रामनगर: वन विभाग के लिए मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं रोकना चुनौती बना हुआ है. वन विभाग ने इस बार वन्यजीवों को जंगल में ही रोकने के लिए मिश्रित प्रजातियों के वन लगाने का निर्णय लिया है. इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं रोकी जाएंगी.
वन प्रभाग तराई पश्चिमी के अंतर्गत पड़ने वाली आमपोखरा रेंज व चूनाखान रेंज में वन विभाग मिश्रित वनों को लगाने की तैयारी कर रहा है. बता दें कि मॉनसून सत्र शुरू होने से पहले हर वर्ष विभाग पौधारोपण करने की तैयारी करता है. वहीं इस बार विभाग मिश्रित वनों को लगाने की तैयारी कर रहा है. कुमाऊं मुख्य वन संरक्षक डॉ. तेजस्विनी पाटिल ने रामनगर तराई पश्चिमी के जंगलों में पहुंचकर तैयारियों का जायजा लिया.
तराई पश्चिमी वन प्रभाग के डीएफओ बलवंत सिंह साही ने बताया कि वन विभाग द्वारा मॉनसून सत्र शुरू होने से पूर्व मिश्रित वनों को लगाने की तैयारी की जा रही है. इसका जायजा कुमाऊं मुख्य वन संरक्षक तेजस्विनी पाटिल ने लिया. उन्होंने कहा कि मिश्रित वनों को लगाने से वन्यजीव जंगल से बाहर नहीं आएंगे. वन्यजीवों के जंगलों से बाहर आने से मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं होती हैं.
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उन्होंने कहा कि वन विभाग 316 हेक्टेयर भूमि में मिश्रित वन लगा रहा है. इसमें शीशम, खैर, हल्दू, कुंज, कंजी, कुटेल, सेमल, आंवला आदि के फाइकस प्रजाति के वन लगाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि जैव विविधता के लिए मिश्रित प्रजाति के जंगलों को बढ़ावा देकर वन्यजीवों को वन में ही रोका जाएगा. सरकार के निर्देश पर ही वर्किंग प्लान में यूकेलिप्टस के जंगलों को कम करके धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है.