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उत्तराखंड में श्वेत क्रांति के दावे हुए फेल! प्रदेश में घटा दुग्ध उत्पादन

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Published : Jul 28, 2023, 1:00 PM IST

Milk production decreased in Uttarakhand उत्तराखंड में सरकार दूध उत्पादन बढ़ाने को लेकर कई दावे करती है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. दरअसल हर साल प्रदेश में दूध उत्पादन घट रहा है. पढ़ें पूरी खबर..

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उत्तराखंड में दूध का उत्पादन घटा

हल्द्वानी: उत्तराखंड में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए पशुपालन विभाग के साथ-साथ डेयरी विकास विभाग कई तरह की योजनाएं चला रहा है. लेकिन प्रदेश में श्वेत क्रांति के दावे पूरी तरह से फेल होते दिख रहे हैं. हर साल प्रदेश में दूध उत्पादन घट रहा है. आंकड़ों की बात करें तो पिछले 3 सालों से लगातार दूध के उत्पादन में गिरावट आ रही है.

यूसीडीएफ के आंकड़ों पर डालें नजर: यूसीडीएफ (उत्तराखंड सहकारी डेयरी फेडरेशन लिमिटेड)के आंकड़ों पर गौर करें, तो वित्तीय वर्ष अप्रैल 2021-22 में रोजाना उत्पादन 201,092 लीटर प्रतिदिन हुआ करता था. वित्तीय वर्ष 2022-23 में दूध उत्पादन घटकर 185,161 लीटर रोजाना हो गया है, जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में अप्रैल-मई जून में रोजाना 194,243 लीटर दर्ज किया गया है.

उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन से जुड़े 1 लाख 60 हजार उत्पादक: उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन के निदेशक संजय कुमार खेतवाल ने कहा कि प्रदेश में 11 दूध उत्पादन सरकारी संघ के माध्यम से पशुपालकों से दूध की खरीद की जाती है. करीब 2,500 दूध समितियों के माध्यम से 1 लाख 60 हजार से अधिक दूध उत्पादक जुड़े हुए हैं.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में दूध उत्पादन में भारी गिरावट, सरकार का दावा हुआ फेल !

कोविड के बाद लोगों का पशुपालन के प्रति रुझान कम: यूसीडीएफ के निदेशक संजय खेतवाल का कहना है कि प्रदेश में दूध का उपार्जन घटा है. जिसका मुख्य कारण कोविड के बाद लोगों का पशुपालन के प्रति रुझान कम होना है. इसके अलावा पिछले वर्ष भूसे की भी भारी कमी देखी गई. इस वर्ष लंबी बीमारी से काफी पशुओं को हानि पहुंची है. जिससे दूध उत्पादन की कमी देखी गई है. दूध के उत्पादन को कैसे बढ़ाया जाए, इसके लिए डेयरी फेडरेशन द्वारा कार्य किया जा रहा है.
ये भी पढ़ें: हल्द्वानी: उत्तराखंड में गाय के दूध का उत्पादन बढ़ा, जानिए क्या कहते हैं आंकड़े

उत्तराखंड में दूध का उत्पादन घटा

हल्द्वानी: उत्तराखंड में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए पशुपालन विभाग के साथ-साथ डेयरी विकास विभाग कई तरह की योजनाएं चला रहा है. लेकिन प्रदेश में श्वेत क्रांति के दावे पूरी तरह से फेल होते दिख रहे हैं. हर साल प्रदेश में दूध उत्पादन घट रहा है. आंकड़ों की बात करें तो पिछले 3 सालों से लगातार दूध के उत्पादन में गिरावट आ रही है.

यूसीडीएफ के आंकड़ों पर डालें नजर: यूसीडीएफ (उत्तराखंड सहकारी डेयरी फेडरेशन लिमिटेड)के आंकड़ों पर गौर करें, तो वित्तीय वर्ष अप्रैल 2021-22 में रोजाना उत्पादन 201,092 लीटर प्रतिदिन हुआ करता था. वित्तीय वर्ष 2022-23 में दूध उत्पादन घटकर 185,161 लीटर रोजाना हो गया है, जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में अप्रैल-मई जून में रोजाना 194,243 लीटर दर्ज किया गया है.

उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन से जुड़े 1 लाख 60 हजार उत्पादक: उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन के निदेशक संजय कुमार खेतवाल ने कहा कि प्रदेश में 11 दूध उत्पादन सरकारी संघ के माध्यम से पशुपालकों से दूध की खरीद की जाती है. करीब 2,500 दूध समितियों के माध्यम से 1 लाख 60 हजार से अधिक दूध उत्पादक जुड़े हुए हैं.
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कोविड के बाद लोगों का पशुपालन के प्रति रुझान कम: यूसीडीएफ के निदेशक संजय खेतवाल का कहना है कि प्रदेश में दूध का उपार्जन घटा है. जिसका मुख्य कारण कोविड के बाद लोगों का पशुपालन के प्रति रुझान कम होना है. इसके अलावा पिछले वर्ष भूसे की भी भारी कमी देखी गई. इस वर्ष लंबी बीमारी से काफी पशुओं को हानि पहुंची है. जिससे दूध उत्पादन की कमी देखी गई है. दूध के उत्पादन को कैसे बढ़ाया जाए, इसके लिए डेयरी फेडरेशन द्वारा कार्य किया जा रहा है.
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