नैनीताल: देहरादून के एनआईईपीवीडी (राष्ट्रीय दृष्टिबाधितार्थ संस्थान) में छात्राओं से हुई छेड़छाड़ और दुष्कर्म मामले की नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान न्यायालय ने केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय के सचिव से तीन हफ्ते में जवाब देने और मामले की विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सरकार को इस मामले में लापरवाही बरतने पर फटकार भी लगाई है.
बुधवार को नैनीताल हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा कि इस मामले में किस-किस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की गई है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि कार्रवाई में इतनी देरी क्यों हो रही है? वहीं, कोर्ट ने सरकार ये भी पूछा कि आखिर इस मामले में अबतक चार्ट शीट दायर क्यों नहीं की गई है.
दरअसल, बीते दिन कोर्ट में एनआईईपीवीडी की तरफ से इस मामले में शपथ-पत्र पेश किया गया था. जिसमें उनके द्वारा 5 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. इसमें एनआईईपीवीडी के तत्कालीन निदेशक अनुराधा डालमिया, रिटायर्ड वाइस प्रिंसिपल अनुसूया शर्मा और संगीत टीचर सुचित नारंग, रमेश कश्यप और कमल वीर सिंह जग्गी शामिल हैं.
बता दें कि देहरादून के एनआईईपीवीडीमें छात्राओं के साथ छेड़छाड़ व यौन उत्पीड़न के मामले का नैनीताल हाई कोर्ट की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लिया था. कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए संगीत टीचर को तत्काल सस्पेंड कर FIR दर्ज करने के आदेश दिये थे.
गौरतलब है किबीती अगस्त 2018 में एनआईईपीवीडी के छात्र-छात्राओं के धरना की वजह से ये मामला प्रकाश में आया था. 10-12 दिनों से लगातार छात्र एनआईईपीवीडी की पूर्व डायरेक्टर अनुराधा डालमिया समेत कई अन्य टीचरों के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे थे और उनपर छेड़खानी और दुष्कर्म जैसे गंभीर आरोप लगाए थे. पुलिस और बाल आयोग मंत्रालय की जांच के बाद एनआईईपीवीडी की पूर्व डायरेक्टर अनुराधा डालमिया को हटा दिया गया था.