नैनीतालः उत्तराखंड पुलिस सेवा नियमावली 2018 का 2019 में किए गए संशोधन के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान व न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ ने सुनवाई की. इसमें राज्य सरकार को आदेश दिया है कि कोई भी प्रमोशन किया जाता है तो उसका फैसला याचिका के अंतिम आदेश के अधीन रहेगा.
ये था मामला
बता दें कि पुलिसकर्मी सत्येंद्र कुमार व अन्य ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार की ओर से पुलिस सेवा नियमावली 2018 का 2019 में संशोधन किया गया है. इसमें आम पुलिस कांस्टेबल को प्रमोशन के ज्यादा मौके दिए गए हैं. जबकि, सिविल और इंटेलिजेंस कांस्टेबल को प्रमोशन के लिए कई चरणों से गुजरना पड़ रहा है.
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इस पर भी जताई थी आपत्ति
वहीं, उप निरीक्षक से निरीक्षक व अन्य उच्च पदों पर प्रमोशन तय समय पर केवल डीपीसी व वरिष्ठता/कनिष्ठता के आधार पर होते हैं, लेकिन सिपाहियों को विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है. प्रमोशन का निश्चित समय अवधि निर्धारण न होने से तमाम सिपाही बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो जाते हैं. इस समस्या के लिए कई बार उच्चाधिकारियों से कहा गया, लेकिन उच्च अधिकारियों की ओर से कभी भी सिपाहियों की इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया गया.
समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया था
नैनीताल हाईकोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ये समानता के अधिकार का भी उल्लंघन है. आज मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान व न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि सभी प्रमोशन याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रहेंगे.