हल्द्वानी: नैनीताल जिले में स्थित जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क जो वाइल्ड लाइफ और नेचर लवर्स के लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है, लेकिन इस राष्ट्रीय उद्यान का नाम जिन जेम्स एडवर्ड कॉर्बेट के नाम पर पड़ा. उनके बारे में शायद कम ही लोगों को पता होगा. ईटीवी भारत आपको जेम्स एडवर्ड से जुड़ी कुछ ऐसी ही जानकारियों से रूबरू करवाने जा रहा है, जिसके बारे में शायद आपको मालूम न हो.
जेम्स एडवर्ड कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को नैनीताल जिले के कालाढूंगी गांव में हुआ था. उन्हें एक ब्रिटिश शिकारी के रूप में जाना जाता है, लेकिन शिकारी के साथ-साथ जिम कॉर्बेट एक अच्छे लेखक और फोटोग्राफर भी थे. कॉर्बेट के याद में कालाढूंगी में उनका संग्रहालय धरोहर के रूप में आज भी स्थापित है, जहां उनके पत्र, फोटोग्राफ सहित कई पुरानी वस्तुएं संजोकर रखी गई हैं. इस म्यूजियम को देखने हर साल देश-विदेश से पर्यटक नैनीताल पहुंचते हैं.
प्रथम विश्व युद्ध में कॉर्बेट ने कैप्टन के पद पर सेना में प्रवेश लिया और साल 1917 में 500 कुमाउंनी जवानों को लेकर एक श्रमिक दल का गठन किया, जिसने फ्रांस के लड़ाई में हिस्सा लिया. इस लड़ाई के बाद उन्हें मेजर का पद मिला. इतना ही नहीं, कॉर्बेट एक असाधारण लेखक भी थे. उनकी लिखी गयी कई कहानियां पाठकों के बीच आज भी रोमांच उत्पन्न करती हैं. कॉर्बेट की पहली पुस्तक 'जंगल स्टोरीज' के नाम से 1935 में प्रकाशित हुई, जिसकी केवल 100 प्रतियां ही छापी गई थीं.
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बताया जाता है कि कॉर्बेट अपनी कमाई का अधिकांश भाग गरीबों में बांट दिया करते थे. श्रमिकों और कुलियों के बच्चों के लिए उन्होंने कोलकाता के मोकमेह घाट में स्कूल की स्थापना की थी. मजदूरों पर साहूकारों के जुल्म के खिलाफ भी उन्होंने आवाज उठाई थी.
कॉर्बेट को 1942 में ऑनरेरी मजिस्ट्रेट का पद से सुशोभित किया गया और उसके बाद उन्हें ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर अवार्ड भी मिला. कॉर्बेट को अंतिम समय में सबसे महत्वपूर्ण पुरस्कार कंपेनियन आपदा इंडियन अंपायर से नवाजा गया, जो उस दौरान अति विशिष्ट व्यक्तियों को ही दिया जाता था. उन्होंने नैनीताल झील से 50 पौंड की महाशीर मछली को पकड़कर भी रिकॉर्ड बनाया था.
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जिम कॉर्बेट आजीवन अविवाहित रहे. उन्हीं की तरह उनकी बहन मैगी ने भी आजीवन विवाह नहीं किया. दोनों भाई-बहन हमेशा साथ रहे. कॉर्बेट के नाम से रामनगर में एक संरक्षित वन पार्क भी है. फिलहाल, नैनीताल जिले के कालाढूंगी गांव में जिम कॉर्बेट संग्रहालय को देखने के लिए दूर-दूर से विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं और कॉर्बेट के जीवनी के बारे में जानकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं.