा जारी आदेशों व निर्देशों का अनुपालन किये जाने के लिए बाध्य है.

सरकार की तरफ से कहा गया कि सहायक अध्यापक (प्राथमिक) सेवा नियमावली में दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को शामिल किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है. कोर्ट ने सभी याचिकाओं को सुनने के बाद अंतिम रूप से याचिकाओं को निस्तारित कर दिया है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Nainital high court) ने डीएलएड (NIOS) प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पदों की नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल करने को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर आज अपना निर्णय सुनाया है. कोर्ट ने अपने आदेश में डीएलएड (NIOS) प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को अंतिम रूप से राहत देते हुए सहायक अध्यापक प्राथमिक को पदों पर चल रही नियुक्ति में शामिल करने के आदेश दिये हैं. साथ ही कोर्ट ने 10 फरवरी 2021 को दिये शिक्षा विभाग के सचिव के आदेश को भी निरस्त कर दिया है.

हाईकोर्ट के आदेश से इनको मिलेगा लाभ: बता दें कि इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई. कोर्ट के इस आदेश से प्रदेश के 37 हजार डीएलएड (NIOS) प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को लाभ मिलेगा. मामले के अनुसार नंदन सिंह बोहरा, निधि जोशी, गंगा देवी, सुरेश चंद्र गुरुरानी, संगीता देवी और गुरमीत सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार के 10 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी थी.
पढ़ें- भर्ती घोटालों से आक्रोशित युवाओं की हल्द्वानी में महाआक्रोश रैली, CBI जांच की मांग

ये है पूरा मामला: याचिका में कहा गया था कि उन्होंने 2019 में दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डीएलएड (NIOS) प्रशिक्षण प्राप्त किया है. उनकी इस डिग्री को मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार व एनसीटीई (National Council for Teacher Education) द्वारा मान्यता दी गयी है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 16 दिसम्बर 2020 को मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार, 6 जनवरी 2021 एनसीटीई (राष्‍ट्रीय अध्‍यापक शिक्षा परिषद) व 15 जनवरी 2021 को शिक्षा सचिव द्वारा उनको सहायक अध्यापक प्राथमिक में शामिल करने को कहा था.

भर्ती प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे NIOS से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थी: परन्तु राज्य सरकार ने 10 फरवरी 2021 को यह कहते हुए उन्हें काउंसिलिंग से बाहर कर दिया कि सरकार के पास कोई स्पष्ट गाइड लाइन नहीं है. जबकि इससे पहले याचिकाकर्ताओं के समस्त शैक्षणिक प्रमाण पत्र जमा हो चुके थे. वहीं, सहायक अध्यापक प्राथमिक में 2648 पदों पर भर्ती प्रक्रिया गतिमान है. इसलिए उन्हें इस प्रक्रिया में शामिल किया जाये.

डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों के वकील ने की जोरदार जिरह: याचिकाकर्ताओं की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता सीडी बहुगुणा ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि सचिव, शिक्षा विभाग का प्रश्नगत आदेश 16 दिसम्बर 2020 व एनसीटीई (National Council for Teacher Education) के आदेश दिनांक 6 जनवरी 2021 के विपरीत होने के कारण निरस्त किये जाने योग्य है. यह भी कहा कि सहायक अध्यापक (प्राथमिक) के पदों पर नियुक्ति हेतु अहर्ता निर्धारित करने का प्रथम अधिकार भारत सरकार द्वारा नियुक्त संस्था एनसीटीई (राष्‍ट्रीय अध्‍यापक शिक्षा परिषद) को है और प्रदेश सरकार एनसीटीई द्वारा जारी आदेशों व निर्देशों का अनुपालन किये जाने के लिए बाध्य है.

सरकार की तरफ से कहा गया कि सहायक अध्यापक (प्राथमिक) सेवा नियमावली में दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को शामिल किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है. कोर्ट ने सभी याचिकाओं को सुनने के बाद अंतिम रूप से याचिकाओं को निस्तारित कर दिया है.

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